Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
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कमारसंभवम् (महाकवि कालिदास)
हिमालय में ही भूर्जपत्र :
न्यस्ताक्षरा धातुरसेन यत्र भूर्जत्वचः कुञ्जरबिन्दुशोणाः।
व्रजन्ति विद्याधरसुन्दरीणामनङ्गलेखक्रिययोपयोगम् यत्र (हिमाद्रौ) ॥ (1-7)
प्रातः काल कमल का विकास :
उन्मीलितं तूलिकयेव चित्रं सूर्याशुभिभिन्नमिवारविन्दम् (1-32)
कमल का रात्रि में सोच :
चन्द्रं गता पद्मगुणान्न भुङ्क्ते पद्याश्रिता चान्द्रमसीमभिख्याम्। (1-43)
हिमालय वर्णन प्रसङ्ग में ही भूर्जत्वचा का उल्लेख :
गणा न मेरुप्रसवावतंसा भूर्जत्वचः स्पर्शवतीदधानाः। (1-55)
काम का मूर्तरूप :
-------------मदन: प्रतस्थे ---------हस्तेन पस्पर्श तदङ्गमिन्द्रः (3-22)
अशोक में पुष्प :
असूत सद्य कुसुमान्यशोकः स्कन्धात्प्रभृत्येव सपल्लवानि ।
पादेन नापैक्षत सुन्दरीणां संपर्कमासिञ्जितनूपुरेण ॥ (3-26)
नदी में कमल :
अथोपनिन्ये गिरिशाय गौरी तपस्विने ताम्ररुचा करेण।
विशोषितां भानुमतो मयूखैर्मन्दाकिनीपुष्करबीजमालाम् ॥ (3-65)