Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
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रात्रि में कुमुदों का विकास :
गन्धमुद्धतरजः ------------विक्षिपन्विकसतां कुमुदानाम्------------आदुधाव
परिलीनविहङ्गा यामिनीमरुत्--------वनराजी: (9-31)
यश का शुभ्रवर्ण :
गुरून्कुर्वन्ति ते वश्यानन्वर्था तैर्वसुन्धरा येषां यशांसि शुभ्राणि ह्येपयन्तीन्दुमण्डलम् (11-64)
मलय में चन्दन का वर्णन :
बहुभिश्च बाहुभिरहीनभुजगवलयैर्विराजितम् ।
चन्दनतरुभिरिवालघुभिः प्रबलायतैर्मलयमेदिनीभृतम् ॥ (12-24)
रात्रि में कमल का सङ्कोच :
प्रभा हिमांशोरिव पङ्कजावलिम् निनाय सङ्कोचमुमापतेश्चमूम्॥ (14-56)
प्रातः काल कमल का विकास :
त्विषां ततिः पाटलिताम्बुवाहा सा सर्वतः पूर्वसरीव सन्ध्या।
निनाय तेषां द्रुतमुल्लसन्ती विनिद्रताम् लोचनपङ्कजानि ॥ (16-33) यश का शुभ्र वर्ण क्यों :
प्रत्याहतौजाः कृतसत्त्ववेग: पराक्रमं ज्यायसि यस्तनोति ।
तेजांसि भानोरिव निष्पतन्ति यशांसि वीर्यज्वलितानि तस्य।। (17-15)
(प्रकाश का वर्ण शुभ्र होता है और यश के प्रकाशित स्वरूप के कारण ही सम्भवतः उसका शभ्र
वर्ण माना गया है।)