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________________ [181] कमारसंभवम् (महाकवि कालिदास) हिमालय में ही भूर्जपत्र : न्यस्ताक्षरा धातुरसेन यत्र भूर्जत्वचः कुञ्जरबिन्दुशोणाः। व्रजन्ति विद्याधरसुन्दरीणामनङ्गलेखक्रिययोपयोगम् यत्र (हिमाद्रौ) ॥ (1-7) प्रातः काल कमल का विकास : उन्मीलितं तूलिकयेव चित्रं सूर्याशुभिभिन्नमिवारविन्दम् (1-32) कमल का रात्रि में सोच : चन्द्रं गता पद्मगुणान्न भुङ्क्ते पद्याश्रिता चान्द्रमसीमभिख्याम्। (1-43) हिमालय वर्णन प्रसङ्ग में ही भूर्जत्वचा का उल्लेख : गणा न मेरुप्रसवावतंसा भूर्जत्वचः स्पर्शवतीदधानाः। (1-55) काम का मूर्तरूप : -------------मदन: प्रतस्थे ---------हस्तेन पस्पर्श तदङ्गमिन्द्रः (3-22) अशोक में पुष्प : असूत सद्य कुसुमान्यशोकः स्कन्धात्प्रभृत्येव सपल्लवानि । पादेन नापैक्षत सुन्दरीणां संपर्कमासिञ्जितनूपुरेण ॥ (3-26) नदी में कमल : अथोपनिन्ये गिरिशाय गौरी तपस्विने ताम्ररुचा करेण। विशोषितां भानुमतो मयूखैर्मन्दाकिनीपुष्करबीजमालाम् ॥ (3-65)
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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