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शस्त्रममा सनदीतेदारं परिज्ञाइ परिजात जागा (कारं कर्मबंधन (पाइप उदकशस्त्र समारंसइन अत्पाख्यानपरिज्ञाऽपचरव्यादिव प्रत्याख्यान परिज्ञाविंशे कारण इमपरिज्ञाइ नागी थकीज्ञ परिज्ञापूर्वक देषा ॥
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समारेल मास्सा शच्चातत्र्याला परिपाया सति । तं परिपाटयमिदावी | नेवसयंउदयस क्षे समाराला सर्व दिंउदय कासकर अनुमोदन (जैन उदकनाशस्त्रसमा रेलज्ञपरिज्ञाईजा प्रत्या सेवते मुनिवारि ख्यान परिज्ञा बाऊ 2.त्रियोपरिजात कर्मपापना पच
सच्चे समारं साविका उदयसचं समारते विलेन समएफ जाएगा। जस्सात उदयस चे समारं सापरिणायालवंति।स रवा नौकर हार श्री धर्मस्वा इतिश्रीशास्त्र दिने वैद्या प्रारंसी ये बैनीने पाणी शिकार न मारला ते अभिकाय नु विशेषक ॐ बुं ॥ इदी तो कश श्रात्माने प्रत्येक २ सरी र विषेप किम निमश्री परिज्ञापयेन विरतिविशेषसामानकार लईएस श्रीसू धर्म कायम पुरुषनौस्टिकर नदी नामाख्यान लगते महावीर समीप ससज्य ॥ कफ तेसो प्रमाण छ। स्वामिन् श्वेक देव तावामन करे जीवन करे व ले जेश्मका निजीव
२/२/४ परिक्षाप्त नात्मान
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स्वया स स स्मारकयन्नास खयाल | मेदी लोग सस्सावाले वीरिदिएय प्रतिस्यादि) सं