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________________ शस्त्रममा सनदीतेदारं परिज्ञाइ परिजात जागा (कारं कर्मबंधन (पाइप उदकशस्त्र समारंसइन अत्पाख्यानपरिज्ञाऽपचरव्यादिव प्रत्याख्यान परिज्ञाविंशे कारण इमपरिज्ञाइ नागी थकीज्ञ परिज्ञापूर्वक देषा ॥ ही समारेल मास्सा शच्चातत्र्याला परिपाया सति । तं परिपाटयमिदावी | नेवसयंउदयस क्षे समाराला सर्व दिंउदय कासकर अनुमोदन (जैन उदकनाशस्त्रसमा रेलज्ञपरिज्ञाईजा प्रत्या सेवते मुनिवारि ख्यान परिज्ञा बाऊ 2.त्रियोपरिजात कर्मपापना पच सच्चे समारं साविका उदयसचं समारते विलेन समएफ जाएगा। जस्सात उदयस चे समारं सापरिणायालवंति।स रवा नौकर हार श्री धर्मस्वा इतिश्रीशास्त्र दिने वैद्या प्रारंसी ये बैनीने पाणी शिकार न मारला ते अभिकाय नु विशेषक ॐ बुं ॥ इदी तो कश श्रात्माने प्रत्येक २ सरी र विषेप किम निमश्री परिज्ञापयेन विरतिविशेषसामानकार लईएस श्रीसू धर्म कायम पुरुषनौस्टिकर नदी नामाख्यान लगते महावीर समीप ससज्य ॥ कफ तेसो प्रमाण छ। स्वामिन् श्वेक देव तावामन करे जीवन करे व ले जेश्मका निजीव २/२/४ परिक्षाप्त नात्मान नदी मान कसमा नेश पास समासा asain सरका आमासम्मका नवस याला जिोकउारया | अामान अस्पाख्यान करना जीवन पाख्यान करे दिवे मिना, जीवनीसा प्रतिपत्रिक रीतेनो आर जेवताना बोलते हुआ फूलने कारणजाली परिहरिए साथ ख्यान क दीय देबाउंड बेजे साधु दी है जो कवनस्पविक हीयते दम शस्त्राने नुस्खेद, ज्ञनिअल ।। " कर5 || ज्ञारकशौजदीद लोग सस्सा झाशस्कच्चा) जोलायंा शाइरकेजा मित्राला एंझाइक इस्कई । मलोयं अदी लोकशास्त्रमा वदते संयम जिसकारण (जेवास्त्र से यमतेन (दीर्घलोक वनस्पती तेनु शस्त्राग्भिते यम किए ही जीवन विनासन करें तिथि का कह वह दन खेदश वदनिल वीरे०क०परी सहज पसर्गमा महुशार कमे शत्रु जीपिवास पक्षघाती करणारा ट्रिक ते करूपी यावरी जीपीन संयमनौ उपाय निपादित करे की सूत्र कीगए रत स्वया स स स्मारकयन्नास खयाल | मेदी लोग सस्सावाले वीरिदिएय प्रतिस्यादि) सं
SR No.650010
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorMayachand Matthen
PublisherVikramnagar
Publication Year1736
Total Pages146
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size75 MB
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