Book Title: Aagamiy Suktaavali Aadi Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 8
________________ श्री आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगमीय सूक्तावलि [नन्दिसूक्तानि] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगम-संबंधी-साहित्य श्री आगमीयसूक्तावली सा जय संघचंद ! निम्मलसम्मतविमुद्धमोण्हागा!॥ (४५) |३६ निघुइवहसासणयं जयर सया सम्यमावदेसणयं। श्रीनन्दः २८ परतिस्थियगहपहनासगरस तवतेयदिशसस्स। कुसमयमयनासणयं जिणिंदवरवीरसासणयं ॥ (४८) मुक्तानि नाणुजोयरस जप भई दर्गसंघसूरस्स। |३७ न य कत्था निम्नाओ न य पुच्छर परिभवस्स दोसेणं । २९ भई घिइवेलापरिगयस्स सज्झायजोगमगरस्त । वस्थिव्य वायपुण्णो फुड गामिल्लयविभो ॥ (६४) HI अपलोहस्स भगवओ संघसमुदस्स दस्त ॥ |३८ पिंडविसोही समिई५ भावण १२ पडिमा१२ व इंदियमा ३० सम्मइंसणवरवडरविढढगाढावगाढ पेहस्त । निरोहो५। पढिले हण२५ गुत्तीभो३ अभिग्गहा चेव दा धम्मवररयण मंडेअचामीयरमेहलागल्स ॥ करणं तु ॥ (५०, २१०) र ३१ नियमूसियकणयसिलायलुजलजलतचित्तकूडस्स । | ३९ नत्तेगसहावते आभिणियोहाइ किओ भेदो। नंदणवणमणहरसुर मिसीलगंधुद्धमायस्ल ॥ नेयविसेसाओ चे न सबबिसयं जओ चरिमं ॥ प्र ३२ जीयदयासुंदरकंदरुद्दरियमुग्विवरगइंदइन्चस्स । ४० अह पडियत्तिबिसेसा मेगंमि अणेगमेयभावाओ। हेउसयधाउपगलंतरयणदित्तोसहिगुहस्स ॥ आवरणविमेओवि हु सभावभेयं विणा न भवे ॥ -|३३ संपरवरजलपगलियउज्झरपपिरायमाणहारस्स। ४१ तम्मि य सइ सब्वेसिं खीणावरणस्स पावई भावो। सावगजणपउररवंतमोरनच्चंतकुहरस्स ॥ तहम्मत्ताउ च्चिय जुत्तिविरोहा स चापिट्ठो ॥ ३४ विणवनयपवरमुणिवरफुरंत विज्ज लंतसिहरस्स। | ४२ अरहावि असवन्नू आभिणियोहाइभावओ नियमा। विविहगुणकप्परुपवगफलभरकुसुमाउलवणस्स ॥ केबलभाषाओ चे सवण्णू नणु विरुद्धमिणं ॥ (६७)! ३५ नाणवररयणदिप्पंतकंतवेलियविमलचूलस्स। |४३ तम्हा अवग्नहाओ आरम्भ इहेगमेव नाणंति । वंदामि विषयपणो संघमहामंदरगिरिस्स ॥ (४६) । जु छउमस्थस्सासगलं इयरं च फेवलिणो ॥ (६८) ~8~Page Navigation
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