Book Title: Aagamiy Suktaavali Aadi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 11
________________ श्री आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगमीय सूक्तावलि [आवश्यकसूक्तानि] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगम-संबंधी-साहित्य आवश्यकस्य सूक्तानि आगमीयसूक्तावला २१ अभिकखतेहिं सुहासियाई चयणाई अत्थसाराई। . चरणकरण पहनो निव्वाणपहो जिणिदेहिं॥ (३८६) विम्हियमुहेहिं हरिसागपाहिं हरिसं जणंतेहिं ॥ ३० सिद्धिवसहिमुवगया निव्वाणसुहं च ते अणुप्पत्ता। २२ गुरुपरिओसगएणं गुरुभत्तीए तहेव विणपणं ।। सासयमव्याचाहं पत्ता अपरामरं ठाणं ॥ (३८६) इच्छियसुत्तस्थाणे सिप्पं पारं समवयंति ॥ (२६९)|३१ पाति जहा पारं सम्म निजामया समुदस्स। २३ माणुस्स खेत्त जाई कुलरुवाऽऽरोग्गमाउयं बुद्धी। भवजलहिस्स जिणिंदा तहेव जम्हा अओ अरिहा ॥ (३८६) सवणोग्गहसखा संजमो य लोगंमि दुलहाई॥ ३२ मिच्छत्तकालियावायविरहिए सम्मत्तगज्जभपवाएं । २४ इदियलद्धी निब्वत्तणा व पजत्ति निरुवहय समं । एगसमरण पत्ता सिद्धिवसहिपट्टणं पोया ॥ धायारोग्ग सदा गाहगउवभोग भट्ठोय ॥ (अन्यदीया.) |३३ निजामगरयणाणं अमूढनाणमाकण्णधाराणं ।' २५ चोल्लग पासग घण्णे जूए रयणे य सुमिण चफो य । दामि विणयपणओ तिबिहेण तिदंडविरयाणं ॥ चम्मजुगे परमाणू दस दिटुंता मणुयल मे ॥ (३४१) | ३४ पालंति जहा गावो गोवा अहिसावयारदुग्गेहिं । २६ जा तमिह सत्थवाहं नमः जणो तं पुरं तु गंतुमणो ॥ | परतणपाणिपाणि अ घणाणि पावंति तहःथेष ॥ परमुवगारित्तणो निबिग्घत्थं च भत्तीप ॥ ३५ जीवनिकाया गावो जं ते पालंति ते महागोचा। २७ अरिहो उ नमुकारस्स भावो खीणरागमयमोहो। मरणाइभया उजिणा निब्याणवणं च पावंति ॥ मुफ्वस्थीर्णपि जिणो तहेच जम्हा अओ अरिहा ॥ ३८५ | ३६ तो उवगारित्तणो नमोऽरिहा भविभजीचलोगस्स । २८ संसाराअडवीए, मिच्छत्तऽमाणमोहिअपहाए। सब्यस्सेह जिणिंदा लोगुत्तमभावओ तह य॥ जेहिं कय देसितं ते अरिहंते पणिवयामि ॥ ३७ रागहोसकसाए य, इंदिआणि अपंचवि । २९ सम्मइंसणदिट्टो नाणेण य सुट्ट तेहिं उवलद्धो। | परीसहे उबसग्गे, नामयंता नमोऽरिहा ॥ (३८७) ॥६॥ ~11~

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