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सम्पादकीय
१ मार्च, १९६२ की बात है । गंगाशहर (बीकानेर) मे अणुव्रत-प्रान्दोलन. प्रवर्तक प्राचार्यश्री तुलसी के २५ वें पदारोहण वर्ष के उपलक्ष मे धवल समा. रोह मनाया गया। भारत के तत्कालीन उप-राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति डा. एस. राधाकृष्णन ने 'तुलसी प्रभिनन्दन ग्रन्थ' माचार्यवर को भेंट किया । विस्तृत प्राकार मे ७०८ पृष्ठों का यह अभिनन्दन ग्रन्थ राष्ट्रीय ख्याति के विद्वानों व विचारकों द्वारा सम्पादित था 1 सम्पादक मण्डल के सदस्य थे :
श्री जयप्रकाश नारायण मुनिश्री नगराजजी श्री नरहरि विष्णु गाडगिल श्री मैथिलीशरण गुप्त श्री के० एस० मुन्शी
श्री एन. केसिद्धान्त श्री हरिभाऊ उपाध्याय
श्री जैनेन्द्रकुमार यो मुकुट बिहारी वर्मा
श्री जबरमल भण्डारी श्री अक्षयकुमार जैन प्रबन्ध सम्पादक थे और श्री मोहनलाल कठौतिया व्यवस्थापक थे । जैसा संपादक मण्डल था, उतना ही उच्चस्तरीय ग्रन्थ बन पाया था । समग्र अन्य चार अध्यायों में बटा था।
प्रथम-श्रद्धा, संस्मरण, कृतित्व द्वितीय-जीवन-वृत्त तृतीय-परद्रत चतुर्य-दर्शन मोर परम्परा
अभिनन्दन पन्थ भारवान होने की स्थिति मे सीमित लोगों तक ही पहुँच पाया। अपेक्षित लगा, पृथक्-पृथक् प्रध्यायों का स्वतन्त्र उपयोग यदि किया जाए तो अन्य सामग्री बहजन-मोग्य बन सकती है । प्रस्तुत पुस्तक मुख्यतः अभिनन्दन अन्य के प्रथम मध्याय का प्राकलन है। विषयपरक अन्य उपयोगी सामग्री भी इसमें जोड़ दी गई है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है, मभिनन्दन