Book Title: 20 Vi Shatabdi Ke Jain Manishiyo Ka Yogdan
Author(s): Narendrasinh Rajput
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
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उन्हीं को ग्रहण करके नाट्यवेद की रचना की गई । इस प्रकार मैं असंदिग्ध रूप से कह सकता हूँ कि वेदों में नाटक के मूल तत्त्व विद्यमान हैं । उन्हीं से हम संस्कृत नाटकों का उद्भव मान सकते हैं । इसके विपरीत संस्कृत नाट्य की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विदेशी विद्वानों ने अपने-अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किये हैं। .
___ भरत मुनि ने रूपक के 10 भेदों और 18 उपभेदों का विश्लेषण भी किया है । 2. अव्य काव्य :
इसके अन्तर्गत गद्य, पद्य और चम्पू साहित्य की उत्पत्ति भी विचारणीय है । - (अ) "गद्य" शब्द गद् धातु से यत् (य) प्रत्यय जोड़ने पर बनता है । यह लय प्रधान पद्यबन्ध से भिन्न है । गद्यकाव्य में भाव, भाषा और रस का समुचित परिपाक होता है । वेदों में ही गद्य का अंश प्राप्त होता है । कृष्ण यजुर्वेद में गद्य का उत्कृष्ट निदर्शन है । इसके साथ ही ब्राह्मण ग्रन्थों, आरण्यकों, उपनिषदों, में भी वैदिक गद्य उपलब्ध होता है । सूत्र ग्रन्थ एवं पुराणों में गद्य की अभिराम छटा के दर्शन सहज ही होते हैं ।
(ब) पद्य-साहित्य के अन्तर्गत लय बन्ध, छन्दों में निबद्ध श्लोकों का अध्ययन किया जाता है । वेदों में उपलब्ध मन्त्र (सामवेद के) और संगीतात्मक पद्य ही पद्य, साहित्य का आदिरूप कहे जा सकते हैं।
(स) चम्पू : गद्य एवं पद्य से मिश्रित रचना 'चम्पू' काव्य कही जाती है । इसमें वर्णनात्मक अंश गद्य में और अर्थ गौरव युक्त अंश पद्य में निबद्ध होता है । अथर्ववेद के अतिरिक्त कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय, मैत्रायणी, काठक संहिताओं में इस गद्य-पद्य मिश्रित शैली के दर्शन होते हैं । ब्राह्मण ग्रन्थों एवं उपनिषदों तथा पुराणों में चम्पू पद्धति का प्रारम्भिक स्वरूप सुरक्षित है।
पद्य साहित्य के अन्तर्गत परवर्ती युग में महाकाव्य, खण्डकाव्य, स्तोत्रकाव्य आदि का विवेचन हुआ है । इस प्रकार काव्य का मुख्य स्रोत वेद ही हैं । इसके साथ ही छन्दः शास्त्र, निरुक्त, काव्यशास्त्र, व्याकरण और कथा साहित्य की मूल सामग्री वेदों में प्राप्त होती है । हम कह सकते हैं कि संस्कृत साहित्य का उद्भव विश्ववाङ्मय के प्राचीन प्रतिनिधि के ऋग्वेद से हुआ है। संस्कृत साहित्य का विकास :
___ संस्कृत साहित्य वेदों से उद्भूत है । इसके पश्चात् इस साहित्य की विकास प्रक्रिया प्रस्तुत करना हमारा लक्ष्य है । अत: संस्कृत साहित्य की प्रमुख विधाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डाला जा रहा है -
संस्कृत भाषा का साहित्य दो खण्डों में विभाजित है - वैदिक संस्कृत साहित्य और लौकिकसंस्कृत साहित्य । (अ) वैदिक संस्कृत साहित्य :
संस्कृत भाषा का आदिसाहित्य "वैदिक संस्कृत साहित्य" कहलाता है । इस साहित्य में प्रयुक्त भाषा भी वैदिक संस्कृत कहलाती है । वैदिक साहित्य में वेद - संहिताएँ, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक, उपनिषद् एवं सूत्रग्रन्थों का समावेश किया जाता है। वैदिक साहित्य कं सुविधा के लिए चार भागों में विभाजित करते हैं -