Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation
Catalog link: https://jainqq.org/explore/009382/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र तन्त्र अधिकार fac तन्त्र अधिकार मुनि प्रार्थना सागर मुनि प्रार्थना सागर Visit our website:- www.jainmuniprarthnasagar.com Email:- muniprarthnasagar@gmail.com 423 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर -: विषय सूची : 437 437 439 440 447 रोग निवारक टोटके तंत्र 434 सूखा रोग निवारण तंत्र 443 असय बीमारी दूर करने हेतु 434 पोलियो निवारण हेतु तंत्र 443 सर्व ज्वर निवारण तंत्र 436 पीलिया निवारण हेतु तंत्र 443 कान दर्द दूर करने का तंत्र मृगी रोग शान्त हेतु तंत्र 443 आँख में पीड़ा निवारण तंत्र 437 बहता रक्त बन्द हो तंत्र 444 निद्रा स्तंभन पर तंत्र सुन्न अंग पर तंत्र 444 आधा शीशी का दर्द दूर करने का तंत्र 438 कुष्ठ रोग पर तंत्र 444 मानसिक तनाव दूर तंत्र 439 हड्डी टूटने या मोच आने पर दर्द निवारण 444 नकसीर ठीक तंत्र 439 बच्चों रोग दूर करने का तंत्र 444 गूग बोले तंत्र 439 बच्चों के दांत निकलने में सरलता 445 दाँत (दाढ़)की पीड़ा हर तंत्र बिस्तर (शय्या) मूत्र निवारण हेतु तंत्र 446 वमन (कै) बंद करना 439 बच्चे का डरना बन्द हो तंत्र 446 हिचकी शांत होय तंत्र 440 नजर लगने पर तंत्र 446 खाँसी पर तंत्र बुरे स्वप्न नाशक तंत्र 447 श्वांस पर रोग तंत्र 440 स्वप्न दोष निवारण हेतु तंत्र हृदय रोग पर तंत्र 440 नार्मद बनाने के लिए तंत्र 448 पेट दर्द निवारण तंत्र 440 वीर्य स्तम्भन हेतु तंत्र 448 घुटने का दर्द निवारण तंत्र 441 संतान प्राप्ति हेतु तंत्र 448 एक्जिमा रोग निवारण तंत्र 441 असमय गर्भपात न होय तंत्र 449 मूत्र रोग निवारण तंत्र 441 फिर रजस्वला हो तंत्र 449 गर्भाव नहीं हो तंत्र 450 दस्तों पर तंत्र 441 बवासीर रोग ठीक होय पर तंत्र मासिक धर्म की परेशानी दूर हेतु तंत्र 450 441 मधूमेह पर तंत्र प्रसव के लिए तंत्र 450 442 मर्कटिका रोग नष्ट तंत्र शराब सिगरेट, बीडी, तंबाकू छुड़ाने हेतु 451 सेऊआ होने पर तंत्र घर से भागे व्यक्ति को पुन:बुलाने हेतुतंत्र 451 442 चेचक रोग निवारण तंत्र गृहक्लेश (कलह) निवारण हेतु तंत्र 452 442 मोटापा निवारण तंत्र मकान में खुशहाली हेतु तंत्र 453 442 दुर्बलता दूर करने हेतु तंत्र गृह अशुद्धि पर तंत्र 443 अतिसार रोग नाश हेतु तंत्र शयन कक्ष पर तंत्र बुद्धिमान होय 455 424 442 453 454 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 478 478 478 478 479 480 481 64 48 481 484 486 468 487 488 489 490 493 493 विवाह शीघ्र कैस हो? 455 चींटियाँ भगाने का उपाय विवाह विलंब नवारण हेतु तंत्र 457 । चूहे भगाने का उपाय सुखी वैवाहिक जीवन हेतु तंत्र 458 मनुष्यों की भीड़ भगाने के लिए रोजगार की समस्या हल हेतु तंत्र 459 यक्षिणी सिद्ध कार्य सफलता हेतु 459 भूत भगाने का टोटका व्यापारवृद्धि के विशेष चमत्कारी टोटके 460 हाथी भय दूर तंत्र अदृश्य प्रयोग कर्ज मुक्ति हेतु तंत्र कुछ अन्य तांत्रिक प्रयोग (टोटका) धन लाभ हेतु तंत्र नक्षत्र अधिकार मनोकामना पूर्ण हेतु तंत्र 468 नक्षत्र कल्प सर्व कार्य सिद्धि बूटियों के पर्यायवाची नाम टोने टोटके का असर खत्म हेतु तंत्र 468 चार्ट में देखें जन्म नक्षत्र के वृक्ष बलाएँ दूर करें 469 आकर्षण संबंधी तंत्र प्रयोग परे शानियां दूर करने हेतु 469 सम्मोहन सम्बन्धी तंत्र-प्रयोग दष्ट (शत्र) व्यक्ति से पीछा छुड़ाना हेतु तंत्र 470 मोह न होय वाद विवाद में विजय हेतु तंत्र वशीकरण सम्बन्धी तंत्र-प्रयोग शत्रु भय निवारण तंत्र 470 पुरुष-वशीकरण सम्बन्धी तंत्र प्रयोग दुष्मन पर विजय तंत्र स्त्री-वशीकरण सम्बन्धी तंत्र प्रयोग राजा की तरह सम्मान मिलें स्तंभन संबंधी तंत्र प्रयोग जुआ में जीत 472 मारण संबंधी तंत्र प्रयोग मुकदमे में विजय प्राप्ति का तंत्र उच्चाटन संबंधी तंत्र प्रयोग अंगूठी बनाने का विधान कल्प विभाग भूख प्यास न लगे तंत्र 473 रूद्राक्ष कल्प भूख प्यास ज्यादा हो मयूर शिखा कल्प जमीन या मकान न बिकता हो तो सहदेवी कल्प पृथ्वी से गढ़ा धन निकालने का तंत्र 474 बहेड़ा कल्प खेत वृद्धि का तंत्र 475 निर्गुण्डी कल्प पशुओं पर तंत्र 475 हाथा जोड़ी कल्प सर्प जहर निवारण तंत्र 475 श्वेतार्क कल्प बिच्छू का जहर तंत्र 476 बांदा नक्षत्र कल्प पागल कुत्ता काटने पर 477 लक्ष्मणा कल्प मच्छर, मक्खी आदि भगाने हेतु टोटका 477 एकाक्षी नारियल कल्प खटमल पर तंत्र 478 गोरखमुंडी- कल्प 496 471 498 472 501 502 472 502 503 473 504 504 474 504 505 505 505 506 506 508 508 509 425 Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 510 510 510 511 511 511 विजया कल्प सरपंखा कल्प श्वेतगुंजा कल्प दक्षिणावर्त शंख कल्प गौरोचन कल्प रक्तगुन्जा कल्प रक्तगुंजा कल्प लक्ष्मणा कल्प लजालु (छुइमुइ) कल्प हीरा बनाने की विधि सोना-चाँदी बनाने का तंत्र काल सर्प दोष / मंगल दोष निवारण हेतु । ग्रह दोष निवरण वनस्पति मूल (जड़) तन्त्र ग्रह दोष निवरण तन्त्र स्नान (मतान्तर से) सर्व ग्रह पीड़ दूर करने हेतु औधीषय स्नान 512 513 514 514 514 516 516 518 । ॐ शन्ति ।। 426 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर तंत्र अधिकार तंत्र-विद्या तंत्र शब्द की व्युत्पत्ति 'तै' धातु से हुई है। जिसका अर्थ है रक्षा करना। इस शब्द में 'तन्' धातु है जिसका अर्थ है विस्तार करना। इस तंत्र शब्द का तात्पर्य हुआ ऐसी विद्या जो विस्तार के साथ-साथ रक्षा भी करती है। तंत्र साधना को वाममार्ग भी कहते हैं। वैसे तंत्र शब्द को व्यवस्था के संबंध में भी कहते हैं। जैसे- प्रजातंत्र, लोकतंत्र, राजतंत्र, जनतंत्र, पाचनतंत्र, श्वसनतंत्र, रक्त परिसंचरण तंत्र आदि। आगम के अलावा ऋग्वेद तथा अर्थवेद में भी तंत्र का स्वरूप देखने को मिलता है। तंत्र साधना में पंचमकार पूजन का बहुत ही महत्व है- मद्य, मांस, मीन (मत्स्य), मुद्रा, मैथुन। वर्तमान में जो तंत्र का दुरुपयोग किया जाता है- परपीड़ा, मारण, उच्चाटन आदि वह तंत्र का वास्तविक स्वरूप नहीं है- ग्रन्थों में पंचमकार पूजन निम्न प्रकार है १. मद्य- जिस समय साधक की कुण्डलिनी, षट्चक्र का भेदन करके ब्रह्मरन्ध्र में स्थित सहस्रार चक्र पर पहुंचती है उस समय सोम-कमल-चक्र से श्वेत रंग का अमृत टपकता है। यही मद्य है। २. मांस- वाणी पर संयम करके काम, क्रोध आदि पशुओं को ज्ञानरूपी तलवार से मारकर अपने सब कार्य परब्रह्म को समर्पित कर देना ही मांस प्रयोग है। ३. मीन (मत्स्य)- गंगा (इडा), यमुना (पिंगला) नदियाँ (नाड़ियों) के बीच जो दो मछलियां (श्वास-प्रश्वास) है उनका (प्राणायाम के द्वार) नाश कर देना ही मत्स्य सेवन हैं। ४. मुद्रा- सहस्रार महापद्म के अन्तर्गत बंद पंखडी के भीतर जो विशुद्ध करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी होने पर भी चन्द्रमाओं के समान शीतल आत्मा है, वहां कुण्डलिनी से मिल जाने पर ज्ञान प्राप्त करने वाले को ही मुद्रा साधक कहते हैं। ५. मैथुन- सहस्रार के ऊपर वाले बिन्दु (लिंग) परमात्मा से अपने जीवात्मा और कुण्डलिनी को ले जाकर मिलाना ही मैथुन क्रिया है। लेकिन जैन और दक्षिणाचारी वैष्णव में भी इस पंचमकार क्रिया को कोई स्थान नहीं है। 427 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर इस तंत्र विद्या से मनुष्य सुख शान्ति और समृद्धि प्राप्त कर सकता है और वह सुख शान्ति समृद्धि भौतिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक भी प्राप्त कर सकता I भारतीय वाङ्मय में तंत्र - साहित्य का क्षेत्र बहुत विशाल है । यदि धर्म विशेष से संबद्धता को लेकर इसका विभाजन करें तो वह ब्राह्मण-तंत्र, बौद्ध-तंत्र तथा जैन- तंत्र इन तीन भागों में विभक्त होता है । ब्राह्मण - तंत्र की भी तीन शाखाएँ हैं- वैष्णव आगम (तंत्र), शैव आगम (तंत्र), शाक्त- आगम (तंत्र) । इन सभी में प्रचुर मात्रा में साहित्य सर्जित हुआ है। फिर भी ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण - तंत्र बाड्मय में शाक्त तंत्र का साहित्य सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है । इसी तरह बौद्ध तंत्र तथा जैन तंत्र में भी पुष्कल मात्रा में साहित्य का प्रणयन हुआ । एक समय भारत में बौद्ध तांत्रिकों का सर्वत्र जाल-सा बिछ गया था। उनके चार मुख्य पीठ थे- जालन्धर पीठ, कामाख्या पीठ, पूर्ण गिरि पीठ और औड्डयान पीठ। बीच के युग में स्वार्थान्ध, अल्पज्ञ लोगों ने तंत्र विद्या का बहुत दुरुपयोग किया, जिससे लोक-मानस में तंत्रों के प्रति अनास्था और अविश्वास का भाव पैदा हो गया। उनके अध्ययन और अनुशीलन का क्रम अवरुद्ध जैसा हो गया। तंत्रों में मंत्र भी प्रयोग में आते हैं और यंत्र भी । तत्रं में मंत्र का प्रयोग कभी-कभी आवश्यक भी होता है क्योंकि उससे तंत्र की शक्ति द्विगुणित हो जाती है । ब्राह्य दृष्टि से तंत्र आकर्षण, मोहन, मारण, उच्चाटन आदि का मार्ग बतलाता है । किन्तु सूक्ष्म दृष्टि से जैसा कि ऊपर कहा गया है कि वह मुक्ति का मार्ग भी बतलाता है। आकर्षण, मोहन, व वशीकरण मंत्र वश्य-कर्म के तीन भाग हैं। मंत्र, यंत्र व तंत्र । इन तीनों के द्वारा इनका प्रयोग होता है। कल्प- प्रकरण में इनके अनेक प्रयोग दिए हैं । यहा कुछ फुटकर तांत्रिक प्रयोग दिए जा रहे हैं। उनमें भी विद्वेषण, उच्चाटन व मारण कर्म के के अतिघातक प्रयोगों को सर्वथा छोड़ दिए हैं। क्योंकि ये बड़े उग्र व मलिन प्रयोग हैं, सर्वसाधारण में उन्हें प्रचलित करना हमने उचित नहीं समझा। जो प्रयोग मैं दे रहा हूं, उसके लिए भी साधकों से मेरा नम्र निवेदन है कि किसी अनिष्ट व दुष्ट भावना से ये प्रयोग कभी काम में न लायें। क्योंकि अपने किये हुए दुष्कर्मों के पाप से अनेक जन्मों में दुख, पीड़ा, कष्ट भोगना पड़ता है। तंत्र के प्रकार आकर्षण - कोई व्यक्ति निर्दिष्ट स्थान की ओर आकर्षित हो या किसी व्यक्ति या समूह का ध्यान व्यक्ति- विशेष की ओर विशेषतः खिचे, उसे, खूब चाहे, मान दे इज्जत दे उसे आकर्षण कहते हैं । मोहन- जो किसी प्राणी के मन पर अत्यन्त प्रभाव डाले, जो कहे वह करे, उसको सम्मोहन कहते है। 428 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर वशीकरण- किसी को दास के समान वश में करना, उससे मनचाहा काम लेना या साधक जो चाहे वह वैसा ही करे, उसे वशीकरण कहते हैं। नोट-शान्ति, पौष्टिक, स्तंभन, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, आकर्षण, वृंभण, विद्वेषण, मारण आदि तंत्र की परिभाषा देखें पेज न. ( 33 ) पर । तांत्रिक प्रयोगों में कई जगह छाल, फल, पत्ते, बन्दा, फूल, मूल, पंचमैल, पञ्चांग आदि काम में लाए जाते हैं। जहां तांत्रिक प्रयोग किए जाते हैं, वहां औषधि को नियत समय पर विधि-पूर्वक लाया जाना चाहिए। वही औषधि शक्ति-सम्पन्न होती है। कल्प व औषधियों को बाजीकरण प्रयोग भी तंत्र शास्त्र का ही अंग है। एतदर्थ वे दोनों ही इस विभाग में दिए हैं। जो सामान्यतया ध्यान देने योग्य बातें हैं, वे नीचे दी जा रही हैं:१. जिस दिन औषधि लानी हो उससे पहले दिन शुद्ध, पवित्र होकर निमंत्रण दे आए। २. निमंत्रण वाले दिन व औषधि लाने वाले दिन एक समय भोजन करें, ब्रह्मचर्य से रहें, अभक्ष्य पदार्थ न खाएं। जो समय नियत हो, उसी में औषधि लानी चाहिए। ४. कुएँ, बिल, देवमन्दिर, श्मशान व मार्ग में पड़ने वाले वृक्ष के नीचे उगने वाली व सड़ी-गली औषधि नहीं लेनी चाहिए। एकान्त स्थान, बगीचे व अच्छे वन में उगी हुई औषधि प्रयोग में लेनी चाहिए। मूल यानी जड़ लेते समय काष्ठ-शस्त्र ही काम में लेना चाहिए(धातु के औजार नहीं) । ७. अपने समय और वर्षा में वृक्ष बलवान रहा करते हैं। जड़ सूख जाने पर आधा बल रहता है। ग्रीष्म, वर्षा व शरद ऋतु में सम्पूर्णता रहा करती है. वृक्षों के जब फल व बीज आते हैं, तभी उन्हें प्रयोग में लेना चाहिए। वन के वृक्ष रात में व जल के वृक्ष दिन में बली होते हैं। ८. औषधियों के नाम भिन्न-भिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न रूपों में बोले जाते हैं अतः निघंटु-ग्रन्थों या आयुर्वेदज्ञों से उन्हें जान लेना चाहिए। (कुछ पर्यायवाची नाम इसी ग्रन्थ में पृष्ठ 521 पर देखें)। __ तंत्र में जिन औषधियों का प्रयोग किया जाता है, उन औषधियों के भिन्न-भिन्न शक्ति अधिष्ठाता देव हैं। इसलिए अधिष्ठाता देव को सर्वप्रथम नमस्कार कर लेना चाहिए। हर प्रयोग के लिए विश्वास व श्रद्धा रखना आवश्यक है। चंचलता व अविश्वास से प्रयोग निष्फल होता है। 10. पंचांग- फल, फूल, जड़, पत्ते व छाल को पंचांग कहते हैं। 11. पंच मैल- कान का मैल, दांत का मैल, आँख का मैल, जिव्हा का मैल व 3 429 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर स्ववीर्य को पंचमैल कहते हैं। 12. मूल- किसी भी पौधे व वृक्ष की जड़ को मूल कहते हैं। 13. बन्दा- किसी भी वृक्ष पर कोई दूसरा पौधा उग आए, उसे बन्दा कहते हैं उदाहरणार्थ, जैसे एक वट वृक्ष है, उस पर धूल के साथ कोई बीज गिर गया हो, वह उग आए, उसे बन्दा कहते हैं। त्राटक के मुख्य तीन भेद है: 1. आन्तर त्राटक, 2. मध्य त्राटक, 3. बाह्य त्राटक। आन्तर त्राटक- नेत्र बन्द कर भ्रूमध्य, नासिका का अग्रभाग, नाभि तथा हृदय आदि स्थानों पर चक्षु वृत्ति की भावना करके देखते रहना आन्तर त्राटक हैं। मध्य त्राटक- धातु अथवा पत्थर निर्मित वस्तु, काली स्याही के धब्बे आदि पर खुले नेत्रों से टकटकी लगाकर देखते रहना मध्य त्राटक है। बाह्य त्राटक- दीपक, चन्द्र, नक्षत्र व प्रातः उदित होते हुए सूर्य तथा अन्य दूरवर्ती दृश्यों पर दृष्टि स्थिर करने की किया को बाह्य त्राटक कहते हैं। वशीकरण तंत्र- मंत्र प्रयोग से पहले त्राटक को सिद्ध कर लेना जरूरी है। इसको सिद्ध करने के बाद ही व य आदि का प्रयोग करने चाहिए। मध्यम विधि से ही त्राटक करना चाहिए। उसके लिए सामान्य तथा निम्नांकित बातों का ध्यान रखना आव यक हैत्राटक के अभ्यास से नेत्र और मतिष्क में गर्मी बढ़ती है, अतः इस क्रिया के करने वालों के लिए त्रिफला व गुलाब जल से आखों को धो लेना आवश्यक है। फिर धीरे-धीरे दृष्टि को दाएं-बाएं, ऊपर नीचे घुमा लें ताकि तनाव निकल जाए। उच्चाटन विधि- सर्वप्रथम घण्टाकर्ण मूलमंत्र का जाप्य करें। उस समय पश्चिम दिशा की ओर मुँह करें, पीले वस्त्र पहनें पीले रंग की माला लें और 42 दिन में 44000 जाप्य करें। नित्य जाप लगभग 1000 करें। प्रातः काल 250,दोपहर 250, सायं काल 250, व अर्धरात्रि में 250 इस प्रकार विभाग कर लेवें। और जितने दिन जाप्य करना है उतने दिन नियम व कम से करें। तथा प्रत्येक दिन अष्ट द्रव्य से पूजा करें और जाप हो जाने के बाद हवन करें। हवन सामग्री- सरसों, बहेड़ा कड़वा तेल (सरसों का तेल) को मिलाकर देवदत्त (जिसका उच्चाटन करना हो, ) उस का नाम लेते जावें और हवन में सामग्री डालते जावें। ऐसा करने से देवदत्त को विघ्न व निग्रह होते हैं। इस प्रकार देवदत्त का उच्चाटन होता है। 430 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर क्या तंत्र-टोने-टोटकों से सफलता मिलती है? जी हाँ ! आस्था, विश्वास, प्रयास और उनकी सिद्धि के विविध नियमों का पालन तंत्र सिद्धि का मूल आधार है। जिसके द्वारा आपके सभी प्रकार के कष्टों का निवारण हो सकता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोई ऐसी बाधा अपनी जड़ें जमा लेती है जिस पर किसी भी उपचार या औषधि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, तो उस समय टोने- टोटके (तंत्र) ही काम आते हैं। ये तंत्र ही उसे हमेशा के लिये दूर कर देते हैं। कुछ तंत्र के टोटके केवल वस्तु के प्रयोग से ही सफल हो जाते हैं; जबकि कुछ टोटकों के प्रयोग में एक विशेष प्रकार की ध्वनि या मंत्र का भी उच्चारण करना पड़ता है। ( ध्यान रखने योग्य विशेष बात )) उतारों का एवं टोने-टोटको का संसार में विशेष ही अधिक महत्व है। बालकों को नजर लग जाने, किसी प्रकार की भूत बाधा ग्रस्त होने अथवा बीमार हो जाने पर झाड़फूंक के साथ ही उतारा भी किया जाता है। कोई भी उतारा सिर से पैर की ओर सात बार उतारा जाता है। ऐसा करने से वह बीमारी अथवा दुष्ट आत्मा उस मिठाई के टुकड़े आदि पदार्थ पर आ जाती है और उसे घर से दूर रख आने पर उसके साथ ही घर से बाहर चली जाती है। जैसे वार के तद् अनुसार कुछ टोटके निम्न प्रकार के हैंरविवार : बर्फी से उतारा करके बर्फी गाय को खिला दें। सोमवार : बर्फी के टुकड़े से उतारा करके गाय को खिला दें। मंगलवार : मोतीचूर के लड्ड से उतारा करके कुत्ते को डाल दें। बुधवार : इमरती अथवा मोतीचूर के लड्ड से उतारा करके कुत्ते को डाल दें। गुरुवार : पांच प्रकार की मिठाईयां एक दोने में रखकर उतारा करके उसमें धूपबत्ती और छोटी इलायची रखकर पीपल की जड़ में पश्चिम दिशा में रखकर लौट आएं, पलटकर पीछे न देखें और न ही रास्ते में किसी से बोलें। घर आकर हाथ-पैर धोकर कोई कार्य करना चाहिए। शुक्रवार : शाम के समय मोतीचूर के लड्ड से उतारा करें और कुत्ते को डाल दें। शनिवार : काले कुत्ते को इमरती या लड्ड डालना उत्तम रहता है। किस दिशा में कौन सा टोटका करें १. सम्मोहन- सिद्धि, देव कृपा प्राप्ति अथवा अन्य शुभ व सात्विक कार्यों की सिद्धि के लिये पूर्व दिशा की ओर मुख करके टोटके किए जाते हैं। किसी का अहित करने के लिये दक्षिण दिशा में मुख करके बैठकर टोटके किये जाते हैं। 431 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ३. मान सम्मान, प्रतिष्ठा व श्री लक्ष्मी समृद्धि के लिये पश्चिम दिशा में मुख करके टोटके करें, माह तिथि वार के अनुसार टोटके १. रोग- मुक्ति व स्वास्थ्य सम्बंधी टोटके मंगलवार के दिन श्रावण मास में करें। २. सन्तान व वैभव पाने के लिए बृहस्पतिवार को कार्तिक तथा अगहन माह में करें। ३. शत्रु से मुक्ति पाने के लिये मंगलवार के दिन ज्येष्ठ माह में टोटकें करें। ४. वशीकरण का प्रयोग शनिवार व सप्तमी तिथि को करें। टोना-टोटकों सम्बंधी वनस्पति लाने की विधि टोटकों को करते समय प्रायः किसी वनस्पति पौधे की जड़, छाल या पत्तियों आदि की आवश्यकता पड़ती है। उसे विधि-विधान से प्राप्त न किया जाये तो उससे कभी लाभ नहीं होता, अत: जिस दिन की वनस्पति हो, उससे एक दिन पूर्व संध्या समय में उसके पास पहुंचकर तीन बार निःसहि नि:सहि नि:सहि बोलकर अपने आराध्य का ध्यान करते हुऐ उत्तर या पूर्व की ओर मुँह करके भूमि पर बैठ जाएं और 'मम कार्य सिद्धि कुरू कुरू स्वाहा' मंत्र का जाप करके वनस्पति पर मौली (पंचरंगा) धागा बांधे और रोली या हल्दी का तिलक भी लगा दें। फिर जल अर्पण करें और जल चन्दन अक्षत पुष्प नैवेद्य दीप धूप फल अर्घ्य से पूजन करके प्रार्थना करते हुए कहें कि कल प्रातः मैं आपको लेने आऊँगा। फिर दूसरे दिन सूर्योदय से पूर्व ही स्नानादि से निवृत्त होकर उस पौधे या वनस्पति के समीप जाएं और तीन बार निःसहि नि:सहि नि:सहि बोलकर उस पौधे या वनस्पति में ताजा जल जड़ में डालकर फिर जड़, टहनी या पौध आदि जो भी लेना हो, उसे विधि अनुसार प्राप्त करें और आते समय तीन बार असहि: असहिः असहि: शब्द का उच्चारण करें। लेकिन ध्यान रखें पेड़-पौधों में भी जीवन होता है और उन पर अनेक अच्छी-बुरी आत्माएं भी निवास करती हैं। अतः जड़ी-बूटी अथवा छाल आदि वृक्ष से अलग करते समय हमें उस वृक्ष का और परमपिता परमात्मा का आभार मानते हुए उतनी ही मात्रा में लेना चाहिए जितनी हमें आवश्यकता है। नोट- पूजन करने में निम्नलिखित मंत्र बोलकर द्रव्य चढाएं। मंत्र- ॐ नमः सर्व भूताधिपतये ग्रस -२ शोषय भरर्वी चाज्ञापति स्वाहा। घर आकर पुनः मंत्र पढकर प्रयोग करें। विशेष- तंत्र का प्रयोग करने वाले को अपना आचरण शुद्ध रखना चाहिए तथा 432 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर किसी का अनिष्ट या बुरा करने के उद्देश्य से कभी किसी को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगर लोभ, लालचवश आप किसी का बुरा करते हैं तो इसका फल आपको बाद में भोगना पड़ेगा। दीपक में घी व तेल का प्रयोजनगाय के दूध के घी का दीपक सर्व सिद्धि कारक, भैंस के घी का मारण में, ऊंटनी के घी का विद्वेषण में, भेड़ के घी का शांतिकर्म में, बकरी के घी का उच्चाटन में, तिल के तेल का सर्वसिद्धि में, सरसों तेल मारण में प्रयोग किया जाता है। बत्ती का महत्ववशीकरण में श्वेत बत्तियों का, विद्वेषण में पीत, मारण में हरी, उच्चाटन में केसरिया, स्तम्भन में काली, शान्ति के लिए सफेद रंग की बत्तियों का प्रयोग किया जाता है। दिशा विचार- पूर्व दिशा में दीपक का मुख रखने से सर्व सुख की प्राप्ति, स्तम्भन, उच्चाटन, रक्षण तथा विद्वेषण में पश्चिम दिशा की ओर, लक्ष्मी प्राप्ति के लिए उत्तराभिमुख तथा मारण में दक्षिणाभिमुख दीपक रखना चाहिए कलश में वस्तुएं रखने का महत्वसामान्यतः कलश को जल से भरते हैं। किन्तु विशेष प्रयोजन में विशेष वस्तुएं रखे जाने का विधान मिलता है। जैसे- धन लाभ हेतु मोती व कमल का प्रयोग करते हैं, विजय के लिए अपराजिता, वशीकरण के लिए मोर पंखी, उच्चाटन के लिए व्याघ्री, मारण के लिए काली मिर्च, आकर्षण के लिए धतूरा, भरने का विधान है। धूप विचार- मुख्यतः अगर, तगर, देवदारु, छरीला, गूगल, लौंग, लोबान, कपूर, चंदन, कस्तूरी, खस, नागरमोथा से धूप बनायी जाती है। माला का महत्वरुद्राक्ष माला पहनने से ब्लडप्रेशर नहीं होता, पपीते के बीज की माला पहनने से प्लेग नहीं होता, कमल बीज की माला पहनने से रोग नहीं होता, मूंगे की माला पहनने से रक्त वृद्धि व शुद्धि होती है। ध्यान दें- सोते समय माला धारण न करें प्रातः स्नान के बाद ही धारण करें। जपते समय सुमेरु का उल्लंघन न करें। अर्थात् माला पूरी होते ही लांघे नहीं बल्कि आँखों को लगाकर पुनः जाप प्रारम्भ करें। खंडित माला से जाप न करें। ------0---- 433 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर । तंत्र प्रकरण हींग पेट रोग (1) रोग निवारक टोटके शरीर के किसी भी भाग में रोग होने पर नीचे दिये जा रहे टोटके करने से अवश्य ही लाभ होता है। इसकी विधि यह है कि जिस रोग से सम्बंधित वस्त्र में टोटके सामग्री बताई जा रही हैं उसको रविवार के दिन धारण कर मंगलवार को उतारकर किसी चौराहे पर फेंक देना चाहिए ध्यान रहे कि टोटका सामग्री को, संबंधित रोग के रंग वाले वस्त्र में पोटली बनाकर बांह, गले या कमर में धारण करना चाहिए। रोग वस्त्र टोटका सामग्री मुख रोग श्वेत जीरा शिरा रोग पीला धनिया हाथों के रोग बैगनी हृदय रोग नीला काली मिर्च हल्का नीला तुलसी पौधे की जड़ कटि (कमर) रोग हरा छोटी इलायची के दाने मूत्राशय रोग पीला हल्दी(खड़ी अवस्था में बांधे) जंघा सम्बंधी रोग लाल लाल मिर्ची गुप्त रोग नारंगी नागकेशर पैर का रोग श्वेत नागफनी की जड़ घुटने या नख रोग कत्थाई एरंड के बीज श्वास, रक्त, स्नायविक विकार काला, स्याहजीरा (काला जीरा) (2) असाध्य बीमारी दूर करने हेतु (1) असाध्य रोग :-अगर आपके परिवार में असाध्य रोगी है, तो एक देशी अखण्डित पान, गुलाब का फूल, कुछ बताशे पान में रखकर, मूलमंत्र पढ़ते हुए रोगी पर से ३१ बार उतार कर बिना किसी के टोके चौराहे पर रख दें, इससे रोगी को सुधार होगा। (2) असाध्य रोग :-क्षयरोग, कैंसर आदि कोई भी असाध्य रोग हो तो जौ को गौमूत्र में धोकर लाल कपड़े में बांधकर रोगी के पास रखें व “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं क्लौं - क्लौं अर्ह नमः' मंत्र का त्रिकाल जाप करें। धीरे-धीरे सभी रोग समाप्त हो जाएंगे। (3) असाध्य बीमारी भी करमाले की फली पास रखने से ठीक हो जाती है। 434 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (4) बीमारी दूर करने हेतु :- दीर्घ कालीन रोग हो तो पूर्ण रूप से पका हुआ सीताफल लेकर अंदर से खोखला कर लें व उसमें सात लोंग, एक खोटा सिक्का डाल दें व अपने ऊपर से ७ बार उतार कर मंगलवार को हनुमान मंदिर में चढाएं व पीछे मुड़कर न देखें। घर आकर सर्व रोग मुक्त मंत्र व पारसनाथ चालीसा पढ़ें ऐसा सात मंगलवार करने से अतिशीघ्र लाभ होगा। (5) रोग मुक्ति हेतु- यदि रोग जाने का नाम न ले तो भी रोगी के वजन के बराबर कोयला पानी में बहाये व सर्व रोगमुक्ति मंत्र की जाप करें लाभ होगा। (6) अनेक रोगों की दवा- अजवाइन का सत् (फूल), पीपरमेंट और कपूर इन तीनों को बराबर लेकर शीशी में बन्द करें, इसे अमृतधारा कहते हैं। यह पेट दर्द, सिर दर्द, जी मचलाना, आदि रोगों में लाभदायक होती है, इसे जीभ के छालों पर भी लगाई जाती है। (7) यदि रोग पीछा न छोड़ रहा हो तो सहदेई की जड़ अपने पास रखने से शीघ्र लाभ होता है। (8) सर्व रोगशमन तंत्र- अरलू की लकड़ी रात्रि में मिट्टी के बर्तन में पानी में भिगोकर रखें, प्रातः उस पानी को पिलाने से सर्व रोग शान्त हो जाते हैं। (9) रोग निर्वृत्ति हेतु- शनिवार को थोड़े से जौ के दाने, एक मुट्ठी काले उड़द, एक मुट्ठी काले तिल लेकर पीसकर आटा बना लें, तथा उसकी एक रोटी बनाकर सेंक लें, फिर उस पर तिल का तेल चुपड़ दें व गुड़ रख कर रोगी के ऊपर से ७ बार पैरों से सिर तक णमोकार मंत्र पढ़ते हुए उतार कर भैंस को खिला दें, ऐसा ७ शनिवार करें। (10) स्वास्थ्य लाभ हेतु- धान कूटने वाला मूसल व झाडू- अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से उतार कर (घुमाकर) उसके सिरहाने रख दें और अपने बायें पैर का जूता उस अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से सात बार घुमावें और प्रत्येक बार उल्टा जूता जमीन पर पीटें और सात दफे उस व्यक्ति को जूता सुंघा दें तो अस्वस्थ व्यक्ति ठीक हो जायेगा। ( 11 ) फेंट व फिटोड़ा ( अस्वस्थ होने) पर- एक थेपड़ी (गाय के गोबर का उपला) व जली हुई लकड़ी की राख को पानी से भिगोकर एक लड्डु बनायें उसमें एक दस पैसे का सिक्का खोंस दें व एक लोहे की कील भी ठोस दें और रोली व काजल की उस लड्ड पर सात सात टीकी लगा दें और उस लड्डु व थेपड़ी को अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से उतार कर (यानि घुमाकर) मौन चुपचाप जाकर चौराहे में रख दें सूर्य अस्त के समय। पीछे मुड़कर नहीं देखें तो वह व्यक्ति बहुत जल्द स्वस्थ हो जायेगा। रोग शान्ति का उपाय -रात्रि को रोगी के सिरहाने रूपया दो रूपये रखें। प्रातः काल भंगी (जमादार) को दें। यह क्रिया 43 दिन लगातार करें यह पूर्व जन्म का ऋण है। जो चुकाना ही पड़ेगा। इससे रोग शान्त हो जाता है। 435 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (3) सर्व ज्वर निवारण तंत्र (1) ज्वर निवारण-नारियल की जड़ को गले में बांधने से महाज्वर दूर हो जाता है। (2) एक तारा बुखार- श्वेत अर्क की जड़ पुरुष के दांये और स्त्री के बायें हाथ में बांधने से एक तारा ज्वार चला जाता है। अथवा मयूर शिखा को लाल कपड़े में रखकर कमर या हाथ में बांधे। (3) तिजारी बुखार- अपामार्ग को लाल कपड़े में रखकर कमर में बांधे अथवा छोटी दुद्धी को कमर या हाथ में बांधे। (4) रात्रि ज्वर- मोगरे की मूल को कान में बांधे तो ज्वर जाये। (5) सर्व ज्वर निवारण तंत्र- रविवार के दिन आक की जड़ को उखाड़ कर कान में बांधने से हर प्रकार का ज्वर शीघ दूर हो जाता है। (6) रात्रि ज्वर नाशक तंत्र- मकोय की जड़ को कान में बांधने से रात्रि में आने वाला ज्वर शीघ्र दूर हो जाता है। (7) शीत ज्वर की पारी रोकने का तंत्र- मंगलवार अथवा रविवार के दिन सात गांठ लहसुन की पीसकर काले कपड़े पर रखकर रोगी के पांव के अंगूठे से बांध दें। तीन घंटे का समय बीत जाने पर उसे अंगूठे से खोलकर चौराहे पर फेंक देने से शीत ज्वर की पारी रुक जाती है। (8) तिजारी ज्वर पर ताबीज तंत्र- सफेद ओंगा (अपामार्ग) की जड़ रविवार को लाकर लाल कपड़े में लपेटकर उसी दिन तिजारी ज्वर तथा चौथिया ज्वर वाले रोगी के बाँयें हाथ में बांध दें। फिर ज्वर नहीं आवेगा। (9) भूत ज्वर का तंत्र- हुलहुल की जड़ को कान में डालने से भूत ज्वर शीघ्र दूर होता है। (10) ज्वर पर तंत्र- कुत्ते ने जहां पेशाब किया हो उस जगह की मिट्टी लाकर उस की गोली बनाएं और उसको सुखाकर ज्वर वाले के गले में बांधने से ज्वर चला जाता है। (11) ज्वर निवारण- रविवार के दिन प्रातः काल अपामार्ग की जड़ उखाड़ लाए और सफेद सूत के सात धागों से जड़ को लपेटकर रोगी के गले में धारण करा देने से ज्वर उतर जाएगा। ( 12 ) शीत ज्वर निवारण- रविवार के दिन प्रातः काल सफेद धतूरे की जड़ लाकर धागे में पिरोकर तीन गांठ बांधे और रोगी के दाए बाजू पर बांध दें तो शीत ज्वर से मुक्ति मिल जाएगी। 436 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (13) अपामार्ग की जड़ अविवाहित के हाथ से रोगी के हाथ में बंधवाने से सभी प्रकार के ज्वरों का निवारण होता है इसमें संशय नहीं है। ( 14 ) ज्वर खत्म हो - शमशान की मिट्टी में कोयला मिलाकर उसमें हथनी का दूध डाल दें और नीले वस्त्र से ताबीज बनाकर रोगी के गले में बाँध दें तो ज्वर खत्म हो जाएगा । (15) श्मशान में पैदा हुई दूब की जड़ को रविवार के दिन लाकर सूत से लपेट कर हाथ में बाँधने से सर्व प्रकार का ज्वर मिट जाता है । (16) नील की जड़ को कान में बाँधने से सब प्रकार के ज्वर उतर जाते हैं। (17) चौलाई की जड़ को अपने सिर पर बाँधने से भयंकर ज्वर भी मिटता है । (18) जटामांसी की मूल लेकर उसके सात सम भाग करके उन्हें लाल रंग के धागे में पिरोकर भुजा में धारण करने से सभी प्रकार के ज्वर एवं पेचिश । (4) कान दर्द दूर करने का तंत्र (1) गुंजा की जड़ को कान पर बांधने से भी दाढ के कीड़े झड़ जाते हैं। (2) दूधी की जड़ को कान में बाँधने से बारी से आने वाला बुखार उतर जाता है। (3) यदि रोगी का मलेरिया रोग किसी भी औषधि से नहीं मिटता है तो उसे अकस्मात् ऐसी बात कहो ताकि वह चमक सा जाय फिर मलेरिया निश्चित मिट जाएगा । ( 5 ) आँख में पीड़ा (1) आंख के सर्व रोग नष्ट हों :- मनुष्य की खोपड़ी पर, रतांजन, भीमसेन कपूर तथा रवि पुष्य के दिन जिस स्त्री के पहली बार प्रसूति में पुत्र पैदा हुआ हो उस स्त्री के दूध में, रवि पुष्य के दिन गोली बनावे, काम पड़े तब तीन दिन आंख में अंजन करने से, आंख के सर्व रोग नाश को प्राप्त होते हैं । (2) माँ का दूध आँखों में डालने से दुखती आँखें ठीक हो जाती हैं। (3) आँख में पीड़ा :- यदि आंख में पीड़ा हो तो किसी भी शिशु (बच्चे) की माँ के बांये स्तन के दूध की कुछ बूंदे आंख में टपकवा लें, पीड़ा तत्काल दूर हो जाती । (4) रोना बन्द हो - खड़िया मिट्टी को कपड़े की थैली में डालकर गले में बांधने से अधिक रोना बन्द होता है । ( 6 ) निद्रा स्तंभन (1) निद्रा स्तंभन - कटेली की जड़ को और मुलहठी को समभाग में लेकर पीसे, फिर नाक से सूंघे तो निद्रा का स्तंभन होय । 437 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (2) नींद आने हेतु - काकजंघा की पतली जड़ में काला धागा लपेटकर गांठ लगा दें और उसे सिर में बांध लें तो खूब नींद आएगी । (3) निद्रा पर तंत्र - १. केंचुवे की जड़ पीसकर जिसके सिर पर डाल दी जाय, उसको खूब निद्रा आती है। (4) फिटकरी का टुकड़ा बच्चे के गले में बांध देने से बच्चा सुख की नींद सोता है । (5) अनिद्रा :- सोते समय नीबू, शहद ( चासनी), एक गिलास पानी से पीने से गहरी नींद आती है। (6) नींद न आए तो :- नींद लाने के लिए सफेद घुंमची ( श्वेत गुन्जा, सफेद चिरमी) की जड़ सिरहाने ( मस्तक के नीचे ) रखकर सोने से गहरी नींद आती है। . (7) बृहस्पतिवार को केवांच की जड़ पीसकर माथे पर लगाने से अच्छी नींद तथा अनिंद्रा से छुटकारा मिलता है। I (8) निद्राभय- मूंगे को गले में लटकायें तो निद्राभय दूर हो। (9) गहरी नींद :- गधे का दांत सिरहाने रखने पर गहरी नींद आती है । (10) नींद हेतु- अनिद्रा की स्थिति में मेंहदी के मूल सिरहाने रखें तो अच्छी नींद आती हैं। (7) आधा शीशी का दर्द दूर करने का तंत्र (1) आधा सिर दर्द दूर - सफेद चिरमी की जड़ घिसकर सूंघे तो आधा शीशी रोग नष्ट होता है । (2) आधा शीशी - गाय के घी में सोरा मिलाकर सूंघने से आधा शीशी रोग जाता है। (3) आधा शीशी दर्द दूर - 1. नौशादर और बड़ी इलायची के छिलके दोनों को बारीक पीस कर जिस तरफ के नासिका छिद्र में सूंघे उसी तरफ का आधा शीशी का दर्द दूर हो जाएगा। (४) सफेद चन्दन को काट कर उसमें गूगल की धूप देकर अगर अपनी भुजा में बाँधे तो आधा शीशी दर्द दूर हो जाये । (5) आधा शीशी का दर्द दूर करने का तंत्र - जिस व्यक्ति को आधा शीशी के दर्द का रोग हो, वह प्रातः काल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके अपने हाथ में एक गुड़ की डली लेकर उसे दातों से काटकर चौराहे पर फेंक दे तो आधा शीशी का दर्द दूर हो जाता है। (6) सफेद चिरमी (गुंजा) की जड़ घिसकर सूंघे तो आधा शीशी मिटे | (7) शिरोपीड़ा:- मोल श्री (संस्कृत में केसव, हिन्दी पंजाबी में मोलसरी या बकुल, बंगाली में गाछ, गुजराती में बोलसरी, तमिल में अंलागु केसारम कहते हैं) का 438 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र तन्त्र अधिकार मुनि प्रार्थना सागर अर्क सिर पर लगाने से त्वरित लाभ होता है। (8) शिरोपीड़ा - जामुन के पत्ते का रस सिरदर्द में अचूक दवा है । ( 8 ) मानसिक तनाव दूर (1) चित्तभ्रम - शैल खड़ी सिंघदराज को घिसकर उसे छेदकर अंगूठी में पहन लें तो चित्तभ्रम मिटे | (2) मानसिक तनाव दूर करने- अपने शयन कक्ष में रात्रि सोने से पूर्व अपने सिरहाने कपूर का एक टुकड़ा नित्य जलाने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है । (3) मानसिक तनाव - विधि पूर्वक लाई गई निर्गुण्डी की जड़ को धारण करने से विवाद समाप्त होकर मानसिक तनाव दूर होता है । (4) यदि आप मानसिक रोग से ग्रस्त हैं तो अपने शयन कक्ष में शुद्ध घी का दीपक जलाकर रखें तथा सोते समय गुलाब की अगरबत्ती भी जलाएं। (5) भय मुक्ति - शनिवार को सवा पाव काले तिल काले कपड़े में बांधकर ७ बार उतार कर नदी में फेंक दें, दिल से भय दूर हो जाएगा। (9) नकसीर ठीक (1) नकसीर ठीक - सूखी मिट्टी का डला सूंघने से नाक का रक्त बन्द हो जाता है । (2) कबूतर की बींट सूँघने से नकसीर बन्द हो जाती है। (2) आर्द्रा नक्षत्र युक्त पुक्रवार को सफेद कनेर की जड़ लाकर सफेद धागे में डालकर गले में धारण करने से नकसीर नहीं होती है। ( 10 ) गूंगा बोले (1) गूंगा बोले- गूंगे व्यक्ति के पास नित्य दो तीन घंटे शंख बजाने, व शंख में पानी भरकर रखने चौबीस घंटे बाद शंख भस्म मिलाकर वह पानी पिलाने तथा दो छोटेछोटे शंख छेद करके धागे में पिरोकर गले में पहनाने से गूंगा मनुष्य बोलने लगता है । पहले रिवाज था कि बच्चे के गले में दो छोटे शंख बांधने से बच्चा जल्दी बोलने लगता है। ( 11 ) दाँत (दाढ़ ) की पीड़ा हर तंत्र (1) दाढ़ के कीड़े - घूंघची की जड़ को कान से बांधने से दाढ़ के कीड़े झड़ जाते हैं। दाँत की पीड़ा हर तंत्र - सफेद चिरमी (गुंजा) की जड़ कान में बांधे तो दांत की पीड़ा मिटे | ( 12 ) वमन (कै) बंद करना (1 ) उल्टी दस्त बन्द : आक(मदार) की लकड़ी का पर्याप्त मोटा टुकड़ा दोनो हाथों से 439 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर कसकर पकड़ने से उल्टी दस्त बन्द हो जाते है। (13) हिचकी शांत होय (1) हिचकी- अरीठा को गले में बांधे तो हिचकी बन्द हो। (2) कौड़ी को जलाकर नाक में सुंघावें तो हिचकी जाती है। (3) हिचकी शांत होय-दूध पिलाने वाली मां अथवा धाय के कपड़े में से एक टुकड़ा फाड़कर, पानी में भिगोकर बच्चे के माथे पर रखें तो हिचकी रोग शांत होय। (4) हिचकी शान्त-रीठे के फल को धागे में गूंथकर गले में बांधे तो हिचकी रोग शान्त होय। नजर न लगे। (14) खाँसी पर तंत्र (१) खाँसी पर तंत्र- लजालू (छुइमुई) की जड़ गले में बांधने से खांसी मिटती है। (2) लोबान पौधे की जड़ उत्तराषाढ़ नक्षत्र में किसी रविवार में घर लाकर विधिवत् पूजा करें। तत्पश्चात् रोगी के गले में गुलाबी धागे में धारण करें इससे खाँसी में आराम होता हैं (15) श्वांस (1). सफेद कटेली की जड़ ज्येष्ठा नक्षत्र युक्त बुधवार को हरे धागे में धारण करने से ___ दमा आदि रोगों से आराम मिलता है। __ (16) हृदय रोग (1) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र (सूर्य) में बेत की जड़ खोदकर अपने घर पर लावे। गुलाबी धागे में दाहिनी भुजा में डाले। इससे हृदय पुष्ट एवं रक्त संचार संतुलित रहेगा। (2) विधारा की जड़ ज्येष्ठा नक्षत्र में दाहिनी भुजा में हरे धागे में डालने से रक्तचाप में लाभ होता है। .(3) मूल नक्षत्र में ताड़ की जड़ लाकर मंगलवार को धारण करने से अम्लता के रोग ठीक हो जाते हैं। (4) जसौंदी की जड़ मंगलवार को दाहिनी भुजा में डालने से अम्लता रोग का निवारण होता है। (17) पेट दर्द (1) पेट दर्द- कपूर पर २१ बार णमोकार मन्त्र पढ़कर खिलाने से कैसा भी पेट दर्द हो बन्द हो जाता है। (2) धरण- भिन्डी की जड़ थोड़े समय धरण पर रखें तो धरण ठीक हो जाती है। (3)संग्रहणी पर तंत्र- गेहुँअन (पीला) सर्प की केंचुली को कपड़े की थैली में सीकर 440 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पेडू के ऊपर बांधने से संग्रहणी के रोग में लाभ होता है। (4) वायुगोला ठीक- घोड़े की नाल या नाव की कील निकालकर उसका कड़ा बनाकर उसे पहने तो वायुगोला ठीक होय। (5) मंगलवार को गुलाब की जड़ खोदकर लाकर लाल धागे में भुजा में धारण करें। जिससे अजीर्ण संबंधी रोग दूर होते हैं। (18) घुटने का दर्द (1) माजुम सुरेजानं, १२.५ ग्राम गर्म पानी से लेवें तो दर्द घुटने का अच्छा होता है। ___ (19) एक्जिमा रोग (1) कनेर की जड़ की छाल को 4 गुण तिल्ली के तेल में इतना पकायें की जलकर काली हो जाये। छानकर रख ले। इसे हर रोज एक्जिमा पर लगाये तथा 3-4 पीपल की कोपलें भी खायें इस प्रकार एक्जिमा ठीक हो जाता है। (20) मूत्र रोग (1) केले के वृक्ष की छाल का रस गौ के घी के साथ रोगी को दें। जिससे मूत्र की जलन शान्त होती है। इसको सोमवार या चंद्रमा के नक्षत्र (हस्त, रोहिणी, श्रवण) या चंद्रमा के होरा में लायें। (21) दस्तों पर तंत्र (1) दस्तों पर तंत्र- सहदेई की जड़ के सात टुकड़े करके लाल डोरे में लपेट कर कमर में बांधने से अतिसार दूर होता है। (2) दस्त- पत्थर चूल की जड़ तांबे के यंत्र में या कपड़े में रखकर गले में बांधे तो दस्त बन्द हों। ( 22 ) बवासीर रोग ठीक होय (1) मस्सा नष्ट-पिटारी (कांकश्री) की जड़ को संध्याकाल में लेकर कमर में बांधने से इस रोग (मस्सा) का नाश होता है, लेकिन जड़ को चौदस के दिन विधि-विधान पूर्वक लायें। (2) बवासीर-घनिष्ठा नक्षत्र में बबूला का बंदा कमर में बांधे तो बवासीर रोग नष्ट होता (3) दाएं हाथ की मध्यमा में लोहे की अंगूठी पहनने से बवासीर व पथरी रोग ठीक होता है। (4) बवासीर- काले धतूरे की जड़े कम छह मासा प्रमाण चूर्ण कर कमर में बांधे तो प्रत्येक प्रकार की बवासीर नष्ट होती है। 441 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (5) गंगा पार की ताम्बा लाकर चने में मिलावें और कूटकर गुदा में धूनी दे तो बवासीर का रोग शान्त होता है अथवा सर्प की केंचुली को मस्से के नीचे बांधे तो बवासीर ठीक होता है। ( 6 ) मस्से - प्रातः काल बासी थूक लगाएं, चूना लगाएं व पान के डाँड़ से उसे साफ करें। अथवा, बैंगन को काटकर रगड़ें, उसकी झाग लगाएं। (7) बवासीर- काले धतूरे की जड़ कमर में बांधे तो प्रत्येक प्रकार की बवासीर नष्ट होती है। (8) विशाखा नक्षत्र युक्त बृहस्पतिवार को या होरा में काले धतूरे की जड़ को कमर में बाँधने से बवासीर से आराम मिलता है। ( 23 ) मधूमेह (1) शुक्रवार या शुक्र की होरा में सरपंखा की जड़ दाहिनी भुजा में डालने से मधुमेह रोग में आराम रहता है । ( 24 ) मर्कटिका रोग नष्ट (1) रोग नष्ट-सफेद कनेर की जड़ को रविवार के दिन लाकर कुमकुम रंग के डोरे में वामहस्त में बांधने से (मर्कटिका) रोग नष्ट होता है I ( 25 ) सेऊआ होने पर ( 2 ) सेऊआ होने पर - शरीर में सफेद-सफेद चिट्टे या कभी-कभी गले-पेट आदि में चिट्टे हो जाते हैं उन्हें सेऊआ कहते हैं । तो यदि सेऊआ हों तो शोंच ( टट्टी ) करते समय जो पेशाब निकले उसें एक बर्तन में रख लें फिर गुदा साफ करने के बाद उन्हीं हाथों से उस पेशाब को सेऊओं पर लगायें, फिर 25 मिनट बाद स्नान कर लें और ऐसा प्रयोग तीन दिन करें अथवा तीन रविवार बुधवार करें तो निश्चित ही सेऊओं से मुक्ति मिलती है। (26) चेचक रोग निवारण (1 ) चेचक रोग निवारण- बहेड़े की गुठली को सफेद डोरे में पिरोकर रोगी के गले में धारण कराने से चेचक रोग शान्त हो जाता है । (2) तुलसी के पत्ते बच्चे को खिलावें तो चेचक जाती रहती है। आवश्यकतानुसा (४०/५०) । ( 27 ) मोटापा (1 ) मोटापा व पथरी : रांगे का छल्ला मध्यमा उंगली में धारण करने से मोटापा दूर होता है। इसी तरह लोहे का छल्ला बाएं व दाएं हाथ की एक-एक उंगली में पहनने से 442 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पथरी रोग धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। (28) दुर्बलता दूर करने हेत (1) माधवी की मूल को जल में पीसकर पान करने से स्त्रियों की कमर पतली हो जाती (2) स्त्रियों की दुर्बलता दूर करने हेतु- कमल गट्टे के चूर्ण को मिश्री मिले दूध के साथ १ माह तक सेवन करने से शरीर की दुर्बलता दूर होती है। (3) दुबलेपन तथा कमजोरी के लिए :-भांग १०० ग्राम, नागौरी असगंधा १००ग्रा. ईसबगोल की भूसी १०० ग्राम, विदारीकंद१०० ग्राम, शतावर १०० ग्राम., इन सब का चूर्ण बनाकर ५०० ग्राम, मिश्री का चूर्ण भी अच्छी तरह मिला लेवें, फिर इसमें से तीन ग्राम चूर्ण शीतकाल में गाय के दूध से तथा ग्रीष्मकाल में आंबले के मुरब्बे से प्रात:काल लें, कुछ ही दिनों में शरीर हष्ट-पुष्ट तथा बलवान हो जाता है। (4) जो पुरुष एक तोला मुलहठी के चूर्ण को घी और चासनी (शहद) में मिलाकर चांटे और दूध का अनुपान करे तो वह अति वेगवान हो जाता है। ( 29 ) अतिसार रोग नाश (1) अतिसार रोग नाश- सहदेई बूटी रविवार को उखाड़कर लाएं और सात टुकडों में बांटकर लाल धागे में पिरो कर के गले में धारण करायें तो रोगी स्वस्थ हो जाएगा। (30) सूखारोग (1) सूखारोग- मजीठ की लकड़ी में छेद करके लाल या सफेद कच्चे धागे के डोरे में पिरोकर रोग पीड़ित बच्चे के गले में पहना दें तो बच्चा बिल्कुल स्वस्थ हो (31) पोलियो निवारण (1) पोलियो निवारण- रविवार के दिन पुनर्नवा की जड़ लाकर सफेद सूत के नौ धागे लेकर एक डोरा तैयार करें। उन डोरे में पुनर्नवा बूटी को २१ छोटे-छोटे टुकड़े करके माला की तरह अलग अलग बांध दें । तत्पश्चात मूल मंत्र का स्मरण कर रोगी के गले में पहना दें। जब रोगी ठीक हो जाए तो बूटी की माला हरे वृक्ष की डाल पर लटकाकर घर चले आएं। (32) पीलिया (1) पीलिया :-पीलिया होने पर सिरहाने के पास मूली रखे। (2) पुनर्नवा बुटी की जड़ को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर इसकी माला रोगी को डालने से कुछ दिनो में पाण्डु रोग (पीलिया) निवारण होता है। (33) मृगी रोग शान्त जाएगा 443 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (1) मृगी रोग शान्त - अकरकरा को सूत में लपेटकर गले में बांधे तो मृगी रोग शांत होय । (2) मिरगी पर तंत्र - २१ जायफल की माला हरदम गले में रखने से मिरगी नहीं आती । (3) मिरगी - काली हल्दी को धारण करने से मिरगी समाप्त होती है। (4) रेशम के धागे मे ं जायफल को लपेटकर रोगी को पहनाने से भी मिरगी रोग दूर हो जाता है। ( 34 ) बहता रक्त बन्द हो (5) बहता रक्त बन्द हो- जंवासा की जड़ को पीसकर सिर पर लेप करने से शरीर में कहीं से भी खून बहता हो तो बन्द हो । ( 35 ) सुन्न अंग (1) सुन्न अंग - जब शरीर का कोई भाग कारण वश सुन्न हो जाए तो उस भाग पर अंगुली से २७ का अंक लिख दें तो तुरन्त ठीक हो जाएगा। ( 36 ) कुष्ठ रोग (1 ) बिछुआ की जड पुष्य नक्षत्र युक्त शनिवार को लोहे के ताबीज में डालकर काले धागे में धारण करने से कुष्ठ रोग ठीक रहता है । (37) हड्डी टूटने या मोच आने पर - दर्द निवारण (1) हड्डी टूटने या मोच आने पर - दर्द निवारण - हड़ जोड़ लकड़ी के टुकड़े में सफेद कच्चे धागे के डोरे से पीड़ा युक्त अंग में बांध दें तो हड्डियों का दर्द, सूजन, मोच आदि ठीक हो जाते हैं और शनैः-शनै: टूटी हुई हड्डी भी जुड़ जाती है । ( 38 ) बच्चों के रोग दूर करने का तंत्र (1) सफेद घुंमची को पीसकर गुड़ में खाने से खांसी का प्रकोप समाप्त होता है। (2) बच्चों की खाँसी दूर करने का तंत्र- एक कपड़े की थैली में कौए की बठ बांधकर बालक के कंठ में लटका देने से खांसी में लाभ होता है । यदि बींठ की थैली रविवार के दिन लटकाई जायेगी तो बालक का कव्वा उठ आवेगा । (3) खाँसी पर तंत्र - लजालू (छुइमुई) की जड़ गले में बांधने से खांसी मिटती है। (4) बालक को खाँसी हो तो अनार का छिलका मुँह में दबा कर चूसें । (5) बालक की नाभि पक जाए तो दिए का तेल लगावें या हल्दी लौंध और नीम के फूल बारीक पीसकर लेप करें। 444 Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (6) गले का काग बड़ गया हो तो चूल्हे की राख याने चूल्हे की मिट्टी निकालकर कालीमिर्च को पीसकर अपने अँगुली पर लगाकर चतुराई से लगा दें। (7) बालक की आँखें गर्मी सर्दी से या दाँत निकलने के समय दु:खने लगती हैं तब रसौद को पानी में घिसकर लेप करें। (8) बालक की रक्षा- धृत,आक का दूध, कनटी (मेनसिल) और वि व भेशज (सोंठ) का लेप करने से भी भूतग्रह व्याधि विघ्नों से बालक की रक्षा होती है। (39) बच्चों के दांत निकलने में सरलता (1) बालक के दांत निकलने का फल- यदि बालक दांत निकले हुए पैदा हो अथवा उसके पहले माह में दांत निकल आवे तो बालक सम्पूर्ण कुल को नष्ट कर देता है। दूसरे माह में निकले हुए दांत पिता अथवा बालक के अत्यन्त शीघ्र नाश को प्राप्त होने को सूचित करते हैं। तीसरे माह में माता-पिता या स्वयं बालक की ही मृत्यु हो। चौथे माह में अपने से बड़े भाई या भानजे की मृत्यु हो। पांच माह में निकले दांत से पिता की सम्पत्ति जनावर आदि नष्ट होते हैं। छठे माह में निकले तो सर्वनाश होकर खूब कलह होती है सातवें माह में धनधान्यादि नष्ट हो जाते हैं। (2) शांति का उपाय- पूर्व में उगी हुई सफेद सिंदूरनार की जड़ को बालक के कंठ में बांधने से दांतों से पैदा हुए दोष शांति को प्राप्त होते हैं। (3) दांत निकले–कपूर की डलियों की माला बनाकर बच्चे के गले में पहनावे तो सुखपूर्वक दांत आयेंगे। (4) बच्चों के दांत निकलने में सरलता- सिरस के २१ बीजों में छेद करके सफेद सूती धागे में पिरोकर माला तैयार कर बच्चे के गले मे पहना दें तो उसके दांत आसानी से निकल आएंगे। (5) दांत आसानी से आयें- सम्हालू की मूल गले में बांधने से बच्चों के दाँत आसानी से आते हैं। अथवा हाथ पैर में लोहे का कड़ा पहना देने से बालक को नजर भी न लगे व दांत भी सुविधा से निकलते हैं। (6) बच्चा मां का दूध पीने के बाद तुरन्त वमन कर दें तो उसके निकट शीघ्र ही कांसे का बर्तन रखकर बजायें इस टोटके से वमन का वेग रुक जाता है। मां उसके मुंह में अपने मुंह की भरी वायु छोड़े तो भी वमन रुक जाता है। (7) शंखपुष्पी की जड़ शुभ मुहूर्त में लाकर भुजा में बांधने से बिना कष्ट के दांत निकल आते हैं 445 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (8) बच्चों के दाँत आराम से निकलने का तंत्र- सीपियों की माला बालक के गले में पहना देने से दांत आसानी से आयेंगे । (40) बिस्तर ( शय्या) मूत्र निवारण (1) बच्चा बिगड़ गया हो - उड़द की दाल के कच्चे पापड़ पर साबुत काले उड़द, गुड़, सरसों के तेल का दीपक, दो लोहे की कीलें, लोटे में थोड़े काले तिल डालकर जल, सिन्दूर व लाल गुलाब सजाकर शनिवार को शाम को पीपल के पेड़ के नीचे रखें व लोटे का जल पीपल पर सात शनिवार चढ़ायें । ( 41 ) बच्चे का डरना (1) बच्चे का डरना- रात को सोते समय यदि बच्चा डरे तो उसके सिरहाने फिटकरी का टुकड़ा रखें, (2) यदि बच्चा शयनकाल में चमक जाता हो तो आटे का दीपक बनाकर उसमें रुई की चार बत्तियाँ प्रज्वलित कर बच्चे पर कुमकुम युक्त पानी का पात्र सात बार उतारकर दीपक चौराहे पर रख दें और पात्र के पानी को दीपक के चारों ओर गोलाकृति में बिखेर दें। ध्यान रखें कि ऐसा करके सीधे घर आ जाएं, पीछे मुड़कर न देखें। भले ही कोई भी पीछे से क्यों न पुकारे । (3) अपस्मार रोग शान्त होय-भेड़िये के दांत को बालक के गले में बांधे तो अपस्मार शान्त होय । (( 42 ) नजर लगने पर तंत्र (1) नजर न लगने का तंत्र :- मंगलवार के दिन शुभ मूहूर्त में बिना किसी लोहे के औजार की सहायता से काले धतूरे की मूल का एक टुकड़ा उखाड लायें। इसे काले नमक के एक ढेले के साथ ताबीज में रखकर, काले डोरे में गले अथवा भुजा पर बाँधने से बच्चे और बड़े दोनों ही नजर से बचे रहते हैं । (2) नजर लगने पर तंत्र - यदि जवान व बूढ़े किसी को भी नजर लग गई हो खानापीना छूट गया हो, अस्वस्थ रहने लगा हो तो चौराहे की रेत ( इसको मौन रहकर लाये) में नमक, राई व सात लाल मिर्च साबूत मिलाकर शनिवार व रविवार को तीनों समय (सुबह, दोपहर व शाम को ) सूर्य अस्त के समय उस व्यक्ति के ऊपर से घुमाकर चूल्हे में डाल दें तो उसकी नजर उतर जावेगी । (3) नजर लगना - नजर लगे तो रुई की बत्ती को सरसों के तेल में भिगोकर शनिवार या मंगलवार को बच्चे पर सात बार उतारें तथा उसे चिमटे से पकड़ कर उसका सिरा जलादें तथा नजर वाले व्यक्ति को दिखाते हुए उसको जल में टपकने दें, जब बत्ती 446 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (6) पूरी जल जाए तो उसे पानी सहित रास्ते पर फेंक दें। (4) नजर लगना- गाय के ताजे गोबर का दीपक बनाकर, उसमें छोटा-सा गुड़ का एक टुकड़ा व सरसों का तेल डालकर घर के प्रमुख द्वार की दहलीज के मध्य जलाकर, नजर लगे व्यक्ति को दिखाकर दीपक की ज्योति को चप्पल अथवा जूते से बुझा दें। (5) रीठे के फल को धागे में बांधकर बच्चे के गले में बांधने से उसे नजर नहीं लगती है तथा हिचकी रोग भी शांत होता है। नजर न लगे- सफेद आंकड़े की जड़ बच्चे के गले में बांधने से नजर नहीं लगती है। (7) नजर दोष- पीड़ित व्यक्ति पर ७ बार नींबू उतार कर २ टुकड़े कर चौराहे पर फेंक दें। (8) दृष्टि दोष- रात्रि में सिरहाने के नीचे नमक की पोटली रखकर प्रातः जल्दी उठकर अपने सिर का उतारा करके फेंक देने से रोग में लाभ होता है। (9) नजर लगने पर- एक नींबू लेकर सात बार उतार के गैस पर या छाने की आँच पर रख दें, जब नींबू आवाज के साथ फूटकर दूर गिरे तो समझना नजर खत्म हो गयी। (10) अस्वस्थ- नजर लगे व्यक्ति के ऊपर चारों ओर से फिटकरी का टुकड़ा घुमाकर चुल्हे में डाल दें। तीन दिन लगातार तीनों समय करें तो व्यक्ति स्वस्थ हो जावेगा। (11) बच्चे चमकना- सोते समय बच्चा चमकता हो तो आटे का दीपक बनाकर ४ रुई की बत्तियाँ जलाकर, पानी में कुमकुम डालकर बच्चे पर ७ बार उतार कर चौराहे पर रखें व दीपक के चारों ओर पानी से घेरा बनाकर, घर लौट आए। (12) हाथी की लीद चाँदी के ताबीज में भरकर बच्चे को पहनाने से भूत-प्रेत बाधा व जादू-टोने का प्रभाव नहीं होता। (43) बुरे स्वप्न नाशक (1) बुरे स्वप्न नाशक- रीछ के पाँच बाल लेकर ताबीज में डालकर कण्ठ में धारण करें। इससे बुरे-बुरे स्वप्न नहीं आएंगे व याददाश्त बढ़ेगी। (44) स्वप्न दोष निवारण (1) स्वप्न दोषः- इस व्याधि को दूर करने का एक अत्यन्त ही सरल प्रयोग है। इसके अंतर्गत निर्गुण्डी के कुछ पत्ते अथवा कमल के कुछ दल पत्र रोगी को अपने बिस्तर के नीचे रखने पड़ते है। ऐसा लगातार २-३ दिनों तक करने से यह व्याधि दूर होती 447 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (46) वाय (2)स्वप्न दोष पर तंत्र-अपनी मां का नाम एक कागज पर लिखकर मस्तक के नीचे रख कर सो जावें तो स्वप्न दोष नहीं होगा। (3) स्वप्न दोष कभी न होय-कृत्तिका नक्षत्र युक्त शुक्रवार को अथवा पुष्यार्क योग में काला धतूरे की जड़ या सफेद धतूरे की जड़ शनिवार को निमंत्रण देकर, रविवार को संध्या काल में नग्न होकर ग्रहण करें, फिर कन्या कतित सूत लपेटकर, धूप देकर, उस जड़ को अपने कमर में बांध ले तो स्वप्न में वीर्य का कभी स्खलन नहीं होता है। (4) काले धतूरे की जड़ 2.4-3.2 ग्राम का टुकड़ा काले कच्चे धागे के डोरे से कमर में ___ बांधने से कमर में बाँधने से स्वप्न दोष होता है। (45) नामर्द बनाने के लिए (1) नामर्द बनाने के लिए -ताँबे के पतरे पर लोहे की कलम से आदमी का नाम लिखें और उसे उसके नीचे रख दें तो वह नार्मद बन जाएगा। (2) काम वासना न सताए -पुष्य नक्षत्र में किसी लोहे के पतरे पर अपने लहू से अपना नाम लिखकर अपने पास रखें तो काम वासना कभी नहीं सताएगी। (46) वीर्य स्तम्भन 1. वीर्य स्तम्भन-श्वेत सरपंखा की जड़ को कमर में बांधने से और दक्षिण जंघा प्रदेश में स्थापित करने से वीर्य का स्तम्भन होता है। 8. उँट के बालों की रस्सी बनाकर अपनी जांघ पर बांध लें तो जब तक उस रस्सी को नहीं खोलेगा तब तक वीर्य स्खलित नहीं होगा। बज्रदन्ती की जड़ को लाल रेशमी डोरे से कमर में बांधकर कार्य करने से स्तंभन काफी समय तक होता है। (बज्रदन्ती को कटसरैया, पियाबांसा, पीत सैरेयक भी कहते हैं।) यह रामबाण प्रयोग है। 4. कामशक्ति- श्वेतआक के टुकड़े को धागे में बांधकर कमर में बांधकर काम क्रिया करने से काम क्रिया की अवधि बढ़ती है। 5. वीर्य स्थंभित- लंगड़े आम की जड़ को कमर में बांधने से पुरूष का वीर्य स्थंभित होता है। (47) संतान प्राप्ति हेतु 1. संतान प्राप्ति हेतु- गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन गुंजा (चिरमिटी) की जड़ लेकर उसका चूर्ण कर लें तथा, “ॐ बृं बृहस्पते नमः' मंत्र १०८ बार पढ़कर चांदी के ताबीज में भरकर स्त्री अपने कमर में बांध लें तो इससे संतान सुख अवश्य मिलता है। 448 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 2. गर्भ स्थापन- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में वट वृक्ष की जड़ को अपनी भुजा में धारण करने से अवश्य गर्भ स्थापन होता है। गर्भ रहे- गेरू, (ही-डमीस) विद्रंग, पीपल समभाग लेकर पीसें, फिर संभोग के समय पान करने से स्त्री गर्भवान होती है। 4. गर्भधारण-श्रवण नक्षत्र में काले एरण्ड की जड़ लाकर, उसे धूप, दीप देकर,बन्धास्त्री के गले में बांधने से बन्ध्यात्व दोष दूर होकर गर्भ धारण होय। 5. जिस स्त्री के एक बार बच्चा होकर फिर न होवे, उसके लिए पुष्य नक्षत्र के दिन रविवार को उस दिन असगंध की जड़ को उखाड़ लावें, फिर भैंस के दूध में २५ ग्राम पीसकर पीवें, इस प्रकार ७ दिन तक करने से काक बन्ध्या स्त्री को भी फिर गर्भ रहे । 6. पुत्रवती स्त्री का पहना हुआ वस्त्र, माला आदि को धारण करने से तथा उस स्त्री के स्नान का पानी पीने से व उससे स्नान करने से भी बँध्या स्त्री के गर्भ की स्थिति हो जाती है। 7. पुत्र ही पैदा होय -किसी को अगर कन्या होती हो तो बिलाव और सिंह का नाखून ताबीज में मढ़वा कर दाहिनी भुजा में बाँधे तो अवश्य ही पुत्र हो। 8. किसी बच्चे का पहला दांत टूटने पर अन्य स्त्री उसे कमर में काले धागे से बांध ले तो कुछ ही दिनों में संतानवती बन सकती है। ___ जिस स्त्री के लड़कियां होवे और लड़का न होवे तो वह स्त्री पुरूष इतवार के दिन भगवान के मंदिर में भगवान के पीछे जावें और किसी से न बोलकर उल्टा स्वास्तिक बनावें दोनों स्त्री पुरुष नियमपूर्वक खड़े होवें, पुरूष अच्छी केसर से स्वास्तिक बनावे किसी से बोले नहीं, फिर भगवान के सम्मुख आ जावें पुत्र रत्न होगा (सत्य है।) (48) असमय गर्भपात न होय 1. असमय गर्भपात न होय-पुष्यार्क योग में सहदेवी(सहदेई )का पंचांग तीन धातुओं के ताबीज में डालकर धारण करने से असमय में गर्भपात कभी नहीं होता है। 2. अकाल में गर्भ न गिरे- काले धतूरे की जड़ कमर में बांधे तो गर्भ अधूरा न गिरे। 3. गर्भस्त्राव व गर्भपात हो तो- खरेंटी की जड़ को कन्या के काते हुए सूत में बाँधकर कमर में लपेंटें। (49) फिर रजस्वला हो 449 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 1. अश्वत्थ वदांक (बाँदा) (पीपल के पेड़ पर उगा हुआ दूसरा वृक्ष को) पुष्य नक्षत्र में लेकर ऋतुकाल में स्त्री के हाथ में बांधने से गर्भ का रज उत्पन्न होता है। 2. ज्येष्ठा में अडुसे की जड़ लाकर उसे धूप देकर स्त्री की कमर में बांधने से नष्ट पुष्पा स्त्री ३० दिन में फिर रजस्वला होने लगती है। (50) गर्भ स्त्राव नहीं हो 1. गर्भ स्राव-धतूरे की जड़ को कमर में बांधने से गर्भ स्राव नहीं होता। 2. ऋतुकाल के समय धतुरे की जड़ को कमर में बांधने से स्त्री को गर्भ नहीं रहता है। 3. काली मूसली की जड़ को हाथ व पांव में बांधने से रूका हुआ गर्भ गिर जाता है। (51) मासिक धर्म की परेशानी 1. मासिक धर्म (माहवारी) में परेशानी हो तो एक मिट्टी की छोटी हंडिया में गंगाजल भर लें तथा उसमें लाल रोली डाल दे, फिर उसे रोगी महिला पर २१ बार उतारकर चौराहे पर रख दें ध्यान रखें कोई टोके न, परेशानी दूर हो जाएगी। 2. श्रवण युक्त सोमवार को प्रातःकाल खिन्न वृक्ष की जड़ सफेद धागे में दाहिने भुजा में धारण करें जिससे सभी प्रकार के मासिक धर्म सम्बन्धी रोग दूर होते हैं। __ (52) प्रसव के लिए 1. प्रसव वेदना- से छटपटाती हुई स्त्री की कमर में नीम की जड़ को काले धागे से बांधने से प्रसव पीड़ा दूर हो जाती है। प्रसूति- अडूसा की मूल (जड़) को कच्चे सूत में सात धागों से कमर में बांधे तो सुखपूर्वक संतान होगी अथवा लाल कपड़े में नमक रखकर उसे स्त्री के बांये हाथ में बांधे तो सुखपूर्वक प्रसूति हो। दुधी को नौसाद करले आवें फिर गर्भवती स्त्री के सिर पर रखने से बालक होवे शीघ्र ही निमंत्रित को प्रसूति होवे। 3. सुख प्रसव पर तंत्र- नीम की जड़ कमर में बांधे तो तुरन्त प्रसव हो। केले की जड़ अथवा हुलहुल की जड़ को गर्भिणी स्त्री के हाथ में बांध देने से सुखपूर्वक प्रसव होता है। 5. प्रसव के समय कलिहारी की जड़ को रेशम के धागे में लपेटकर गर्भिणी स्त्री के बायें हाथ में बांध देने से प्रसव के समय कष्ट नहीं होगा। नोट- सन्तान होने के बाद जड़ को अपने शरीर से तत्काल हटा देनी चाहिए। 6. बच्चे जन्मते ही मरते हों- यदि बच्चे जीवित न रहते हों तो बच्चे को पुराने कपड़े या मांगे हुए कपड़े पहनाएं। 450 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर गर्भ जाँच (लड़का या लड़की) - गर्भ धारण के कुछ समय बाद गर्भाशय का पानी लेकर उसमें पीसी हुई हल्दी डाले। यदि उसका रंग नीला हो जाए तो पुत्री होती है। 7. 8. 9.. तन्त्र अधिकार प्रसव के लिए- इंद्रायण की जड़ को पानी में पीसकर इसमें घृत मिलाकर नीचे को मुख किये हुए नाभि के नीचे लेप करने से सरलता से प्रसव हो जाता है। स्वाति नक्षत्र युक्त शुक्रवार या शुक्र के होरा में अरण्डे की जड़ सफेद धागे में कमर में बाँधने से प्रदर रोग ठीक रहता है । ( 53 ) शराब सिगरेट, बीडी, तंबाकू छुड़ाने हेतु (1) सिगरेट, बीडी, तंबाकू छोड़ना :- नींबू चूसे या नींबू पानी पीए । जीभ बार-बार नींबू के रस की पांच बूंदे डाले अर्थात् खट्टा बनाए रखें धूम्रपान की आदत छूट जाएगी। ( 2 ) भांग का नशा चावल की धोवन व अरहर की दाल का नमकीन पानी पीने से भंग का नशा दूर होता है । — ( 3 ) शराब छुड़ाने हेतु- शुक्ल पक्ष के शनिवार को संध्याकाल में संबंधित व्यसन पीड़ित व्यक्ति के हाथ से ११ हल्दी की गांठ लेकर मोली का डोरा लपेट दें एवं उस व्यक्ति पर सात बार उतार कर बावड़ी में डाल दें। ऐसा लगातार ७ दिन करें । ( 4 ) शराब का नशा दूर- मूली व फिटकरी को पानी में मिलाकर पिलाने से एक क्षण में शराब का नशा दूर हो जाता है। ( 54 ) घर से भागे व्यक्ति को पुनः बुलाने हेत (1) घर से गए व्यक्ति को वापस बुलाना - यदि व्यक्ति रुष्ट होकर या किसी अन्य कारण से घर से चला गया हो तो उसे वापस बुलाने के लिये मार्ग की धूल में तालाब के किनारे की मिट्टी मिलाकर वटवृक्ष के पत्ते पर उसका नाम लिखकर उस पत्ते पर कोड़े से प्रहार करने से वह व्यक्ति घर लौट आता है। ( 2 ) घर से भागे व्यक्ति को पुनः बुलाने हेतु :- भागे व्यक्ति का पहना हुआ वस्त्र लेकर मंगलवार को उस पर लाल चंदन से नाम लिखे एवं आदेश दें कि वह घर पुनः आ जाए। तथा उस वस्त्र पर वजन रख दें, इससे वह व्यक्ति शीघ्र घर आने को बेचैन हो जाएगा। (3) खोए व्यक्ति की वापसी :- चमकीले हरे धागे की रील, हरा कागज, साबुत हरिद्रा, पीपल का टुकड़ा, इन सब को मिलाकर घर का मुखिया यदि कुएँ में बिना टोके 451 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार ____ मुनि प्रार्थना सागर मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र डाल दें तो गया व्यक्ति वापस आ जाता है। (4) गया व्यक्ति वापिस आए :-घर से गये व्यक्ति का फोटो टेपरिकार्ड के स्पीकर के सामने लगाकर मूल मंत्र का कैसेट चलाए ४३ दिन ऐसा करने से व्यक्ति वापिस आ जाएगा। (5) रविपुष्य नक्षत्र में छुई मुई के पंचाग को ग्रहण करके छाया में सुखाकर फिर जो मनुष्य कई दिनों से खो गया हो, उसके कपड़े में बांध देवें, त्रिकाल उस कपेड़े पर कोड़े मारें, तो खोया मनुष्य आता है। ( 55 ) गृह क्लेश (कलह) निवारण हेतु (1) ताल को मढे में पीसकर मिट्टी सहित पुतली बनाएं। उस पुतली को जिसके गृह में गादिया जाए उसके घर का गृह क्लेश समाप्त हो जाता है। (2) कई लोगों के लाख प्रयत्नों के बावजूद भी उनके घर में बरकत नहीं हो पाती है अथवा उनके घर में बहुत ज्यादा अशान्ति बिना किसी ठोस कारण के रहती है ऐसे ___ लोगों को निम्न में से कोई भी एक या अधिक प्रयोग लाभ दे सकता है(3)घर के किसी बच्चे का प्रथम गिरने वाला दॉत तिजोरी में संभाल कर रखे किन्तु यह दाँत जमीन पर न गिरा हो। (4) मगंलवार के दिन प्राप्त होने वाले काले कौंए का 'पर' सहेजकर रखें। (5) काले घोड़े की स्वतः छोड़ी गई नाल को लाकर ऊर्ध्व रूप से घर के मुख्य द्वार की चौखट पर ठोक दें। (6) विशाखा नक्षत्र में निर्वस्त्र होकर नीम की जड़ उत्तर दिशा की ओर उगी जड़ को कतर कर लाएं और उसे किसी के घर में डाल देने से वहां कलह होता है। जड़ को दूर करने से ही कलह से निवृत्ति होती है। (7) संतान कलह से मुक्ति :- चित्रा नक्षत्र में शनिवार को रक्त गुंजा मूल घर में रखने से दुर्घटना से बचाव एवं सन्तान कलह से मुक्ति मिलती है। (8) दांपत्य कलह निवारण हेतु :- रात को सोते समय पति अपने सिरहाने सिन्दूर व पत्नी कपूर रखें। प्रात:काल पत्नी कपूर जला दें व पति सिन्दूर को घर में कहीं गिरा दें। (9) गृह कलह दूर :- यदि घर में झगड़ा होता हो, अशान्ति रहती हो तो निश्चय ही घर में कोई टूटा बर्तन, शीशा, चक्की का पाट, खुंटी आदि कुछ वस्तु रखी हुई है, अत: उसे तुरन्त दूर कर दें। 452 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (10) कलंक निवारणार्थ- यदि अनावश्यक कलंक या अपयश मिल रहा हो तो दो मूली मंदिर में चढ़ायें, तथा सर्व कार्य सिद्धि मंत्र की जाप करें। (11) गृह क्लेश- घर में होने वाले क्लेश बन्द करने व सुख शांति के लिए गेहूँ शनिवार को पिसवाएँ तथा उसमें १०० ग्राम काले चने भी मिला लें। (12) दाम्पत्य तनाव- पति पत्नी में आपसी तनाव समाप्त करने के लिए महिला गुरुवार के दिन सूर्योदय पूर्व कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर पीपल को सींचें तथा सवा मुट्ठी मूंग, चावल, कुमकुम, गुड़, वृक्ष पर चढ़ाये व पांच अगरबत्ती जलाये। (13) गृह क्लेश- जिनके घरों में अक्सर बिना बात कलह होती रहती है, वे सोमवार गुरुवार, शुक्रवार या शनिवार को एक मुट्ठी नमक, एक मुट्ठी गेहूँ, दो तांबे के सिक्के, सफेद कपड़े में बांधकर घर में रखे व शान्ति मंत्र की जाप करें तो गृह क्लेश दूर होगा। अथवा घर में पौंछा लगाने के पानी में एक चुटकी नमक डालकर पौंछा लगायें इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होगी तथा क्लेश नष्ट होकर धन वृद्धि होगी। (14) परस्त्री के कारण गृहक्लेश- रविवार के दिन घर में गूगल जलाएं व अपने सिर के कुछ बाल भस्म कर पति को खिला दें। (15) गृह क्लेश- शनिवार को कबूतर की बीट का धुंआ घर में करें गृह क्लेश शांत होगा। __(56) मकान में खुशहाली (1) विघ्ननाशक:- हल्दी व चावल पीसकर मुख्य द्वार पर ॐ लिखें घर बाधामुक्त रहेगा। (2) नए मकान में खुशहाली:-चाँदी के नाग-नागिन, चाँदी का पतरा, ५ छोटी सुपारी ७ हल्दी की गाँठ लेकर तांबे की लुटिया में पानी डालकर सब चीजें रखें, उसे बन्द करके मुख्य द्वार के पश्चिम में दबायें। (57) गृह अशुद्धि पर (1) २१ दिन तक रोज ठीक सूर्य अस्त के समय गाय का आधा किलो कच्चा दूध (बिना गर्म किया हुआ) व उसमें ९ बूँद शुद्ध शहद (चासनी) की मिला कर एक अच्छे साफ सुथरे बर्तन में डालकर स्नान करके, शुद्ध वस्त्र पहन कर के एक दम ऊपर की छत से जो खुली जगह हो या जितने भी कमरें हों उन सब कमरों में उस दूध के छींटे देते हुए नीचे की सर्व खुली जगह व प्रत्येक कमरे में (हर तल्ले के) उस दूध के छींटे देते हुए सड़क पर मुख्य दरवाजे के बाहर उस दूध की धार देते हुए बांकि बचे दूध को वहीं गिरा दें धार के अन्दर छींटे देते समय अपने इष्ट देव का स्मरण अवश्य करते रहें। ऐसा २१ दिन करने से गृह शुद्धि होती है। 453 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (2) प्रगति प्रयोगः- किसी भी शुभ दिन, शुभ चौघड़िया में लगभग ५ सेर साबुत नमक लाकर अपने घर में ऐसी जगह पर रख दें जहाँ उसे पानी नहीं लगे। अर्थात् वह शुष्क बना रहे। इसमें से खाने के लिए एक टुकड़ा भी नहीं निकालें। कहा जाता है कि इस नमक की बरकत से उस घर में किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है। जो लोग अधिक मात्रा में नमक नहीं सहेज कर रख सकते हैं। वे उसकी कम मात्रा कर संचय भी कर सकते हैं। (3) घर के मुख्य द्वार पर तुलसी का पौधा व केले का वृक्ष लगाने से शीघ्र उन्नति होती है। गृह क्लेश पैदा नहीं होता। (4) काले घोड़े के पैर से अपने आप घिस कर टूटी हुई नाल का बहुत महत्व है, इससे शनि ग्रह की शान्ति होती है। मानसिक तनाव दूर होता है। घर में भी सुख शान्ति के लिये मुख्य द्वार पर घिसी हुई नाल लगा दें। (6)दक्षिण द्वार वाले दरवाजे के भवन में रहने से धन हानि एवं अनेक कष्ट हाते है। उपाय- उसके लिए घर पर मिट्टी का बन्दर रखें जिसका मुंह दक्षिण दिशा की ओर हो। (58) शयन कक्ष के लिये निर्देश (1)शयन कक्ष के अन्दर खाने के झूठे बर्तन नहीं रखने चाहिये, इससे घर में रोग उत्पन्न होते हैं, पत्नी बीमार रहने लगती है, और मुख्यत:धन का भी अभाव पैदा हो जाता है। (2) घर में टूटे-फूटे बर्तन, टूटी चारपाई आदि नहीं रखनी चाहिए क्योंकि टूटे-फूटे बर्तनों से कलह रहता है: जबकि टूटी चारपाई से धन की कमी होती है। (3) नित्य स्वच्छता रखने से भी धनागम होता है। यदि ब्रह्ममुहूर्त में झाडू दी जाए तो लक्ष्मी की विषेश कृपा प्राप्त होती है तथा घर में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। (4) सोते समय उत्तर या पश्चिम दिशा की और सिर करके भायन करने से आयु कम होती है। (5) घर, दुकान या फैक्ट्री में जितनी भी घड़िया हों उन्हें सदैव चालू रखें। इससे लक्ष्मी चक चलता रहता है अर्थात् बन्द घडियाँ हों तो उन्हें सदैव चालू रखें। क्योंकि घड़ियां बंद हों तो अशुभ होता है, धनागम नहीं होता। (6) शयन कक्ष में कभी झाडू, तेल का कनस्तर, इमामदस्ता, अंगीठी इत्यादि चीजें नहीं रखनी चाहिये। इनसे व्यक्ति को बुरे स्वप्न, रोग, चिन्ता और कलह बनी रहती है। (7) यदि किसी प्रकार का कष्ट हो तो पलंग के नीचे तांबे के बर्तन में पानी रखकर सोना चाहिए अथवा अपने तकिए के नीचे लाल चंदन रखना चाहिए अथवा भयंकर 454 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मुनि प्रार्थना सागर मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र कष्ट हो तो तकिए के नीचे हल्दी की पांच गाठें रखकर सोना चाहिये । (8) चीनी मान्यता के अनुसार वहां के लोग कमर में या रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर लिखने वाले सफेद रंग की चाक का टुकड़ा अपने पलंग की दरी के नीचे रखकर सोने से उन्हें दर्द से छुटकारा मिल जाता है। (9) यदि आप मानसिक रोग से ग्रस्त हैं तो अपने शयन कक्ष में शुद्ध घी का दीपक जलाकर रखें तथा सोते समय गुलाब की अगरबत्ती भी जलाएं। ( 59 ) बुद्धिमान होय (1 ) महान बुद्धिमान होय - शरद पूर्णिमा को ब्राह्मी का रस, वच और कपिला गाय का घी, इन तीनों चीजों को बराबर-बराबर, कांसे की थाली में इन चीजों को खूब गाढ़ा - गाढ़ा लगावें, फिर उसमें भक्तामर का नं. ६ का यंत्र लिखें, ऊपर अष्टगंध से "" ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं वद् वद् वाग्वादिनी" मंत्र लिखें, फिर चन्द्रमा के प्रकाश में रात्रिभर उस थाली को पाटे पर विराजमान करके रख दें, फिर सुबह अक्षर को खावें, तो सरस्वती वश में होती है। महान् बुद्धिमान होता है । (2) बुद्धि वृद्धि - रविपुष्यामृत के योग में ब्राह्मी, शतावरी, शंखा होली, आधा जारा, जावित्री, केशर, मालकांगनी, चित्रक, अकलकरो और मिश्री का चूर्ण करके सर्व समभाग लेकर, सबेरे १४ कोमल अदरक के रस में २१ दिन तक खाने से बुद्धि की वृद्धि होती है। (3) पढ़ाई में कमजोर होने पर - जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं उन्हें हरे रंग की तुरमली चाँदी की अंगूठी या नैकलस में पहनाने से वे बहुत अच्छी डिवीजन में पास हो जाते हैं । (4) चर्तुदशी की रात को गुलाब की पत्तियों का रस भोजपत्र पर निकालें और जीभ पर लगाएं तो बुद्धि बढ़ जाएगी। ( 5 ) बच्चे की स्मरणशक्ति बढाने के लिए शनिवार से शनिवार तक नित्य रात्रि बारह बजे उसकी शिखा (चोटी) के दो या चार केश काटकर एकत्र कर लें । फिर रविवार को इन सबको एकत्र करके दरवाजे की चौखट पर जलाकर पैर की एड़ी से मसल दें। ( 60 ) विवाह प्रकरण विवाह शीघ्र कैस हो ? (1) यदि पुरुषों को विवाह बाधा हो तो वह गुरुवार को संध्याकाल में सरपुंखा के पौधे पर जल चढ़ावें व दो अगरबत्ती जलाकर निमंत्रण दें कि मैं प्रातः काल थोड़ी सी 455 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर जड़ लूंगा। पुनः शुक्रवार को स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्योदय के समय एक लोटा जल पौधे पर चढ़ाकर, अगरबत्ती जलावें तथा “ॐ शुं शुक्राय नमः" अथवा "ॐ ह्रीं श्री पुष्पदन्त जिनेन्द्राय नमः" अथवा "ॐ ह्री णमो उवज्झायाणं" मंत्र की जाप करते हुए परिक्रमा करें, फिर थोड़ी सी जड़ बिना किसी औजार से निकालकर घर ले आकर जल से शुद्ध कर ऊपर के मंत्र से मंत्रित करके श्वेत वस्त्र में लपेटकर दायें हाथ में बांध लें तथा ऊपर के किसी एक मंत्र का जाप करें, तो शीघ्र विवाह होगा। (2) यदि विवाह में अत्याधिक विलम्ब हो गया हो और संभावनाएं भी क्षीण होती लग रही हो, तो शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार को पद्मावती देवी के चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर, नैवेद्य आदि समर्पित करके, देवी जी के मंत्र की एक माला नित्य जपें अतिशीघ्र लाभ होगा। जाप के लिए कमल बीज (कमल गट्टे) की माला लें तो अति उत्तम है। (3) शीघ्र विवाह की अभिलाषी कन्या किसी दूसरी लड़की के विवाह में जाकर उसके उबटन (तेल आदि चढ़ने वाला पदार्थ) में से थोड़ा उबटन प्राप्त कर के घर लाकर उसकी गणेश आकृति बनाकर पूजा स्थान में पीले वस्त्र के आसन पर विराजित करके सिन्दूर व हल्दी चढ़ाकर कामना करें कि मेरा विवाह शीघ्र हो जाय तथा “ॐ णमो श्री सिद्धाणं" मंत्र का जाप करें, इससे शीघ्र विवाह होगा अथवा “ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रत जिनेन्द्राय नमः" का जाप करें। (4) लड़की वाले जब शादी की बात करने जाएं तो उस समय लड़की को प्रसन्न होकर मिठाई खिलाकर भेजें व वह अपने बालों को खुला रखें। (5) मनोवांछित जीवन साथी हेतु- शुक्र यंत्र के सामने शुक्र मंत्र का जाप करें व जब भी किसी विवाह में जायें तो दूल्हे या दुल्हन को जो मेंहदी लगाते हैं, उसमें से थोड़ी मेंहदी लेकर अपने हाथ पर लगायें। अथवा विवाह योग्य कन्या नहाने के जल में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें तो शीघ्र विवाह होय। (6) शीघ्र विवाह हेतु- शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को प्रातः काल स्नानादि के पश्चात् केले के वृक्ष को जल चढ़ायें व चने की दाल व गुड़ का भोग समर्पित करें तथा पौधे पर मोली लपेटकर २१ परिक्रमा करें व १६ गरुवार का व्रत करें और "ॐ नमः भगवते वासुदेवाय" अथवा "ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रतनाथाय नमः" की जाप करें। (7) शीघ्र विवाह हेतु सोमवार को सवा किलो चने की दाल व सवा लीटर दूध दान करें 456 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर तथा प्रतिदिन शांतिनाथ भगवान की पूजा करें व शनिवार रविवार को साधु को काले अंगूर दान करें। (8) शीघ्र विवाह - शुक्ल पक्ष के गुरुवार की शाम को ५ प्रकार की मिठाई, हरी इलायची का जोड़ा चढ़ाकर शुद्ध घी का दीपक पीपल के वृक्ष या मंदिर में जलाएं। पीली गाय को दो आटे के पेड़े, थोड़ी हल्दी, गुड़ व चने की भीगी दाल खिलाएं। (9) शीघ्र विवाह - शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को व्रत प्रारम्भ करके,पूजा अर्चना करके श्वेतार्क वृक्ष के ८ पत्ते लायें। ७ पत्ते की पत्तल बनावें व आठवें पत्ते पर अपना नाम लिखकर शिव को अर्पित करें। व्रत का भोजन पत्तों की पत्तल पर करें। व्रत पूर्ण होने पर श्वेतार्क के पुष्प भगवान को अर्पित करें और "ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः' मंत्र की पाँच माला जपकर पांच नारियल मंत्रित करके शिव को समर्पित करें नियम से बाधा दूर होगी। लेकिन विवाह के बाद प्रत्येक सोमवार के दिन ब्रह्मचर्य व्रत रखें। (10) मनोवांछित पत्नी की प्राप्ति हेतु- स्वयं का फोटो एवं प्रेमिका का फोटो परस्पर आमने-सामने मिलाकर किसी पत्थर से दबाकर एकान्त स्थान पर रख दें, विवाह की स्थिति बनेगी। (11) मनचाही स्त्री प्राप्त मंत्र –'ॐ ह्रीं नमः" लाल माला, लाल आसन, लाल वस्त्र पहिनकर सात दिन तक प्रतिदिन ग्यारह हजार बार जाप करने से मनचाही नारी मिल जाती है। (12) इच्छित वर प्राप्ति मंत्र -ओं भूर्भव स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। माहेन्द्री कुल कुल पुल स्वाहा। विधि - इस गायत्री मंत्र की साधना सीता जी ने की थी कहा जाता है कि इससे इच्छित वर की प्राप्ति होती है। आत्मिक बल बढ़ता है। (13) वर प्राप्ति मंत्र - ॐ ह्रीं कुमाराय नमः स्वाहा। विधि - यदि कन्या इस मंत्र की 10 हजार बार जाप करे तो उसे शीघ्र वर की प्राप्ति होगी। (61) विवाह विलंब (1) विवाह विलम्ब निवारण हेतु- शुक्ल पक्ष में प्रथम गुरुवार को प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर सात पीली वस्तुएँ (कपड़ा, पुष्प, पीतल, चने की दाल, गुड़ या अन्य मिठाई, यज्ञोपवीत, हल्दी की गांठ आदि) एक-कपड़े में बांधकर अपने इष्ट का स्मरण करते हुए घर में किसी ऐसे स्थान पर रख दें जिसे कोई देख न सकें। विवाहोपरान्त उक्त साम्रगी को बहते हुए जल में प्रवाहित करें। (2) विवाह बाधा- मंगलवार को प्रातः काल सूखे नारियल में छेद करके सवा पाव बूरा 457 Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (चीनी), पंच मेवा, भर दें व पीपल के वृक्ष के नीचे दबायें। जो शक्कर बचे उसे वृक्ष के नीचे डालें। ऐसा सात मंगलवार करने से विवाह की बाधा दूर होती है। अथवा विवाह इच्छुक कन्या अपने हाथ से ७ गुरुवार को बछड़े वाली पीली गाय को एक पपीता खिलाएं। (3) विवाह बाधा निवारण हेतु- शुक्रवार को रात्रि में ८ छुआरे जल में उबालकर जल के साथ सोने के कमरे में सिरहाने रखें व शनिवार को बहते पानी में डालें। (4) मंगलवार या शनिवार को पद्मावती मंदिर में चमेली का तेल, सिन्दूर, वर्क, एक सूखा नारियल 7 शनिवार उस लड़की से दान करवाएं जिसकी शादी में विलंब हो रहा हो। (5) यदि लड़की को वर न मिल रहा हो तो गुरूवार को पीले व शुक्रवार को सफेद नये वस्त्र पहनाये। यह प्रयोग 5 गुरूवार व शुक्रवार करें। इनमें से कोई वस्त्र दुबारा न पहने व विवाह की वार्ता के समय लाल वस्त्र पहनने से लाभ होगा। (6)जिस लड़की के विवाह में बाधा आए, बार-बार सगाई होकर छूट जाए तो वह गुरूवार को एक पाव कच्चे दूध में थोड़ी सी केसर या हल्दी मिलाए, 7 पीले पुष्प, 7 बेसन के लड्डू, सवा मीटर पीला कपड़ा, पांच अरगबत्ती, एक चौमुख दीपक, एक सूखा नारियल प्रातः काल सात गुरूवार पद्मावती जी को अर्पण करे। (7) यदि विवाह में देरी, विलम्ब या बाधा हो रही हो तो 250 ग्राम काले तिल, 250 ग्राम काले उड़द, 250 ग्राम तिल का तेल, सवा मीटर काला कपड़ा एक नारियल, शनिवार को पद्मावती को भेंट कर पूजा करें। (8)विवाह में विलम्ब हो तो शनिवार को सूर्योदय के समय सरसों के तेल का दीपक तथा तीन अगरबत्ती जलाकर मुनिसुव्रत नाथ भगवान की पूजा शनिवार से लगातार 45 दिन करे तो विवाह में आ रही बाधा अवभय दूर होगी। (9) यदि विवाह नहीं हो रहा हो तो बुधवार के दिन आठ बेसन के लड्डू, एक माला, एक पान, थोड़ा सा सिदूर और घी पद्मावती माता को समर्पित करें। सात बुधवार ऐसा करने से आपको लाभ मिलेगा। (10) लड़की को विवाह में बाधा हो तो बुधवार संध्याकाल में केले के पौधे को विधि पूर्वक जल चढ़ाकर, दीपक जलाकर निमंत्रण दें, तथा गुरूवार को प्रातः काल विधि पूर्वक जड़ प्राप्त करके हल्दी मिश्रित जल से शुद्ध करके पीले कपड़े में लपेटकर पीले धागे से गले में धारण कर लें तथा बृहस्पति मंत्र का जाप करे। ॐ बृं बृहस्पते नमः" | (62 ) सुखी वैवाहिक जीवन 458 Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (1) ससुराल में प्रीति - 7 साबुत हल्दी गांठ, पीतल का एक टुकड़ा, थोड़ा सा गुड़ यदि कन्या अपने हाथ से ससुराल की तरफ फेंक दे तो ससुराल में सदैव सुरक्षापूर्वक सुखी रहती है। (2) सुखी वैवाहिक जीवन– कन्या विवाह के बाद जब विदा हो रही हो तब एक लोटे में जल लेकर उसमें हल्दी एक पीला सिक्का डालकर लड़की के ऊपर से उतारकर उसके आगे फेंक दें सुखी जीवन रहेगा। ___(63) रोजगार की समस्या हल (1) स्थाई रोजगार:- नारियल के छिलके जलाकर राख में उसी नारियल का पानी मिलाकर लुगदी बनाकर ७ पुड़ियाँ बना लें। फिर ४ पुड़ियाँ घर के चारों कोनों में रखे, १ पुड़िया पीपल की जड़ में रखें व १ पुडिया जेब में रखें। किसी की छाया न पड़ने दें।७ दिन बाद सभी पुड़ियों को एकत्र करके, जहां आजीविका कमानी है, उसके द्वार पर किसी कोने में छुपायें तथा मूलमंत्र का जाप करें सफलता अवश्य मिलेगी। (2) सरकारी नौकरी :- यदि नौकरी प्राप्ति में बाधा हो या पदोन्नति में रूकावट हो या अधिकारियों से अनबन हो तो जब चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तब उसके पहले दिन सूर्यास्त के समय जामुन के वृक्ष को जल चढ़ाकर धूप बत्ती देकर निमंत्रण दें आए व दूसरे दिन प्रातः काल थोड़ी जड़ ज्येष्ठा नक्षत्र में लाकर अपने पास रखे तो सरकारी तंत्रों से लाभ मिलेगा “ॐ ह्रीं नमः' मंत्र की जाप करें। (3) शनिवार के दिन साधु को आहार में काले अंगूर दें अथवा शुक्रवार को गरीबों या भिखारियों को गुड़-चने बांटने से आजीविका का साधन बढ़ता है। (4) बुधवार को शाम को बेसन के लडू लाकर मूलमंत्र पढ़कर स्वयं पर से सात बार उतारें और बृहस्पतिवार को प्रातः जल्दी उठकर पीली या श्वेत गाय को खिला दें। इससे आजीविका का साधन बढ़ता है। (5) बिना दाग का एक बड़ा नींबू लेकर स्वयं पर से सात बार उतारें फिर चौराहे पर बारह बजे से पहले चार टुकड़े करके चारों दिशाओं में दूर-दूर तक फेंक दें। इससे रोजगार की समस्या हल होती है। (64) कार्य सफलता हेतु (1) समस्या निवारण – गुरूपुष्य नक्षत्र से पूर्व अर्थात बुधवार की शाम को चंदन वृक्ष की, पीले चावल व जल से पूजा करें तथा दो अगरबत्ती जलाकर हाथ जोड़कर उसे आमंत्रित करें। दूसरे दिन प्रातः काल बिना किसी औजार की सहायता से उसकी थोड़ी-सी जड़ ले आवें, फिर उस जड़ को घर के मुख्य द्वार पर लटका दें इससे अनावश्यक समस्याएं उत्पन्न नहीं होंगी। (2) सफलता प्राप्ति- अखंडित भोज पत्र पर लाल चंदन से मोर के पंख की कलम 459 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर द्वारा 15 का यंत्र लिखकर अपने पास रखें। (3) कार्य सफलता हेतुः- काम न मिले तो एक बड़ा पीला नीबू लेकर मूलमंत्र पढ़कर अपने उपर से सात बार उतार कर, फिर उसके 4 बराबर टुकड़े करके शाम को चौराहे पर चारों दिभाओं में फेंके, 7 दिन नियमित करें एवं सर्व कार्य सिद्धि मंत्र की जाप करें सफलता मिलेगी। (4) सफल यात्रा के लिए- एक पानी वाला नारियल लेकर उस पर यात्रा में सफलता की प्रार्थना कर व मूलमंत्र की जाप कर उस नारियल को तोड़ दें, तथा उसके पानी को अपने ऊपर व चारों तरफ छिड़क दें, इससे यात्रा कुशल व सफलता देने वाली होगी। ॥ (65) व्यापार वृद्धि के विशेष चमत्कारी टोटके (1) दुकान खोलते समय बोलने का मंत्र ॐ णमो भगवते विश्वचिन्तामणि लाभ दे, रूप दे, जश दे, जय दे, आनय आनय महेश्वरी मन वांछितार्थ पूरय पूरय सर्व सिद्धिं ऋद्धिं वृद्धिं सर्वजन वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- दुकान खोलते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र को २७ बार उच्चारण करके दुकान का ताला खोलें एवं परमात्मा का नाम स्मरण कर दुकान में प्रवेश करें और व्यापार वृद्धि मंगल कलश या श्रीमहायंत्र के सामने दीपक जलायें अथवा अगरवत्ती लगायें तो दुकान अच्छी चलेगी। (2)व्यापार उन्नति- मंगलवार को लाल चंदन, लाल गुलाब के फूल व रोली को लाल __ कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। तथा कलिकुंड पारसनाथ की नित्य प्रातःकाल पूजा करें। (3) व्यापार वृद्धि -कपूर और रोली मिलाकर उसमें आग लगाएं और दिवाली के दिन उस राख को अपने गल्ले में रखें तो आपका व्यापार दिन दूना रात चौगुना बढ़ जाएगा। (4) डूबा हुआ धन पुनः प्राप्ति- कपूर को जलाकर काजल बना लें और शुक्रवार के दिन भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसको धन दिया है, तथा सात बार हाथ की थपकी देकर कहे मेरा पैसा शीघ्र वापस दें। फिर उस भोजपत्र को भारी पत्थर के नीचे दबादें। पैसा वापस मिलना शुरु हो जाएगा। (5) डूबे धन को प्राप्त करने का तन्त्र –जिनका धन व्यापार, मित्र, रिश्तेदार आदि किसी भी के डूब गया हो मिलने की आशा नहीं हो तो रविपुष्य, गुरुपुष्य, होली, दिवाली आदि शुभ मुहूर्त में रूई की चार बत्तियां बनाकर उन्हें घी में डूबोकर उन पर नागकेसर, जावित्री, काले तिल कूट कर बिखेर देवें। रात के 12 बजे बाद शान्त वातावरण में इन बत्तियों को चौमुखे दीपक में तिल का तेल डालकर किसी वीरान चौराहे पर जलाकर रख देवें। जलाते समय देनदार व्यक्ति की छवि मन में रखें। ईश्वर से प्रार्थना करें कि 460 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर हे प्रभु मेरा कमाया गया धन मुझे वापस मिल जाए, ऐसा तीन बार बोलकर वापस लौंट आए, पीछे मुड़कर न देखें। कमजोर दिलवाले यह प्रयोग न करें। लाभ अव य होगा। (6)धन वृद्धि हेतु- श्रीफल को लाल वस्त्र में रखकर कामिया सिंदूर, देशी कपूर, लौंग चढ़ाकर, धूप-दीप देकर, सवा रुपया अर्पित करके लक्ष्मी मंत्र की सात माला जपकर धन स्थान अथवा दुकान में रखने से धन की बहुत वृद्धि होती है। यदि उसी श्रीफल को अन्न भण्डार के स्थान पर रखा जाए तो वहां पर भी अन्न का अभाव नहीं होता और न ही किसी प्रकार की हानि होती है। और यदि मिट्टी के घड़े को लाल रंग से रंग कर उसके मुख पर मोली बांधकर उसमें जटायुक्त नारियल रखकर बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें तो सुखसमृद्धि बढ़ती है। अथवा-शनिवार को अभिजीत मुहूर्त में अपनी लम्बाई से ५ गुना मौली लेकर नारियल पर लपेटकर नदी में प्रवाहित करें! (7)धन वृद्धि- दीपावली को प्रातः एक नारियल पत्थर से बांधकर नदी, तालाब में डुबोए व प्रार्थना करें कि मैं शाम को आपको लक्ष्मी के साथ लेने आऊंगा। सूर्यास्त के बाद निकालकर लक्ष्मी पूजा के समय पूजा करके भण्डार गृह में रखे तथा कलिकुण्ड पारसनाथ की पूजा करें नियम से धन वृद्धि होगी। (8)आर्थिक सम्पन्नता - दीपावली की पूजन से पहले एक नारियल व खीर लेकर अपने पूरे घर में घूमें ऊपर से चलना आरंभ कर नीचे होते हुए मुख्य द्वार पर आकर नारियल को फोड़ दे व खीर को वही छोड़ दें। तथा शान्तिमंत्र का जाप करें। बुधवार को हिजड़े को पैसे दें व उससे कोई सिक्का लेकर पीले वस्त्र में बांधकर अपने पास रखें। (9)दीवाली के दिन श्वेत कपड़े में थोड़े से चावल, रोली, लाल पुष्प, पाँच लोंग, पाँच रुपये का सिक्का बांधकर तिजोरी में रखें। (10)व्यापार में लाभ- उद्योग कारखाने मे लाभ न हो रहा हो तो शुभ मुहूर्त में पीली मिट्टी डलवाइए तथा नैऋत्य कोण को ऊंचा कर दें। (11)अचानक चलता व्यापार बंद हो तो- शनिवार को कार्बन पेपर लेकर उसमें आग लगाकर व्यवसाय स्थल के बाहर फेंक दें। एवं लाभ हेतु दुकान या फैक्ट्री में प्रवेश द्वार के ऊपर दोनों ओर अर्थात् एक अन्दर व एक बाहर गणपति की मूर्ति अथवा श्रीयंत्र लगाएं लाभ होगा। यदि अत्यधिक परेशानी हो तो प्रत्येक शनिवार काले कुत्ते को कड़वे तेल से चुपड़कर रोटी खिलायें। यदि आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हो तो मंदिर में केले के दो पौधे (नर-मादा) लगा दें तथा व्यापार वृद्धि मंत्र की जाप व्यापार वृद्धि मंगल कलश या श्रीमहायंत्र के सामने करें। ( 12 )व्यापार में निरन्तर प्रगति हेतु- बुधवार को ७ पीली रंग की कौड़ी २१ इलायची, थोड़े से साबुत मूंग, ताँबे का छेद युक्त पैसा लेकर, णमोकार या गायत्री मंत्र १०८ जपते 461 Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर हुए हरे कपड़े में सामग्री बांध लें। और फिर इसे व्यवसाय स्थल पर ऐसी जगह लटका दें जहां किसी की नजर न पड़े, इससे थोड़े ही समय में उत्पादित माल हाथों-हाथ बिकेगा एवं बरकत होगी। ( 13 )व्यापार वृदि हेतु -यदि व्यापार में वृद्धि न हो तो एक पीला नींबू काटकर व्यवसाय स्थल पर रखें, उसके साथ एक मुट्ठी काली मिर्च और एक मुट्ठी पीली सरसों रखें व अगले दिन जब दुकान खोले तो सभी सामग्री को उठाकर किसी दूर वीराने में जमीन में गाड़ दें, व्यापार वृद्धि मंगल कलश की स्थापना कर व्यापार वृद्धि मंत्र का जाप करें व्यापार वृद्धि में लाभ होगा। (14) जिस वृक्ष पर चमगादड़ रहता है उस पेड़ को शनिवार को न्योता देकर आएं , फिर रविवार को सूर्योदय से पूर्व उसकी एक डाल लाए और उसे गद्दी के नीचे दबा दें। (15) व्यापार बाधा निवारण हेतु- यदि अचानक चलता व्यापार रुक जाए ग्राहक का आना बंद हो जाये, उधारी डूबने का खतरा हो तो ग्रहण के समय अथवा अमावस्या शनिवार को एक नींबू थोड़ी सी पीली सरसों एवं २१ काली मिर्च व ७ लौंग लेकर दुकान या व्यापार स्थल पर ७ बार उतार करके नींबू के चार टुकड़े कर दें। फिर संध्या समय सभी चीजों को काले कपड़े में बांधकर किसी ऐसे कुंए में फेंक आयें जहां पानी सूख-चुका हो। फिर घर आकर व्यापार वृद्धि मंत्र पढ़ें इससे थोड़े ही समय में उधारी वसूल होनी लगेगी, ग्राहकी की वृद्धि होगी व्यापार चलने लगेगा यह अनुभूत टोटका है। ( 16 )बरकत न हो तो- दीपावली की शाम को पद्मावती देवी मंदिर में अलग-अलग दो स्थान पर सवा सौ ग्राम रोली, सवा सौ ग्राम सिन्दूर, सवा मीटर लाल कपड़ा, नारियल, छुआरा व २१ रुपये रखकर देवी की अर्चना करें, फिर एक स्थान की सामग्री मंदिर में ही अर्पित करें तथा दूसरे स्थान की सामग्री स्वयं लाकर लाल कपड़ें में बांधकर अपने धन रखने के स्थान पर रखें और २१ दिन लगातार धूपदीप अर्पित करके पूजा करें तथा व्यापार वृद्धि मंगलकलश या श्रीमहायंत्र के सामने लक्ष्मी मंत्र की जाप करें। तो नियम से लाभ होगा। (17) व्यापार वृद्धि हेतु- सोमवार को रात्रि में एक नारियल का गोला लेकर व्यापार स्थल पर २१ बार उतारें तथा उसे लाल कपड़े में लपेट कर घर लायें। फिर आटे को घी से भून लें तथा बूरा (चीनी) मिलाकर ठण्डा होने पर गोले में छेद कर उक्त मिश्रण को उसमें भर कर कपड़े में लपेट कर रख लें, फिर मंगलवार को सूर्योदय पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर गोले को ऐसी जगह गाड़ दें जहां चीटियां हों। ध्यान दें वह जगह किसी पेड़ के पास पार्क या जंगल में हो तथा गोले का मुंह जमीन की सतह पर हो फिर मूलमंत्र का जाप करके घर लौट जायें। ऐसा सात मंगलवार करें इससे व्यापार में निश्चय बरकत होगी। : 462 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (18)व्यापार में घाटा हो रहा हो तो - शुक्ल पक्ष में एक चुटकी आटा व एक चुटकी नमक लेकर दुकान के मुख्य द्वार के दोनों ओर थोड़ा-थोड़ा छिड़क दें तथा हल्दी से द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक बनाएं। पांच लौंग व एक जायफल पूजा स्थान में रखें तथा लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। तथा शनिवार के दिन सिन्दूर, चांदी का वर्क, पांच मोतीचूर के लड्डू, चमेली का तेल, एक पान, एक नारियल, 2 लौंग लेकर सात शनिवार तक क्षेत्रपाल जी को भेंट करें तथा एक नींबू लेकर व्यवसाय स्थल के एक कोने से शुरू कर पूरे क्षेत्र में अन्दर दीवारों पर चारों तरफ घुमाये एवं बाहर चार टुकड़े करके चारों दिशाओं में फेंक दें। ( 19 )व्यापार घाटे में चल रहा हो तो- यदि भरपूर मेहनत के बाद भी व्यापार में बरकत न हो,ग्राहक आना कम हो, माल न बिके, लगातार व्यापार न चल रहा हो तो रविवार को एक मुट्ठी काले उड़द लेकर श्री मंत्र का जाप करते हुए व्यापार स्थल पर ७ बार उतार कर दुकान में बिखेर दें। अगले दिन मोरपंख की झाडू से एकत्र करके चौराहे पर डालें ऐसा ७ रविवार करें व्यापार में उन्नति होगी। ( 20 ) ग्राहक लौटना- यदि दुकान से ग्राहक लौटते हों तो व्यवसायिक परिसर के मुख्य द्वार के सामने या अन्दर लांबी में एक पानी का फव्वारा लगा दें जिससे ग्राहकी अच्छी रहती है। (21) बरकत हेतु- नित्य इष्ट देवकी पूजा व उपासना में लौंग चढ़ाए तथा बुधवार के दिन एक हंडिया में सवा किलो हरी मूंग व दूसरी हंडिया में सवा किलो नमक भरकर दोनों हंडियों को घर में कहीं रख दें। एवं तिजोरी में स्फटिक का श्री यंत्र रखें या लाल गुलाब, लाल चंदन को लाल कपड़े में बांधकर रखें व नित्य निम्न मंत्र की माला फेरे तो अवश्य ही अच्छी बरकत होंगी। मंत्र - ॐ हीं श्रीं कमले कमलाये में मह्यं प्रसीद प्रसीद' अथवा ॐ हीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः। ( 22 ) धन समृद्धि के लिए - रविपुष्य नक्षत्र में श्वेत अपामार्ग ग्रहण कर अपने पास रखें तो निश्चित ही धन की कमी नहीं होगी। या इमली का बांदा अपने घर में रखें तो भी धन सम्पदा में वृद्धि होगी। अथवा श्वेतार्क को लाल वस्त्र में लपेटकर रखें तो भी निरन्त धनवृद्धि होगी। (23) धन समृद्धि हेतु- शुक्लपक्ष के शुक्रवार को अथवा चन्द्रमा जब भरणी नक्षत्र में आये उस दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर कमलनाल कहीं से प्राप्त कर लें तथा घर ले आयें। फिर शुद्ध जल से धोकर पंचामृत से स्नान करावे व धूप-दीप से पूजा कर हल्दी में रंग कर पीला धागा लपेटें व कमल बीज की माला से लक्ष्मी मंत्र का जाप करके कमलनाल को तिजोरी में रख दें व नित्य धूप अगरबत्ती दें, तो 463 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार ___ मुनि प्रार्थना सागर मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र __नियम से आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। मंत्र ॐ श्रीं ही कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं महालक्ष्म्यै नमः । ( 24 ) दूसरा उपाय – यदि कदम कदम पर संघर्ष हो, मेहनत का उचित फल न मिले, तरक्की में रिश्तेदारों-मित्रों द्वारा विरोध व बाधा हो, अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप लगते हों तो सवा किलो जौ, एक नारियल जटा वाला तथा सवा किलो लकड़ी का कोयला रात्रि को सोते समय शुक्रवार को अपने सिराहने रख लें। शनिवार को प्रातःकाल अपने ऊपर से 7 बार उतार कर काले कपड़े में रखकर गांठ बांध लें एवं दोपहर के समय सुनसान जगह में गड्ढा खोदकर दबा आयें। ध्यान रखें कि कोई टोके नहीं। ऐसा सात शनिवार करें तो तरक्की एवं समृद्धि के रास्ते आपके लिए खुल जायेंग। (25) अच्छा क्रय विक्रय होता है- निर्गुण्डी और सफेद सरसों घर के द्वार पर अथवा दुकान के द्वार पर रखें तो क्रय-विक्रय अच्छा होता है। (66) कर्ज मुक्ति हेतु ) (1)कर्ज मुक्ति हेतु- यदि कर्ज बढ़ता जा रहा हो तो भूमि का ढ़लान ईशान की ओर बढ़ा दें, दीवारों, फर्श आदि का झुकाव उस ओर कर दें तो कर्ज उतर जाएगा, ईशान कोण में व्यापार वृद्धि मंगलकलश विराजमान करें। (2) ऋण मुक्ति श्रावण मास में- श्रावण मास की पूर्णिमा की रात्रि को स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्रधारण करके घी का दीपक जलाकर कल्पवृक्ष की केसर से पूजा करके कमलगट्टे की माला से निम्न मंत्र की ५१ माला जपें तथा माला को तिजोरी में रखें। ॐ ह्रीं कामाय ह्रीं सिद्धाय ह्रीं ऋणमोचने महारुद्राय कुबेर लक्ष्मी प्रदाय ह्रीं ह्रीं फट। (3) कर्ज मुक्ति हेतु- शनिवार के दिन शाम के समय काली राई दोनों मुट्ठी में भरकर पर्वाभिमख होकर दाहिने हाथ से बाँई तथा बाँई हाथ से दाहिने तरफ फेंके तथा रात को सोते समय पलंग के नीचे सिराहने की तरफ जौ रखकर सुबह उठकर पक्षियों या गरीबों को दें। व मंगलवार को कुछ राई के दाने मूलमंत्र पढ़कर अपने ऊपर से उतार कर चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में फेंक दें। ऐसा 7 मंगलवार को करें। ईशान कोण में मंगल कलश या श्री महयंत्र विराजमान कर लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। निश्चित ही लाभ होगा। मंत्र - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं मम वांछित देहि मे स्वाहा। (4) ऋण मुक्ति हेतु- शुक्ल पक्ष के बुधवार को सूर्य अस्त होने से पूर्व अपने मकान में छोटा सा चांदी का हाथी रखें। जो कर्ज में डूबे हुए हैं या कोई कचहरी के चक्कर में फंसे हुए हैं, वह ताम्बे की सर्पवाली अंगूठी बुधवार को मध्यमा या कनिष्ठा में धारण करें तथा राहु मंत्र का जाप करें तो लाभ होगा। 464 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (5) कर्ज मुक्ति हेतु- कर्ज उतरने का नाम न ले रहा हो तो ५ गुलाब के खिले हुए फूल लेकर सवा मीटर सफेद कपड़ा बिछाकर गायत्री मंत्र अथवा णमोकार मंत्र पढ़ते हुए कपड़े पर बांधे व कपड़ा किसी पवित्र नदी में बहा दें। (6) ऋण से मुक्ति - रात को सोते समय पलंग के नीचे सिरहाने की तरफ जौ रखकर सुबह उठकर पक्षियों या गरीबों को दें, इससे ऋण मुक्ति होगी। (7) धन हानि- काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर से सात बार उतार कर घर से उत्तर दिशा में फेंक दें, धन हानि बंद होगी। (8) कर्ज मुक्ति के लिए- भूमि का ढलान ईशान की और बढ़ा दें, यदि पहले से हो तो थोड़ा सा और बढ़ा दें एवं किसी सुहागिन को सुहाग सामग्री देवें। अमावस्या को लोबान जलाकर पूरे घर में घुमायें। कर्ज की प्रथम किश्त शुक्ल पक्ष के मंगलवार को देना प्रारंभ करें तो कर्ज मुक्ति अवश्य होगी। (9) ऋण की उगाही- बुधवार को खच्चर का दांत प्राप्त करके जल से शुद्धकर लें, फिर उगाही को जावें तो उसे साथ ले जायें लाभ होगा। (10) अचानक धन लाभ- अगर अचानक धन लाभ की स्थितियां बन रही हों किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो तो गोपी चंदन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर पीले धागे से टांग दें और मूलमंत्र का जाप करें लाभ होगा। (11) आकस्मिक धन लाभ- ग्यारह सफेद पुष्प लेकर प्रात:काल चौराहे के मध्य पूरब की ओर मुख करके रखें व शुक्रवार के दिन चौराहे पर मध्य में इत्र डालकर शीशी वहीं छोड़कर आएँ तथा कमलगट्टे की माला से लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र की जाप करें शीघ्र सफलता मिलेगी। (12) लक्ष्मीप्राप्ति- प्रतिदिन प्रातः व सांयकाल को घर या दुकान में कपूर जलाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। वातावरण का वायुदोष शांत होता है, अतः प्रतिदिन व्यापार वृद्धि मंगल कलश या श्रीमहामंत्र के सामने कपूर की आरती अवश्य करें। मंगल कलश या श्रीमहामंत्र की आरती देखें पेज न. ( 269) (13)धन धान्य समृद्धि- गुरुपुष्य योग अथवा गणेश चतुर्थी या दीवाली के दिन पीले रूमाल में, पांच हल्दी गांठ, कुछ चावल के दाने, एक नारियल, पांच सुपारी, पांच बादाम, 50 ग्राम कपूर, 50 ग्राम पीले सरसों, पांच का सिक्का हल्दी में रंगे, सभी को धूप दीप देकर रुमाल बांध कर रखें। (14)धन समृद्धि हेतु- रविवार को सूखा नारियल का गोला लेकर सूर्यास्त से पूर्व उसमें छेद करके बूरा (चीनी), आटा व पाँच मेवे भरकर 'ॐ श्रीं श्रियैः नम:' का जाप करते हुए दीपक जलाकर वह गोला पीपल वृक्ष के नीचे गाड़ें, ऐसा ७ रविवार करें। 465 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ( 15 ) धन लाभ - बिल्ली की जेर प्राप्त कर रविवार को तिजोरी में रखें लाभ होगा। ( 16 ) अनावश्यक व्यय - यदि आर्थिक दृष्टि से परेशान हो तो शुक्ल पक्ष के शुक्रवार या दीवाली को स्फटिक का श्री यंत्र लेकर पंचामृत से स्नान कराकर प्रतिष्ठा करके पूजा स्थान में रखें तथा लाल गुलाब या कमल पुष्प, लाल चंदन के साथ लाल कपड़े में रखकर तिजोरी में रखें व श्री महायंत्र के सामने लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। ( 17 ) टोने टोटके का असर खत्म हेतु- चंदन, कुमकुम, कुट, लौंग, नेत्रबाला, देवदारू, चासनी, जावत्री, गायत्री, गूगल, अगर, तगर, गोरोचन, काली मिर्च, लाल मिर्च, काली सरसों, उड़द, काले तिल, नींबू, नमक, कपूर, फिटकरी, लोहान, केशर की धूप बनाकर सुबह शाम २१ दिन तक गुरु से मंत्र लेकर श्रीमहामंत्र के सामने अग्नि में होम करें तथा कुछ शेष सामग्री को लाल वस्त्र में बांधकर पूजा स्थान में रखें तथा श्रीमहामंत्र के सामने शान्ति मंत्र की जाप करें तो तमाम टोने-टोटके का असर खत्म हो कर दुकान बंधी खुल जाएगी। ( 18 ) व्यापार स्थल की नजर निवारण- दीपावली के दिन प्रातः काल फिटकरी को ३१ बार उतार कर दुकान से बाहर किसी चौराहे पर जाकर उत्तर दिशा में फेंक दें। तथा प्रात:काल ही एक पीला नींबू तिजोरी पर घुमाकर उसे आड़ा रखकर काटें व एक टुकड़ा दाई तरफ व दूसरा टुकड़ा बाईं ओर फेंक दें। एक नींबू को दुकान में चारों ओर घुमाकर गैस पर या छाने की आंच पर रख दें जब नींबू आवाज के साथ फूटकर दूर गिरे तो समझो नजर खत्म हो गई और दुकान जो बंधी थी वह खुल गयी, फिर एक मुट्ठी उड़द, काले तिल उतार कर बाहर चौराहे पर फेंक दें व श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा किया हुआ चौखट पर लगा दे तों व्यापार में दुबारा नजर नहीं लगेगी तथा अच्छा व्यापार चलेगा। ( 19 ) धन समृद्धि - पीले कपड़े में गुरुवार के दिन नागकेशर, ५ हल्दी, ५ सुपारी, श्वेत अपामार्ग, ताँबे का सिक्का, एक नारियल, पीले सरसों एक मुट्ठी तथा चावल बांधकर पूजन के बाद धूप दीप देकर तिजोरी में रखे व व्यापार वृद्धि मंत्र का जाप करें तथा कलिकुण्ड दण्ड पारसनाथ भगवान की पूजा करें तो अवश्य लाभ हो समृद्धि बढ़े। (20) काले कपड़े में शनिवार के दिन २१ काली मिर्च, ७ लौंग, ७ कालीहल्दी, एक नींबू, सवा किलो जौ, एक नारियल, सवा किलो कोयला, उड़द, काले तिल आदि बांध कर सरोवर में डालें तो व्यापार में लाभ हो। ऐसा सात शनिवार करें तथा मुनिसुव्रत भगवान की पूजा जाप करें व १२५० व्यापार वृद्धि मंत्र की जाप श्री महायंत्र के सामने या व्यापार वृद्धि मंगल कलश के सामने करें तो निश्चित ही लाभ होगा। ( 21 ) लाल कपड़े में मंगलवार के दिन लाल गुलाब के पुष्प, रोली, लाल चन्दन, 466 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर श्रीफल, सिन्दूर, कपूर, ५ लौंग, ५ रुपये का सिक्का, ५ जायफल, अगर, तगर, गोरोचन, श्वेतकाली गुंजा मूल आदि को लक्ष्मी मंत्र की सात माला से मंत्रित करके धन स्थान में रखें तो धन वृद्धि होय। ( 22 ) शंख पुष्पी की जड़ पुष्य नक्षत्र में विधिवत् लाकर चांदी की डिब्बी में रखकर तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती। ___(67) धन लाभ (1) शनिवार को सायंकाल उड़द के दो साबुत दाने लेकर उन पर थोड़ा सा दही व सिन्दूर डालकर पीपल वृक्ष के नीचे 21 दिन तक नित्य रखें ध्यान रहे कि पीछे मुड़कर न देखें। इससे धन लाभ होता है। (2) यदि किसी की दुकान नजरा गई हो तो रविवार या मंगलवार के दिन दुकान पर सात मिर्च व बीच में एक नींबू पिरोकर प्रवेश द्वारा पर लगाने से नजर दूर हो जाती है। यदि मिर्च काली पड़ जाती हैं एवं नींबू का रस सूख जाता है तो समझें बुरी नजर लगी थी और उसका असर अब समाप्त हो गया है। (3) बहेड़ा (इसका वृक्ष महुए के वृक्ष जैसा होता है) रवि पुष्य नक्षत्र को इसकी जड़ व पत्ते एक साथ विधिवत लाकर पूजन के बाद लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी या गुप्त संदूक में रखने से धन की कमी कभी नहीं रहती। (4) संपत्ति:- खच्चर का दांत पास में रखने से संपति बढ़ती है। (5) शंखपुष्पी की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर चांदी की डिबिया में रख देव पूजन के समान ही पूजा करने से धन की वृद्धि होती है। लेकिन डिबिया को गुप्त स्थान में रखें। (6) लक्ष्मणा की जड़ बहुत उपयोगी होती है। रवि-पुष्य योग या किसी भी शुभ मुहूर्त में लाकर भली प्रकार धोकर शुद्धकर लें। फिर घर के पूजा-स्थल में रखकर नित्य पूजा करने से संतान प्रप्ति, विजय, कीर्ति, बाधा निर्वृति, धन वृद्धि होती है। यदि कोई सेवारत व्यक्ति सिंदूर के साथ इसकी जड़ को घिसकर तिलक धारण करें तो उस पर अधिकारियों की कृपा बनी रहती है। व्यवसाय के कार्यों में उन्नति के लिए बरगद का पत्ता पुष्य नक्षत्र में लाकर विधिवत् उसे लक्ष्मीनारायण मानकर पूजा करें। ऐसे वटपत्र यदि अश्लेषा नक्षत्र में लाकर अन्न भंडार में रख दिया जाए तो तिलहन, आढ़त और गल्ले के व्यापार में वृद्धि होती है। (8) यदि दुकान में बिक्री कम हो तो चौखट के ऊपर प्राण-प्रतिष्ठा किया हुआ श्री यंत्र 467 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र बांध ( 9 ) धन प्राप्ति :- पुष्य नक्षत्र में सफेद अकौआ की जड़ को लाकर द्रव्य के साथ रखने से अष्टसिद्धि नवनिधि की प्राप्ति होती है । मुनि प्रार्थना सागर ( 10 ) दुकान की हाय (नजर) उतारने का टोटका शनिवार के दिन अपने प्रतिष्ठानों के बाहर दरवाजे पर सात हरी मिर्च व नींबू बांध दें। इसे ऐसी जगह बांधे जहां सबकी नजर उस पर पड़े। नींबू व हरी मिर्च की माला बनाकर दुकान पर लगाने से नजर नहीं लगती व व्यापार वृद्धि होती है। ( 11 ) व्यापार स्थलकी हाय (नजर) उतारने का टोटका रविवार के दिन - फिटकरी ३१ बार उतार कर दुकान से बाहर किसी चौराहे पर जाकर उत्तर दिशा में फेंक दें। ( 12 ) दुकान की नजर बाधा - प्रातः काल या सायंकाल पीला नींबू तिजोरी पर ७ बार घुमाकर उसे आढ़ा रखकर काटें व एक टुकड़ा दाईं व एक टुकड़ा बाईं ओर फेंक दें। ( 68 ) मनोकामना पूर्ण तंत्र (1) पुष्य नक्षत्र में श्वेतार्क की जड़ लाकर दाएं हाथ में धारण करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। (2) मनोकामना पूर्ण हो- सूर्यमुखी के फूलों का रस निकालकर उसमें चन्दन मिलाएं और उससे चांदी के पतरे पर अपना नाम लिखकर उसे गुगल की धूप दें और उस पतरे को अपने पास रखें तो आपकी मनोकामना पूर्ण हो जायेगी । (3) पुष्य नक्षत्र में पुनर्नवा की जड़ को सम्मान पूर्वक लाकर उसे ऊँ नमः सर्वलोक वंश कराय कुरू - कुरू स्वाहा । मंत्र द्वारा सात बार अभिमंत्रित कर हाथ में बांधने में मनुष्य सभी लोगों में पूजनीय होता है और उसमें सभी लोगों को वशीभूत करने की शक्ति आ जाती है । ( 69 ) सर्व कार्य सिद्धि (1) यदि आपके सभी उपाय निष्फल हो जाएं, तो आप जावत्री, गायत्री चंदन, कुमकुम, कूट, तगर, लौंग, नेत्रवाला, देवदारूव केशर इन सबको लेकर कूटकर धूप बनाकर चासनी में मिलालें फिर गुरु से मंत्र लेकर, घर में ही श्री महायंत्र के सामने, सुबहशाम २१ दिन तक अग्नि में होम करें, व अगर, तगर, गौरोचन को लाल वस्त्र में बॉधकर पूजा स्थल में रखें तथा श्री पारसनाथ की जाप करें व कलिकुण्ड पारसनाथ की पूजा करें तो निश्चित लाभ होगा । ( 70 ) टोने टोटके का असर खत्म हेतू 468 Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (1) टोने टोटके का असर खत्म हेतू- जावत्री, गायत्री, गूगल, लाल चंदन, कुमकुम, कुट, लौंग, नेत्रबाला, देवदारू, चासनी, जावत्री, गायत्री, गूगल, अगर, तगर, गोरोचन, काली मिर्च, लाल मिर्च, काली सरसों, उड़द, काले तिल, नींबू ,नमक, कपूर, फिटकरी, लोहान, केशर, को कूटकर धूप बनाकर सुबह शाम २१ दिन तक श्री महायंत्र के सामने,मंत्र पूर्वक हवन करें, तथा कुछ शेष सामग्री को लाल वस्त्र में बांधकर पूजा स्थान पर रखें तथा शान्ति मंत्र की जाप करें, प्रभु कृपा से तमाम टोने-टोटके का असर खत्म होकर घर में मंगल होगा। (2) तांत्रिक अभिकर्म- यदि शत्रु आपकी सफलता से चिढ़कर तान्त्रिकों द्वारा अभिचार कर्म करवा देता हों, जिससे व्यवसाय बाधा, गृह कलह होता हो तो इसके दुष्प्रभाव से बचने हेतु शनिवार को मुनिसुव्रतनाथ भगवान का ध्यान करते हुए सवा किलो उड़द, सवा किलो कोयले को सवा मीटर काले कपड़े में बांधकर, घर में २१ बार घुमाकर, शनिवार के दिन तालाब में विसर्जित करें तथा अपने इष्टदेव की पूजा करें और अभिषेक का जल घर में छिड़क दें। मुनिसुव्रतनाथ भगवान का जाप करें अथवा शान्ति मंत्र का जाप करें सारे टोना टोटका खत्म होकर लाभ मिलेगा। लेकिन ऐसा ७ शनिवार करें। (3) तंत्र मंत्र कर्म- यदि कोई दुश्मन तांत्रिक अभिकर्म करवा रहा हो तो नींबू को अपने ऊपर से उतार कर चार टुकड़े करके चारों दिशाओं में फेंके, लेकिन फेंकने से पूर्व अपने इष्ट से प्रार्थना करें कि मुझे तांत्रिक अभिकर्म से छुटकारा मिले। नींबू फेंकने के बाद घर में हाथ पैर धोकर जायें व मूल मंत्र, या गायत्री मंत्र की एक माला जपें। ___(71)बलाएँ दूर करें (1) बलाएँ दूर करें- शमशान की मिट्टी लाकर उसमें चन्दन मिलाएं, उसमें गूगल की धूप दें और भोजपत्र पर अपने परिवार वालों का नाम लिखकर उस भोजपत्र को अपने घर में गाड़ दें तो सारी बलाएं दूर हो जायेंगी। (72) परेशानियां दूर करने हेतु (1) परेशानियां दूर करने हेतुः- बुधवार के दिन प्रातः काम पर जाने से पूर्व एक नींबू के दो टुकड़े करें। घर से निकलने के बाद जो भी पहला मोड़ आए, उस समय एक टुकड़ा आगे और दूसरा पीछे फैंककर चले जाए इससे उस दिन सारे काम बनेंगें व परेशानियाँ स्वयं दूर हो जायेगी। (2) गांवपर आई विपत्ति पर तंत्र- बन्दर की नौ अंगुल की हड्डी को लेकर उसे धूप, दीप करके गांव की सीमा में गाड़ दे तो गांव पर आई विपत्ति टले। 469 Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर __ (73) दुष्ट (शत्रु) व्यक्ति से पीछा छुड़ाना (1) दुष्ट व्यक्ति से पीछा छुड़ाना- यदि किसी से पीछा छुड़ाना हो तो सफेद सूती कपड़े को गंगाजल से धोकर, कपूर जलाकर उससे बने हुए काजल से दुष्ट व्यक्ति का नाम तर्जनी अंगुली से लिखकर फिर उसके नाम के जितने अक्षर हों उतनी बार थूकें व पैर से रगड़े, तथा उसे शौचालय में फेंक दें, इससे दुष्ट व्यक्ति शीघ्र ही पीछा छोड़ देगा। (2) चमेली की जड़ को रवि पुष्य योग में लाकर विधिवत धारण करने से शत्रु सहज पराजित हो जाते हैं। (3) शत्रु परेशान करे :- यदि अनावश्यक शत्रु परेशान करे तो उसकी फोटो लेकर गड्डे में दवाये तथा उस पर मल-मूत्र करे व धुंके परेशानी दूर होगी। (4) आप किसी अज्ञात शत्रु द्वारा परेशान हैं तो आपके लिए रात को अपने तकिए के नीचे तेज धार वाला एक छोटा चाकू रखकर सोना चाहिए। (5) यदि किसी शत्रु से कष्ट हो तो चांदी की मछली बनवाकर अपने तकीए के नीचे रखकर सोएं। (74) वाद विवाद में विजय (1) वाद विवाद में विजय- माघ मास की पूर्णमासी में गाजर की जड़ लाकर भुजा मस्तक आदि में कहीं पर भी बांधे तो वाद-विवाद में विजय हो। विपत्ति नाशक- अगहन मास की पूर्णिमा को अपामार्ग की जड़ लाकर उसे भुजा में धारण करें विपत्ति नष्ट हों । __(75) सर्व भय निवारण तंत्र (1) आर्द्रा नक्षत्र में बांस की जड़ कान में धारण करें तो शत्रु भय निवारण हो। (2) काले रंग के घोड़े व काले रंग के बकरे के पांव के बाल मंगलवार या रविवार को काले मुर्गे व कौए के चार पंख लें, सबको जलाकर राख कर लें, राख को शीशी में भर लें। प्रयोग के समय पानी मिला कर तिलक करे तो शत्रु भय के मारे सामने न आए। (3) भय मुक्ति- शनिवार को सवा पाव काले तिल काले कपड़े में बांधकर ७ बार उतार कर नदी में फेंक दें, दिल से भय दूर हो जाएगा। (4) कारावास भय- यदि ऐसा महसूस हो कि किसी आरोप में आपको कारावास हो सकता है तो आप ७ नारियल व ४५ पुराने सिक्के जो प्रचलन में न हों, उन्हें बहते - 470 Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पानी में बहा दें व पारसनाथ स्तोत्र का पाठ करें, भय समाप्त होगा। (76) दुष्मन पर विजय (1) शत्रु को भूत दिखें- शमशान की मिट्टी में गिलोय का रस मिलाकर उससे भोजपत्र पर अपने शत्रु का नाम लिखें फिर उस भोजपत्र को शुत्र के घर पर गाड़ दें तो उसे भूत नजर आएंगें। (2) शत्रु को शूल होय- कनेर के पत्ते पर काली स्याही से अपने दुश्मन का नाम लिखें फिर उस पत्ते में कील से छेद करके उसे शमशान में गाड़ दें तो आपके शत्रु को शुल हो उठेगा। (3) शत्रु का मुँह सूजना- लोहे की तख्ती पर रविवार के दिन तेल से अपने शत्रु का नाम लिखें और उस पर जूता मारें तो शत्रु के मुँह पर सूजन 1-2 दिन में आ सकती है। (4) शस्त्र स्तम्भन- शुभ नक्षत्र में ओंगा की जड़ काट लायें उसको पीसकर तन पर लेप करें तो शस्त्र की चोट न लगे। (5) दुष्मन पर विजय- "ऊँ बैरी नाशक होत दूर हूँ फट् स्वाहा' मंत्र पढ़कर एक कटोरी आक का दूध रास्ते में रख दें। बैरी अगले दिन से ही कुत्ते की भांति हो जाएगा तथा फिर कभी बैर न करेगा। (6) चमेली की जड़ को रवि पुष्य योग में लाकर विधिवत धारण करने से शत्रु सहज पराजित हो जाते हैं। (7) शत्रु की नाक बहने लगे- कनेर के पत्ते पर अपने शत्रु का नाम लिखें और उस पत्ते को किसी चीज से काट दें तो शुत्र की नाक बहने लगेगी। (8) अचानक यात्रा- अश्विनी नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर दस अंगुल की कील बनाकर जिसके द्वार पर गाड़ दें वह अचानक लम्बी यात्रा पर चल देगा। (9) शत्रु को परेशान हेतु- यदि शत्रु अधिक परेशान करे तो उसका मल व बिच्छू एक बर्तन में ढंक कर गड्ढा खोदकर दबायें, जब तक दबा रहेगा शत्रु परेशान रहेगा। बर्तन निकालने पर परेशानी दूर होगी। लेकिन यह प्रयोग करें नहीं, क्योंकि इससे भारी पाप लगता है। (10) भयभीत करना- गुंजा की जड़ को तिल के तेल में घिसकर सारे शरीर पर लेप करने से देखने वाले भयभीत होते हैं। (11) शत्रु बाधा- यदि शत्रु परेशान कर रहा हो तो पीड़ित व्यक्ति को शनिवार को काले कपड़े में लोहे का छल्ला, काली उड़द, नीले पुष्प रखकर काले धागे से बांधकर शाम को चौराहे पर रखें व शमी वृक्ष की लकड़ी से मध्य में घेरा बनाकर अपने 471 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर आंख के काजल से शत्रु का नाम लिखें व वह पोटली उस पर रख दें व आते समय वह लकड़ी पीछे की ओर फेंक दें। ( 12 )झगड़ा कराने हेतु -मंगलवार के दिन कोयल के पंख से कुम्हार के आंवे से निकले ठीकरे को कूटें और उसे विरोधी के घर में फेंके तो झगड़ा अवश्य होगा। (13) शत्रु के घर कलह कराना – श्वेत अपामार्ग (इसे ओंगा लटजीरा, चिरचिटा आदि नाम से भी जानते हैं) व बरड़ (बडेड़ा) की जड़ जिसके घर में रखते हैं वहाँ क्लेश होता है। कृपया यह पापवर्धक कार्य न करें। ( 14 )प्रतिद्वन्दी भगाने हेतु- रविवार को गुंजा (चिरमिटि, धुंधुची, गुमची, रत्ती भी कहते है) लकर कुंवारी कन्या रजस्वला हो उसके रक्त में गुंजा भिगोकर सुखा लें फिर उसे पीसकर चूर्ण बनायें, दुश्मन के घर दुकान या मुख्य द्वार पर छिड़के तो वह भाग जाएगा। नोट- कृपया कोई भी पापवर्धक कार्य न करें। (77) राजा की तरह सम्मान मिलें (1) श्वेतापूर्वा और हरताल को पीसकर तिलक लगाकर बाहर निकलने पर सम्मान बढ़ता है। (2) लक्ष्मणा की जड़ को सिंदूर के साथ घिसकर तिलक लगाने से उच्चाधिकारियों की कृपा प्राप्त होती हैं। (3) मोर की शिखा अपने पास रखने से सर्वत्र सम्मान की प्राप्ति होती है। (4) राजा की तरह सम्मान मिलें -चमेली के पत्तों पर अपना नाम लिखें फिर उन पत्तों को बारीक पीसकर उनका एक ताबीज बनाएँ और उस ताबीज को अपने बायें हाथ में बांधे तो राजा की तरह सम्मान होगा। (78) जुआ में जीत (1) रवि हस्त नक्षत्र को पमाड़ की जड़, शनिवार को न्यौतकर रविवार को प्रातः ___ उसे लाकर दाई भुजा में बांधने से जुआ में जीत होती है। (2) गोरोचन केशर और असगंध से भोजपत्र पर अपने साथी का नाम लिखकर दिवाली की पूजा करके अपने दाहिने हाथ में बांधे तो आप जुआ जीतेंगे। (3) नक्षत्र रेवती में झाड़ी का पत्ता दाहिने हाथ में बांधे तो जुए, सट्टे में जीत हो। (79) मुकदमे में विजय प्राप्ति का तंत्र 472 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (1) मुकदमे में विजय प्राप्ति का तंत्र- गोभी और मयूर शिखा को मुंह में रखकर मस्तक पर धारण कर न्यायालय में जाने से विजय प्राप्त होती है। (2) मुकदमा- यदि कोर्ट में दंड की संभावना हो तो अपने वजन के बराबर कोयले को पानी में बहा दें। (80) अंगूठी बनाने का विधान (1) एक रत्ती शुद्ध सोना, बारह रत्ती शुद्ध चांदी तथा सोलह रत्ती शुद्ध तांबा- सारे उनतीस रत्ती धातु रवि पुष्य नक्षत्र के दिन मिलाकर एक अंगूठी नक्षत्र रहते ही बनवाएं। णमोकार मंत्र का जाप करें तथा अंगूठी पर तिलक करें। फिर दाहिने हाथ की तर्जनी (अंगूठे के पास वाली) अंगुली में अंगूठी पहन लें। भोजन करते समय बायें हाथ धोने के बाद फिर दाहिने हाथ में धारण कर लें। पूजा के बाद अंगूठी पहनते समय९ बार णमोकार मंत्र पढ़कर पहनें। यह अंगूठी दरिद्रता का नाश करती है, लक्ष्मी का लाभ करती है, विघ्न-बाधाएं दूर करती है। कुँवारी कन्याओं तथा स्त्रियों को मन वाञ्छित फल देती है। (2) १२ भाग तांबा, १६ भाग चांदी, १० भाग सोने का पृथक्-पृथक् तार खिंचवा कर ___ रवि पुष्य या गुरु पुष्य अमृत योग में अंगूठी बनवा लें और पंचामृत से अभिषेक कर दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में पहनने से सर्व प्रकार की दरिद्रता नाश होती है। (3) सर्वकार्यसिद्धि मुद्रिका-नीला थोथ का सत, नाग (सीसा), ताम्र इनके बराबर सोना डालकर अंगूठी बनवाकर दाहिने हाथ की कनिष्ठा (छोटी) अंगुली में पहने तो जंगम विषों को, भूत बाधा, डाकिनी, शाकिनी, नजर और विष आदि को दूर करती है। (81) भूख प्यास न लगे तंत्र (1) भूख प्यास न लगे तंत्र- आंवला, अपामार्ग, कमल का बीज और तुलसी की जड़- इन सबको एक साथ पीसकर गोली बना लें। प्रतिदिन प्रातः एक गोली खाकर ऊपर से गाय का दूध पीने से भूख प्यास दूर हो जाती है। (2) कमल के बीज और चावल को बकरी के दूध में पीसकर, घृत मिलाकर, फिर खीर बनाकर खाए तो चार दिन भूख नहीं लगे। (3) भूख न लगे-भैंस के दूध में तथा घी में अपामार्ग के बीजों की खीर बनाकर खाने से एक माह तक भूख नहीं लगती है। अथवा पमार के बीज, कसेरू तथा कमल की जड़ को गाय के दूध में पकाकर खाने से एक माह तक भूख नहीं लगती है।। (82) भूख प्यास ज्यादा हो (4) भूख प्यास ज्यादा हो- रविवार के दिन ओंगा के चावल की खीर जो 473 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर व्यक्ति पन्द्रह दिन तक पकाकर खावें तो उसे भूख-प्यास ज्यादा लगे। (5) बहेड़े के वृक्ष को सायं को न्यौंत दे आवें, सबेरे उसका पत्ता लाकर पांव के नीचे दबाकर भोजन करने से बीस-तीस आदमी का भोजन अकेले ही खा जाता है। (83) जमीन या मकान न बिकता हो तो (1) जमीन या मकान न बिकता हो तो :- यदि काफी प्रयास के बाद भी उचित दाम पर संपत्ति न बिक पा रही हो तो मंगलवार को लाल रंग के सात धागे लाएं तथा जमीन के अथवा मकान की चार दीवार को उस धागे से नाप लें। मंगल यंत्र की प्रतिष्ठा करके यह धागा उस यंत्र पर लपेट कर यंत्र को घर के बाहर ईशान कोण में दबा दें। मकान या जमीन शीघ्र विक्रय हो जाएगी। कार्य हो जाने पर उस यंत्र को जलाशय में प्रवाहित कर दें। (84) पृथ्वी से गढ़ा धन निकालने का तंत्र (1) जिस जगह अकेले बैठकर यक्षिणी का ध्यान करें और यदि वहां पर पैर मारने से शब्द निकले तो समझे वहां धन है। (2) जहां पर बोया हुआ बीज न उगे और बिना बोया पैदा हो जाये, उग आवे तो उस पृथ्वी के अन्दर धन जानना चाहिए। (3) कुनटी, गंधक और तालक के चूर्ण से तथा सफेद आक की रूई पर कमल की नाल के धागे को लपेटकर बत्ती बनावें, फिर उसको कंगनी के तेल में भावना देकर दीपक जलावें। उस दीपक की लो का मुख जहां जाकर नीचे को जावे, वहीं धन का ढेर समझना चाहिए। (4) पृथ्वी का खजाना दिखाई दे- बालमीक और अधोपुष्पी की जड़ को स्त्री के दूध के साथ पीसकर आंखों में लेप करे तो (अंजन करे) तो पृथ्वी का गड़ा खजाना दिखे। (5) गड़ा धन-जहां पर कौए मैथुन करते हों या सिंह आकर बैठता हो तो वहां पर अवश्य ही धन गड़ा हुआ समझना चाहिए। (6) पृथ्वी का धन दिखता अंजन से सर्प के बिल की मिट्टी और अधोपुष्पी की जड़ ___ को स्त्री के स्तनों के दूध से पीसकर आंखों में अंजन करने से पृथ्वी का खजाना दिखता हैं। (7) अधो पुष्पी लजालू और सफेद कोपला शहद और कपूर मिलाकर अंजन करने से उसे पृथ्वी का धन दिखता हैं। (8) शुभ तिथि, वार, नक्षत्र, को काली गाय के दूध को जीभ पर रखकर उसके 474 Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर घी को दोनों आंखों में अंजन करें, तो पृथ्वी में गड़ा हुआ द्रव्य दिखेगा । (9) पूर्व जन्म देखें- अंकोल वृक्ष के बीजों का तेल निकलवा कर उसका दीपक जलाएँ और काँसे के पात्र में काजल उतारें फिर इस काजल को गाय के शुद्ध घी में मथ करके नेत्रों में लगा करके शीशे में देखें तो शीशे में अपना पूर्व जन्म दिखाई पड़ेगा । (85) खेत वृद्धि का तंत्र (1 ) खेत वृद्धि का तंत्र - चन्द्रमा के अनुराधा, पुष्य, उत्तराभाद्र पद या मिथुन राशि में उदय होने पर खेत के बीच में दो कील गाड़ें। इस प्रयोग से खेत में फल और अनाज दानों की प्राप्ति होती है तथा इससे खेत बिना शत्रुता के फल फूल कर खूब धान देता है। (2) सफेद सरसों और बालू एक साथ मिलाकर खेत में चारों ओर डालदेने से टिड्डी, मच्छर और चूहों आदि से फसल प्रभावित नहीं होती (3 ) खेतों में रात भर भेड़ों को बैठाने से उपज बढती है। ( 86 ) पशुओं पर तंत्र (1) गाय का दूध बढ़े – ऊँट की लीद के अन्दर गधे का मूत्र डाल दें और उसे गूगल की धूप देकर किसी कपड़े में रख कर उस कपड़े को गाय के गले में बाँध दें तो गाय का दूध दुगुना हो जाएगा ।। (2) पशुओं के कीड़ों पर तंत्र - लसोड़ा की लकड़ी चार अंगुल बराबर ले (दो सूत मोटी होनी चाहिए), फिर उसे दूना कर ( दोहरा कर) रस्सी से पशुओं के गले में बांध दे। ऐसा करने से पशु के, चाहे किसी भी अंग में कीड़े पड़े हों, सूख जायेंगे और आराम हो जायगा । ( 3 ) पशुओं के कीडे झाड़ना - नीम की डाली का रस निकाल कर उसमें रोली व कपूर मिलाकर उसे गुगल की धूप दें फिर उस रस को पशुओं के ऊपर डालें तो एक भी कीड़ा नहीं रहेगा। ( 87 ) सर्प जहर निवारण (1) सर्पभय दूर तंत्र - मेष राशि के सूर्य में एक मसूर का दाना, दो नीम के पत्तों के साथ खाने से एक साल तक सर्प का भय नहीं रहता । (2) सर्प काटने के कारण - भय, भूख, पुत्र का दुःख, उन्माद, आक्रमण, अभिमान, अपने स्थान की रक्षा और शत्रुता ये आठ ही कारण हैं सर्प काटने के । 475 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (3) राई व नौसादर को पीसकर घर में डालने से सर्प भाग जाता है। (4) सर्प जहर-सर्प कटे स्थान पर सफेद सोंठ की जड़ का लेप करने से जहर उतर जाता है। (5) सर्प जहर- मुख के पानी के साथ कान के मैल को मिलाकर काटे हुए स्थान पर तुरन्त ही लेप करने से विष कभी नहीं बढ़ता। अथवा सर्प के काटे हुए स्थान पर नाखून के अगले भाग को कफ मलादि में मिलाकर लेप करने से सर्प जहर तरन्त ही नष्ट हो जाता है। अथवा पत्थर लकडी आदि से तरन्त ही उसमें ठंडा जल भर देवें। नाक के अग्र भाग के मध्य में मलने से वा वायु को रोकने से सांप के काटे हुए के विष का निग्रह हो जाता है। (7) सांप के काटने से यदि व्यक्ति का पूरा शरीर विषयुक्त हो जाए तो गाय के दूध के साथ हल्दी का काढ़ा सेवन कराने से लाभ होता है। (8) निर्गुडी की जड़ अथवा मोर पंख घर में रखने से साँप नहीं आते। (88) बिच्छू का जहर तंत्र(1) पलास पापड़ा को आक के दूध में घिसकर डंक पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है। (2) नीलाथोथा को नीम्बू के रस में घिसकर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है। (3) नौसादर और हरताल को पानी में पीसकर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है। (4) आक का दूध काटे हुए स्थान पर मलने से बिच्छू का विष उतरता है। (5) बिच्छु जहर जाए-जिसे बिच्छु काटा हो, उसे अपामार्ग की जड़ को दिखा देने मात्र से जहर उतर जाता है, यदि बिच्छु अधिक जहरीला हो तो अपामार्ग की जड़ को घिसकर अथवा पत्तों को पीसकर कटे हुए स्थान पर लगा देने से बिच्छु का जहर उतर जाता है। (6) बिच्छु न काटे-मूली के पत्तों का रस हाथ में लेकर बिच्छु पकड़ने से वह डंक नहीं मारता है। (7) अर्क (आक) नाग केशर, काकड़ासिंगी, साठी, बेर को पीसकर लेप करें तो बिच्छु का विष तुरन्त ही नष्ट हो जाता है। (8) बिच्छू का विषनाश- बेर के पत्तों को पानी में पीसकर लेप करने से बिच्छू का विष नष्ट होता है। (9) बिच्छू विष निवारण- तुलसी के पत्तों के रस में सेंधा नमक मिलाकर डंक वाले 476 Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर स्थान पर लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है। ( 10 ) सत्यानाशी की जड़ बिच्छू के काटने पर पान में दे तो जहर उतरे। ( 11 ) हुलहुल की जड़ बिच्छू के काटे हुए आदमी को ७ बार सुंघाने मात्र से जहर उतर जायेगा। (12) बिच्छू पैदा करना- गधे का मूत्र व भैंसे का गोबर दोनों मिलाकर कपड़े से ढंक दें, इससे २४ घंटे में बिच्छू जन्म लेंगे। यह प्रयोग पहले शत्रु को परेशान करने हेतु किया जाता था। कृपया ऐसे प्रयोग न करें, क्योंकि इससे पाप का बंध होता है। (89) पागल कुत्ता काटने पर (1) जिस जगह पागल कुत्ता काटे उसी जगह पर लौह का डमा देवें तो जहर मिट जाता है। (2) गुड़, तेल, आक के दूध को मिलाकर कुत्ते के काटे स्थान पर लेप करने से विष का प्रभाव नष्ट होता है। कुकुट विषनाशं । (90) मच्छर, मक्खी आदि भगाने हेतु टोटका (1) मच्छर भगाना- बिस्तर पर लौंग का तेल छिड़कने से मच्छर भागते हैं। (2) मच्छर :- काले घोड़े की पूंछ के बाल लटकाने से मच्छर भाग जाते हैं। (3) कहवा का फूल, वायविडंग, कंटारी की जड़, चन्दन, राल, खस, कूट, भिलावा, लोबान इन सबको बराबर लेकर धूनी देने से मच्छर और खटमल भाग जाते हैं। (4) मकान के दरवाजे पर घोड़े के बाल लटकावें। अथवा भूसी, गूगल, गन्धक और बारहसिंगा के सींग की धूनी देने से मच्छर, डांस, खटमल सब भाग जाते हैं। (5) तक्रपिष्टेन तालेन लेपयेत्युत्रिकाकृसिम। तामाघ्राय गृघघांति मक्षिका नात्र संशयः॥ छाछ के साथ हरताल को पीसकर मिट्टी आदि की बनाई हुई एक पुतली में लेप करके घर में रख दें तो उसको सूंघ कर मक्खी घर से भाग जाती हैं और फिर नहीं आतीं इसमें संशय नही जानना। (6) भल्लाकविडगानि विश्वकं पुष्करं तथा। जम्बुलोमशकं हन्ति घूपस्तु गृहम ध्यतः ॥ अब मच्छरों के निवारण यत्न लिखते हैं कि बहेड़ा, बायबिड़ग, सोंठ, पोहकरमूल तथा जम्बू इन सबके चूर्ण की धूप देने से घर से मच्छर भाग जाते हैं। (7) घर में मक्खी न आएं- नरमिश की जड़ अकरकरा गन्धक लाएं और पानी में मिलाकर उसे घर में छिड़क दें तो मक्खियाँ कभी भी घर में नहीं आएंगी। 477 Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र (91) खटमल पर तंत्र (10) खटमल पर तंत्र - प्याज खाने वाले सात व्यक्तियों का नाम एक कागज पर लिखकर टांग दे, खटमल भाग जायेंगे । तन्त्र अधिकार (11) जहां से कीड़े-मकोड़े अधिक निकलते हों, वहां अपने बाएं पैर का जूता उल्टा करके रख दें, सारे कीड़े-मकोड़े बिल में वापिस चले जाएंगे । (92) चींटियाँ भगाने का उपाय (1) चींटी काहू चीज में लिपटी बहुत ही जाय । मुरकत पीसे कपूर को, तुरत भागि सब जाय ॥ ( 93 ) चूहे भगाने का उपाय मूस पकड़ रंग दीजिये, गाढ़ी नील सू एक । वा को घर में छोड़िये, चूहों रहे ना एक ॥ (2) श्वेतार्कदुग्धं कुल्याषस्तिलचूर्ण न्थैव च । अर्क पत्रेषु नयस्तानि मूषकान्तकराणि च ॥ कुचली, तिलों का चूर्ण इन सबको आक के पत्ते पर (चूहे ) भाग जाते हैं। सफेद आक का दूध, रखने से घर के मूषक ( 3 ) चूहे परेशान करें ऊँट का दाये पैर का नाखून रखने से आस पास के ५० गज तक चूहे भाग जाते हैं और जब तक वह नाखून रहेगा तब तक वह पास नहीं आएंगे। (1) : मुनि प्रार्थना सागर (94) मनुष्यों की भीड़ भगाने के लिए (1) गंधक और लहसुन को जलायें तो सारी भीड़ भाग जाती है। (95) यक्षिणी सिद्ध (1 ) यक्षिणी सिद्ध - गुंजा (रक्त या श्वेत धुंधली चिरमिट) की जड़ को बकरी के मूत्र में पीसकर हथेलियों में लेप करने से यक्षिणी सिद्ध हो जाती है, जो साधक के कानों में दूर दूर की घटनाएं सुना देती है। गुंजा की जड़ के अंजन को मधु में मिलाकर लगाने से साधक के सामने बेताल उपस्थित हो जाता है जो उसके कहने के अनुसार इच्छाओं की पूर्ति करता है । (1) शाकिनी दिखे - उत्तर दिशा में उत्पन्न होने वाली क्रौंच की जड़ को गो मूत्र में पीसकर उसका मस्तक पर तिलक करने से शाकिनी उसमें अपना प्रतिबिम्ब दिखाती है । (2) देव-देवी दिखे - अंकोल के फल का तेल निकालकर उसमें तगर के फल का चूर्ण मिलावें, इसे आंखों में आंजने से जहां तक दृष्टि जाएगी वहां तक देवी-देवता ही दिखाई 478 Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पड़ेंगे। बाद में केवल तगर के तेल का अंजन करने से पुनः मनुष्य के समान दृष्टि प्राप्त होती है। (3) भूत-प्रेत दिखे - आंकोल का तेल दीपक में भरकर घर में जलाने से भूत-प्रेत दिखाई देते हैं। अथवा मीठे तेल में गंधक डालकर दीपक जलाने से घर में भूतप्रेत दिखाई देते हैं । ( 96 ) भूत भगाने का टोटका (1) भूत आदि 99 प्रतिशत किसी के शरीर में आते जाते नहीं अगर किसी के शरीर में आते हैं तो पानी का छींटा आँखों पर देने से वह हिलता ही नहीं। अगर वह आँखें फेरे तो नहीं है अन्यथा भूत - प्रेम बाधा है। ऐसा जानना है कि यह एक स्त्री के दिमाग के खराबी (हिस्टेरिया) का प्रकार है । (2) भूत उतरे-चन्दन, खस, मांलकांगनी, तगर, लाल चन्दन और कूठ को पीसकर शरीर में लेप करें तो भूत उतर जाता है । (3) भूत बाधा-काली सरसों और काली मिर्च को पीसकर अंजन करने से भूत बाधा नष्ट होती है अथवा काशीफल के फूलों के रस में हल्दी को पीसकर पत्थर की खरल में खूब घोटकर अंजन बनाकर आंख में आंजे तो भूतादि की बाधा अवश्य ही दूर हो जाती है। ( 5 ) ( 4 ) भूत ज्वर-अपामार्ग की जड़ को रोगी की भुजा में बांधने से भूत ज्वर नाश होता है। भूत भगाने का टोटका - शनिवार के दिन दोपहर को सवा दो किलो बाजरे का दलिया तैयार करें। उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलादें । मिट्टी की एक हांडी में दलिया को डाल लें। सूर्यास्त के समय उस हांडी को अस्वस्थ व्यक्ति के पूरे शरीर पर बाएं से दाएं सात बार घुमाकर चौराहे पर रख आएं। जाते और आते वक्त न तो पीछे मुड़कर देखें और न ही किसी से बातचीत करें तथा इस दौरान घर का भी कोई व्यक्ति सामने नहीं आना चहिए। यह बहुत ही शक्तिशाली उतारा है और इसका शुभ या अशुभ प्रभाव भी शीघ्र ही पड़ता है। ( 6 ) भूत उतारने के गंडे- रविवार को पवित्र होकर तुलसी के आठ पत्ते, आठ काली मिर्च और सहदेई की जड़ लाकर काले कपड़े की छोटी पोटली में बांधकर गंडा तैयार करें। इसे गले में पहनाने से हर तरह की भूत बाधा दूर हो जाती है अथवा सफेद सूत और काले धतूरे का गंडा बनाकर जिसकी दाई बांह में बांध दिया जाए तो वह भूत प्रेत की बाधा से मुक्त हो जायेगा । यह प्रयोग रविवार के दिन करना चहिए । (7) भूत उतारने का तेल- ॐ नमो काली कपाल देहि देहि स्वाहा । इस मंत्र को १०८ बार जप कर सरसों का तेल अभिमंत्रित कर लें फिर इस अभिमंत्रित तेल को बाधाग्रस्त प्राणी के शरीर पर मालिश करने से भूतप्रेत तत्काल ही आक्रान्त प्राणी को 479 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर छोड़कर भाग जाते हैं । धतूरे का गंडा बनाकर जिसकी दाई बांह में बांध दिया जाए तो वह भूत प्रेत की बाधा से मुक्त हो जायेगा। यह प्रयोग रविवार के दिन करना चाहिए। (8) लोहे की अंगूठी बनाकर कृतिका नक्षत्र में पहनने से प्रेत बाधा नहीं सताती है। (9) भूत प्रेत निवारण- सांप की केंचुली, बच, हींग तथा नीम की सूखी पत्तियां पीसकर धूनी देने से भूतप्रेत बाधा दूर होती है। (10) काले धतूरे की जड़ रविवार के दिन बांह में बांधने से भूतबाधा दूर होती है। (11) हस्त नक्षत्र में चम्पा की जड़ लाकर गले में पहनने से भूत-प्रेत बाधा नही सताती। ( 12 ) प्रेतात्मा बुलाना :- सर्प की केंचली को गंधक और तिल के तेल में मिलाकर जलाने पर अर्द्धरात्री में जिस प्रेतात्मा को पुकारा जाता है वह आती है। (13) प्रेत भगाने :-सर्प की केचुली को नीम या सरसों के साथ धूनी देने पर प्रेत भाग जाते हैं। (14) भूतोन्माद :- यदि पीड़ित चिल्ला रहा हो तो तुलसीपत्र जल में डालकर सात परिक्रमा करके जल छिड़कें व शेष जल पिला कर आदेश दें कि वह अच्छा हो गया। ( 15 ) हींग को लहसुन के पानी (रस) में पीसकर नाक में सुंघाए अथवा अंजन कराए तो भूत आदि दूर हो। (16) तुलसी के पत्ते ८, काली मिरच ८, सहदेवी की जड़ रविवार को पवित्र होकर लावें। इन तोनों को मिलाकर कंठ में बांधे तो भूत आदि की बाधा दूर हो। ( 17 ) शाकिनी, प्रेतनी की बाधा निवारण तंत्र- गंधक, गुगल, लाख, लोबान, हाथी दाँत, सांप की कांचली व ग्रसित व्यक्ति के मस्तक का एक बाल लेकर सबको मिला कर पीस कर उसको जलावें और उसका धुंआ दें तो वो बाधा हट जाती है। ( 18 ) मेनशील या बच से भूत बाधा दूर होती है। (97) हाथी भय दूर तंत्र (1) हाथी भय दूर तंत्र- श्वेत अपराजिता की मूल (जड़) हाथ में बाँधने से हाथी का भय नहीं होता है। (2) हाथी वश होय-पुष्यार्क में सूअर की विष्टा जमीन पर नहीं गिरे, उसके पहले ही ग्रहण करके मिष्ठान के साथ में हाथी को खिलाने से हाथी वश में होता है। 480 Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र तन्त्र अधिकार मुनि प्रार्थना सागर (98) अदृश्य प्रयोग (1) दो मुंह वाले मरे हुए सांप को 7 दिन तक नमक में गाड़ देना फिर आठवें दिन उस सांप को नमक के अन्दर से उठा लेना। उसको लेकर पानी से धौ लेना फिर नदी या तालाब में जाकर कमर तक पानी में जाकर सांप के हड्डी के गुरीआ एक - एक पानी में छोड़ते जाना । जो हड्डी की गुरीआ पानी में सर्पाकार चले उसे ले लेना । लेकर उस गुरीआ को चांदी या तांबे के ताबीज में डालकर पास रखें तो मनुष्य अदृश्य होता है । (2) काली बिल्ली को तीन दिन उपवास करवा के धाप का घी उस भूखी बिल्ली को पिलावें फिर जब वह बिल्ली उल्टी कर दे तब घी को उठा लेना फिर, उस घी का दीपक जलाकर मनुष्य की खोपड़ी पर काजल पाड़ना । उस काजल को अंजन करने से मनुष्य अदृश्य होता है । परन्तु यह अदृश्य वाले कार्य करें न क्योंकि इससे पाप की वृद्धि होती है । (3) आदृश्य अंजन - धौली (सफेद) चिणोठी (गुंजा), सफेद रोगणी (सफेद भट कटैआ) की जड़ लेकर पूर्ण, फिर मनुश्य की खोपड़ी पर काजल उपाड़कर नेत्र अंजन करने से अदृश्य होता है । ( 4 ) बिल्ली की जरा को त्रिलोह के ताबिज में रखें तो अदृश्य होता है। (99) कुछ अन्य तांत्रिक प्रयोग (टोटका ) (1) नजर बन्द - अकोहर का फल और बिलाई कन्द मुख में रख लेने से दूसरे की निगाह बन्द हो जाती हैं और वह नजर बन्द जो चाहे खेल दिखा सकता है। ( 2 ) मुँह में आग रखना - कुलन्जन, अकरकरा और नौसादर मुँह में डालकर खूब चबाने और गर्म पानी से कुल्ला करके मुँह में आग रखने से कभी असर नहीं होता है। (3) हाथ में सरसों जमाना - स्त्री के दूध में सरसों भिगोकर उसे छाया में सुखा लें फिर जब खेल करना हो तब हाथ में नदी की रेत और सरसों रखकर पानी का छींटा मारें तो सरसों तुरन्त जमेगी । ( 4 ) रात में दिन जैसा उजाला - घुर, घूसिख, हरताल में मेनसिल नेत्रों में आंजने से रात को भी दिन जैसा उजाला दिखाई देता है। (5) आग से अंगुली न जले - अरोनिक 2 भाग, जरा सा पारा, आधा भाग 481 Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर कपूर तीनों को पानी में खूब महीन पीसकर उंगली पर लेप करें, फिर शीशे को खूब आग पर गलाकर सबके सामने उंगली डाल दें, जलेगी नहीं। (6) हाथ पर आग का अंगारा रखना- नौसादर के पानी में कपूर घिसकर __ हाथों पर खूब मल कर अच्छी तरह हाथों को सुखा लें, फिर उस पर आग का लाल-लाल अंगारा रखें तो भी वह बिल्कुल नहीं जलेगा। (7) हाथ पर रखकर सिक्का दहकाना- दो-तीन रत्ती मरकरी क्लोराइड को भस्म या मिट्टी में मिलाकर उससे एक सिक्का मांजकर जल से धो लें। यह सिक्का हाथ पर रखने से शनैः-शनै:गरम हो जाएगा। ध्यान रहे कि यह प्रयोग एल्यूमिनियम के सिक्के या एल्यूमिनियम की कटोरी पर ही किया जाना चाहिए। (8) पवन से आग पैदा करना- ऊँट की मेंगनी जलाकर भाहद में बुझा कर डिबिया में बन्द करके रख लें, फिर जब आग की जरूरत हो तब उसे हवा में खोल कर रख दें। (9) पानी से आग लगाना- गंधक और नौसादर दोनों की एक पोटली बना लें फिर जब आपको खेल दिखाना हो तो उस पर पानी गिरा दें तो आग लग जाएगी। (10) पानी में दीपक जले- हिरनी के दूध में रूई भिगों कर उसकी बत्ती बनाएँ और उसे छाया में सुखा लें, फिर जब भी उन बत्तियों को दीपक में रखें और पानी भर कर जलायें तो वह बुझेगी नहीं। (11) धागा न जले- कच्चे सूत के धागे को नौसदार के पानी में भिगोकर सुखा लीजिए फिर जब खेल दिखाना हो तो धागे के अन्दर आग का दहकता हुआ अंगारा बांध दे तो धागा जलेगा नहीं। (12) आग खुद जले- बिना बुझा चूना तथा फासफोरस कपड़े में रखकर उस कपडे को पीतल के बर्तन में रख दें और जब खेल दिखाना हो तब उसके ऊपर पानी डाल दें आग लग जायेगी। ( 13 ) लोहे को गलाना- इस्पात का एक टुकड़ा लेकर अग्नि में गरम करें। जब लाल हो जाये तब उसको चिमटे से पकड़कर दूसरे हाथ में गंधक लेकर उस गरम इस्पात पर डाल दें तो इस्पात पानी की भाँति गलकर गिर जाएगा। (14) पानी बंध जाये-पके और सूखे हुए लभेड़े (ल्हिसोड़े) के फल को खूब महीन पीसकर पानी में डालने से पानी बंध जाता है। (15) पानी स्तम्भन-दो हांडियों में श्मशान के अंगारे भरकर दोनों का आपस में मुंह 482 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर मिलाकर जंगल में गाड़ देने से मेघ का स्तंभन होता है। (16) जल में पत्थर तैराना- जंगल से स्यार की विष्टा लाकर उसमें झरबेरिया की गुठली मिलाकर खूब बारीक पीसिये और पत्थर पर एक तरफ खूब गाढ़ा-गाढ़ा लेप कर सुखा लें फिर उस पत्थर को पानी में डालें तो लकड़ी की तरह तैरेगा। (17) जल जमने के लिए- ताल के बीज का चूर्ण अथवा कुकी के रस में मिला हुआ जल उसी क्षण जम जाता है। (18) बरतन फूटें-गोखरू, बकरी का सींग, ताल बुखारा, शूकर की विष्टा और सफेद बूंघची इन सबको पीसकर रसोईघर में डालें तो मिट्टी के सब बर्तन फूट जायेंगे। (19) कुम्हार के बर्तन नष्ट- हस्त नक्षत्र में कनेर वृक्ष की जड़ की तीन अंगुल कील बनाकर कुम्हार के घर में गाड़ दें तो कुम्हार के द्वारा बनाए सभी बर्तन नष्ट हो जाते हैं। ( 20 ) भााक नाशक प्रयोग- गंधक का चूर्ण जल में मिलाकर जहां खेत में शाक बोया हो वहाँ छिड़क आवे तो शाक सूख जाएगा। (21) ताम्बूल नाशक प्रयोग- नौ अंगुल प्रमाण सुपारी काठ की काँटी को __ शतभिशा नक्षत्र के दिन लाकर तमोली के घर अथवा उसकी बारी में डाल दें तो उसके पान शीघ्र ही नाश को प्राप्त होंगे। ( 22 )दूध नष्ट- जामुन वृक्ष की जड़ को अनुराधा नक्षत्र में प्राप्त करके उसकी आठ अंगुल कील बनाकर अहीर (दूधिएं) के घर में गाड़ने से दूध नष्ट हो जाता है। (23) बिगड़े घी को सुधारना- घी को कढ़ाई में रखकर चूल्हे पर चढ़ा दें, जब खूब गर्म जो जाए तब उसमें प्याज डाल दें। (24) बाजार उजाड़ने की तरकीब -अश्लेषा नक्षत्र में अपने दुश्मन का नाम पीपल के पत्तों पर काली बकरी के दूध से लिखें फिर उन पत्तों को बारीक पीसकर एक घड़ा पानी में मिलाकर उस पानी को बाजार में छिड़के तो बाजार नष्ट हो जाएगा। (25) रविवार के दिन को प्रातः काल एरण्ड को न्यौत आवें फिर शाम के समय उसे एक झटके में तोड़ लाएं कि उसके दो टुकड़े हो जाएं। एक टुकड़ा नीचे गिर पड़े दूसरा हाथ में रहे फिर दोनों टुकडों को अलग-अलग रख लें,फिर जो भी पाटा पर बैठा हुआ देखें उसके शरीर से जो टुकड़ा नीचे गिर पड़ा 483 Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर __ हो उससे पाटे से चिपक जाएगा। हाथ में जो रह गया है उसके स्पर्श कराने पर पाटे पर बैठा व्यक्ति छूट जाएगा। (26) शिवजी पर चढ़ाये जाने वाले वृक्षज पदार्थों के बारे में वर्णित है कि शिवजी पर १०० आँकड़े के पुष्प चढ़ाये जाने के बराबर एक कनेर का पुष्प चढ़ाना होता है, १००० कनेर के पुष्प बराबर एक द्रोध पुष्प चढ़ाना होता है, १०० द्रोध पुष्प बराबर १ अपामार्ग पुष्प होता है और १००अपामार्ग पुष्प बराबर १ कुशा चढाना होता है । इसी प्रकार १०० कुशा बराबर १ धतूरा और १००० धूतूरे चढ़ाने के बराबर एक शमी का पुष्प चढ़ाना होता है। शिव पूजन में इनमें से जो भी उपयुक्त लगे उसका उपयोग किया जा सकता है। (27) कार्य अनिच्छा- यदि कार्येच्छा न हो तो गुरुवार को केले की जड़ आमंत्रित कर लाएं व पीले कपड़े में बांधकर गुरु मंत्र “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः" का जाप करें कार्य इच्छा जागृत होगी। (28) कलंक- सफेद रुमाल में थोड़े से कोयले रखकर निर्जन स्थान पर रख आएं, घर आकर हाथ व पांव धोएं नवबार णमोकार मंत्र पढ़ लें। (29) किसी चोरी का पता लगाने के लिये- भरणी नक्षत्र में देशी पान का पत्ता लेकर विधिवत संवारकर उसमें सुपारी कत्था, चूना इत्यादि डालकर खाने योग्य बना लें। जिस घर में दो चार दिन पहले चोरी हुई हो, उस स्थान पर रख दें। भरणी नक्षत्र के प्रभाव से चोरी हुई वस्तु का पता या वापस मिलने का योग बन जाता है। (100) नक्षत्र अधिकार (1) अश्विनी नक्षत्र में अर्द्ध रात्रि को नग्न होकर अपमार्ग की जड़ लावें फिर कण्ठ में धारण करें तो राज सभा वश होय, अधिकारियों की कृपा बनी रहें। (2) भरणी नक्षत्र में संखा होली की जड़ लावें ताबीज में डालकर पहनने से परस्त्री वश में होय। (3) आर्द्रा नक्षत्र में अर्क की जड़ लाएं, ताबीज में डालकर पास रखें तो झूठी बात सच होय। (4) पुनर्वसु नक्षत्र में मेहंदी की जड़ को लेकर पास रखें तो अपने शरीर में अच्छी सुगंध होती है। (5) पुष्य नक्षत्र में नगर बेल की जड़ लेकर पास में रखें तो, दुष्ट वाक्य से कभी भय नहीं होता है। 484 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ( 6 ) मघा नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर पास में रखें तो रात्रि में दुस्वप्न नहीं आते हैं। (7) आश्लेशा नक्षत्र में धूतरा की जड़ लेकर देहलीज में रखें तो सर्प घर में आने का भय नहीं रहता है। ( 8 ) पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ लाकर दूध में पीसकर पिलाने से बांझ स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है । और इसी नक्षत्र में बहेड़े का पत्ता लाकर घर में रखने से शुत्र के घातक टोटकों का प्रभाव नहीं पड़ता। (9) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ को लाकर पास में रखें तो लड़की से लड़का होता I ( 10 ) चित्रा नक्षत्र में गुलाब की जड़ लेकर पास रखे तो भारीर में कष्ट नहीं होता है। (11) स्वाति नक्षत्र में मोगरा की जड़ लेकर भैंस के दूध में घिसकर पीने से काले से गोरा होता है । ( 12 ) अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ लाकर सिर पर रखें तो शत्रु मित्र हो जाते हैं । (13) ज्येष्ठा नक्षत्र में जामुन की जड़ लाकर पास रखें तो राजा के द्वारा सम्मान प्राप्त होगा। ( 14 ) ( 15 ) मूल नक्षत्र में गूलर की जड़ लेकर पास रखें तो दूसरों का द्रव्य मिले। पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में शहतूत की जड़ लेकर स्त्री को पिलाने से योनि संकोच होती है। ( 16 ) श्रवण नक्षत्र में आंवली की जड़ नागरवेल के रस से पीवें तो स्त्री नवयोवनवान होती है । ( 17 ) पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर मस्तक पर रखें तो मुर्दा कभी नहीं जलता । (18) उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर पास रखें तो चतुर मनुष्य युद्ध में जीत कर आता है । (19) रेवती नक्षत्र में बड़ की जड़ लेकर माथे पर रखें तो दृष्टि चौगुनी होय । आधिक दृष्टि होती है। (20) विशाखा नक्षत्र में पिंडी तगर की जड़ को चावल के पानी के साथ पीने 485 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर से स्त्रियों का रक्त स्त्राव बंद हो जाता है। (21) मूल नक्षत्र में ताड़ की जड़ लाकर धारण करने से पित्त रोग शान्त होता है। (22) आश्लेशा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखने से अन्न की कमी नहीं रहती है। (23) पुष्य नक्षत्र में भांखपुश्पी जी जड़ लाकर चांदी की डिब्बी में डालकर तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं रहती तिजोरी बराबर भरी रहती (24) रवि पुष्य नक्षत्र में निर्गुडी का पंचांग (फल, फूल, जड़, पत्ते व छाल) लाकर विधिवत् दुकान व गल्ले में रखा जाये तो लाभ दायक सिद्ध होती है। (25) पुष्य नक्षत्र के दिन निर्गुडी का पौधा और पीली सरसों को पोटली बनाकर दुकान में रख लें, तो दिन दूना रात चौगुना व्यापार बढ़ता जाएगा लेकिन कार्य पूर्ण विधि से करें। (26) इमली के बीज दो, बहेड़ा के बीज दो, हरेड के बीज दो इनकी गुटिका बनाकर पानी के साथ आंख में अंजन करें तो ज्योति ज्यादा बढ़ती है। (30) पुष्यार्क योग में सफेद अकोआ की जड़ को जो गणेशाकार होती है, उसको लाकर द्रव्य के साथ में रखने पर अष्टसिद्धि व नवनिधि की प्राप्ति होती है। (101) नक्षत्र कल्प (1) अश्विनी- इस नक्षत्र के दिन बिल्व का पत्ता एकवर्णी गाय के दूध के साथ पिये तो बांझ के भी पुत्र होय। (2) भरणी- जिसके घर चोरी हुई हो, इस नक्षत्र के दिन उसके घर पान लगाकर डालें तो वस्तु मिले। (3) कृतिका- इस नक्षत्र को प्याज का पत्ता एकवर्णी गाय के दूध में पियें तो सर्व रोग शांत हों। (4) रोहिणी- इस नक्षत्र को केले का पत्ता हाथ में बांधे तो सभी आकर्षित हों। (5) मृगशिर- इस नक्षत्र के दिन केले का पत्ता हाथ पर बांधे तो सभी प्रसन्न हों। (6) आर्द्रा- इस नक्षत्र में मन्तुडा (मन्तुका) के आखिरी पत्ते को खेत में रखे, तो सौ गुनी खेती हो। 486 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (7) पुष्य- इस नक्षत्र को झाड़ी का पत्ता साफे, पाग, टोपी में रखकर जाएं तो सर्व वश हों। (8) अश्लेषा- इस नक्षत्र में बड़ का पत्ता अनाज के कोठे में रखें तो व्यापार में लाभ हो। (9) मघा नक्षत्र- इस नक्षत्र को बेर की झाड़ी (बोर टी) का पत्ता हाथ में बांधे तो मंत्र सत्य हो। (10) पूर्वा फाल्गुनी- इस नक्षत्र को बहेड़ा का पत्ता जिस किसी के घर में रख दिया जाय तो उस घर पर मूठ नहीं चले। (11) हस्त- इस नक्षत्र को पलास का पत्ता हाथ में बांधे तो सर्व वश हों। (12) चित्रा- इस नक्षत्र को धावड़ी वृक्ष का पत्ता जिसे खिलावे, उसके साथ प्रेम बढ़े। (13) स्वाति- इस नक्षत्र को बेलपत्र को पीली गाय के दूध में पीसकर तिलक करें तो वशीकरण हो। (14) मूल- इस नक्षत्र को सरपंखी-पंचाग, विष खपरा-पंचांग, इन्द्र वारुणी पंचांग, ईश्वरलिंगी पंचांग लाकर मिलाकर रखे। जब कोई भी पेट का रोग हो, पेट पर लेप करलें, रोग शान्त होगा। (15) श्रवण- इस नक्षत्र को बेंत की लकड़ी का टुकड़ा दाहिने हाथ पर बांधकर युद्ध करे तो विजय हो। (16) धनिष्ठा- इस नक्षत्र को आक का फूल दाहिने हाथ पर बांधे तो जो मनुष्य सामने देखे, वही वश हो। (17) शतभिषा- इस नक्षत्र को लाल चिरमी (गुंजा) की जड़ हाथ में बांधे तो सर्व कार्य सफल हों। (18) पूर्वा भाद्रपद- इस नक्षत्र को बट वृक्ष की जटा आठ अंगुल लेकर चोर के घर में डाले तो उसके कार्य में विघ्न हो। (19 ) रेवती- इस नक्षत्र को झाड़ी का पत्ता दाहिने हाथ में बांधे तो जुए, सट्टे में जीत हो। (102) बूटियों के पर्यायवाची नाममुनि (अगस्ता), घोषा (देवदाली), बंध्या (बांजककोड़ा), मंदार (आक), वासा (आडूसा), अनल (चित्रक), कारवेल्वे (करेला), कारंज (करंज), बाजीभूत (घोड़े का मूत्र), पुनर्नवा (साठी), शशि (कपूर), शावर (लौंग), उशीर (खस), कुनिंब (बकोयण), पलाश (ढाक), आयली (इमली), = 487 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर लजालु (छुइमुई),शिखंडिका (गुंजा,चिरमी), रील (करीर, तीक्ष्ण कंटक, निष्पत्रक, करीला, कैर, टेंटी, करु पेंचू आदि नामों से जानते हैं), अंकोल (ढेरा, अकोसर, अकोड़ा, अकोरा, आदि नाम भी हैं), ऊँटकटारा (ल्हैया, घोढ़ा, चोढ़ा, उत्कंटो, काटेचुम्बक भी कहते हैं) ,छोंकर (छोटे-छोटे कांटों वाली झाड़ी, शमी, तुगा, शक्तु फला शमीर, शिवाफली, लक्ष्मी, छेकुर, छिकुरा,खीजड़ी आदि कहते है),अपराजिता (कोमल, कालीजर, धन्वन्तरि, बिष्णुकान्ता), अपामार्ग (चिरचिटा, लटजीरा, ओंगा, शिखरी, अघेड़ों, पुठकंडा, चिचड़ा ),छोटी कटेरी (भटकटैया, कंटकारी), बज्रदन्ती(कटसरैया, पियाबांसा, पीत सैरेयक भी कहते हैं।), निर्गुण्डी (इसे सम्हालू, सिन्धू, भूतकेशी भी) कहते हैं। (2) जन्मनक्षत्र वृक्ष का फल- जो मनुष्य अपने जन्म नक्षत्र के वृक्ष को औषधि आदि के काम में लाता है, उसके आयु, लक्ष्मी स्त्री पुत्रादि नष्ट हो जाते हैं और जन्म नक्षत्र वृक्ष को जल आदि के द्वारा बढ़ाने से आयु आदि की वृद्धि होती है। ( 103 ) चार्ट में देखें जन्म नक्षत्र के वृक्ष - नक्षत्र वृक्ष नक्षत्र वृक्ष 1.अश्वनी कुचला 2.भरणी आंवला 3.कृतिका गूलर,सत्यनाशी 4.रोहिणी जामुन 5.मृगशिरा खेर 6.आर्द्रा अगर 7.पुनर्वसु बांस 8. पुष्य पीपल 8.अनु नागकेशर 10. मघा बड़ 11.पूर्वा ढाक 12. उत्तरा पाकर 13.हस्त पाढ़ 14. चित्रा बेल 15.स्वाति अर्जुन 16 विशाखा रामववूर 17.अनुराधा - पुन्नाग 18.ज्येष्ठा लोध 19.मूल साल 20. पूर्वाषाढा - जलवेत 21.उत्तरा अ. - पलास 22. पूर्वाषाढा - जलवेत 23.घनिष्ठा - खजेड़ा 24. पूर्वाषाढा जलवेत 25.पूर्वाभाद्रपद - आम 26. उत्तराभाद्रपद - नीम। 27.रेवती महुआ (3) सिद्ध मिट्टी की परिभाषा- राज द्वार, चोर या कुम्हार के हाथ की, उत्तम नदी के - - 488 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर दोनों किनारों की मिट्टी, भौरों के द्वारा लाई गई मिट्टी, हाथी, वृषभ के सींग के पड़े हुये स्थान की मिट्टी सिद्धी मिट्टी कहलाती है। नोट- पुस्तक में दिये सभी विशेष प्रयोग वैद्य की सलाह से करें। (104) आकर्षण संबंधी तंत्र प्रयोग मंत्र- ओं नमों आदि पुरुषाय अमुकस्य आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा । (1) आकर्षण तंत्र- पहले शुभ मुहूर्त में उत्तर की तरफ मुँह करके १२५०० जाप करके मंत्र सिद्ध कर लें। फिर काले धतूरे के पत्तों के रस में गोरोचन मिलाकर श्वेत कनेर की कलम से भोजपत्र पर जिसको आकर्षित करना है, उस व्यक्ति का नाम लिखे। फिर बेर (बोर) की लकड़ी जलाकर उसके अंगारों पर उसे तपाते समय उपरोक्त मंत्र का १०८ जाप करें। इससे वह व्यक्ति प्रभावित होगा और शीघ्रातिशीघ्र साधक या प्रयोक्ता के पास आने को आतुर हो उठेगा, आएगा। (3) अनामिका अंगुली के रक्त से भोजपत्र पर सफेद कनेर की कलम से उपरोक्त मंत्र, जिस व्यक्ति को आकर्षित करना है, उस व्यक्ति के नाम सहित लिखकर मधु में छोड़ देना चाहिए। इससे उस व्यक्ति का आकर्षण होता है। (4) स्त्री आकर्षण बुरकी (भस्म):- रविवार पुष्य नक्षत्र के दिन ब्राह्मदण्डी लाकर उसका चूर्ण करें। उस चूर्ण को पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस स्त्री के मस्तक पर डाल दें तो वह आकर्षित एवं काम पीड़ित होकर उद्योग करने वाले पुरुष के पीछे चली आती है। (5) सर्वजन आकर्षण चूर्ण :- पंचमी के दिन सूर्यावर्त (हुल-हुल) वृक्ष का मूल लाकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर पूर्वोक्त मंत्र से १०८ बार अभिमंत्रित कर जिस स्त्री या पुरुष को पान के साथ खिलायें तो वह आकर्षित होकर आपके पास आवेगा। (6) आकर्षण- स्त्री वशीभूत- इलायची, राल, लालचंदन, मालकांगनी, बच काकड़ासिंगी, इन सभी सामग्री को मिलाकर धूप देने से स्त्री में आकृष्ट भाव उत्पन्न होते हैं। (7) संबंध सुधारना- यदि कोई प्रियजन आकर्षित नहीं होता है तो उसके लिए आप लाल चंदन घिस कर दाहिने हाथ की तर्जनी से उसका नाम पीपल के पत्ते पर लिखें व जितने अक्षर हों उतनी गोलियाँ बनाकर उसके घर के बाहर फेंके। (8) आकर्षण- अश्लेषा नक्षत्र में देवदारु की लकड़ी लाकर बकरे के मूत्र में भिगोकर, कूट पीसकर सुखा लें, फिर जिसका आकर्षण करना हो उसके मस्तक पर वह चूर्ण 489 Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर को डाल दें अभिलाषा पूर्ण होगी। (9) आकर्षण-काले कमल, मरे भौरे के दोनों पंख, पुषकर मूल, तगर, श्वेत काकजंघा इन सबको चूर्ण करके जिसके सिर पर डाले वह आकर्षित होता है। (10) आकर्षित-पंचमी के दिन सूर्यावर्त (हुलहुल) वृक्ष की जड़ लाकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर उस चूर्ण को पान के साथ जिसको खिलावें वह आकर्षित होकर पास में आता है। (11) सर्वत्र पूज्यता- भृगराज की जड़ मुख में रखकर कहीं जाने से वह व्यक्ति सर्वत्र पूजित होता है। (12) पुष्य नक्षत्र में पुनर्नवा की जड़ को सम्मान पूर्वक लाकर उसे ऊँ नमः सर्वलोक वंश कराय कुरू कुरू स्वाहा। मंत्र द्वारा सात बार अभिमंत्रित कर हाथ में बांधने में मनुष्य सभी लोगों में पूजनीय होता है और उसमें सभी लोगों को वशीभूत करने की भाक्ति आ जाती है। (105) सम्मोहन सम्बन्धी तंत्र-प्रयोग मंत्र- ऊँ उड्डामरेश्वराय सर्व जगन्मोहनाय अं आं इं ई उ ऊ ऋ ॠ फट् स्वाहा। विधि-शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर मुँह करके, मूंगे की माला से १२५०० जाप करके सिद्ध कर लें। सर्वजन मोहन तिलक (1) श्वेतार्क की जड़ और सिन्दूर को केले के रस में पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों। (2) सिन्दूर,कुंकुम, गोरोचन तीनों को मिलाकर आंवले के रस में पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों।। (3) रविवार को सहदेवी के रस में तुलसी के बीज पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों, सर्व वश हों। (4) हरताल व अश्वगन्धा को केले के रस में पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों। (5) सिन्दूर तथा श्वेतबच ( सफेद वच) को नागर बेल के (पान के) रस में पीस कर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करे तो सब मोहित हों अर्थात संसार मोहित होता है। (6) सफेद दूब (श्वेत दूर्वा)व हरताल पीस कर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करे तो सब मोहित हों। 490 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (7) धतूरा, शहद(चासनी) व कपूर मिलाकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करे तो सब मोहित हों। (8) तगर, कुट, हरिताल, केसर समभाग मिलाकर पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करे तो सब मोहित हों। (9) मींदा सिंगी, जल भांगरा व कुमारिका को समभग पीस कर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों।। (10) सफेद अकुआ की जड़ और सफेद चंदन को घिसकर लगाने से मोहन होता है। (11) मोहित करने हेतु १- काकड़ा सिंगी, वच, कूठ, और चन्दन को कूटकर अपने शरीर और वस्त्रों पर धूप देने से देखने वाला व्यक्ति मोहित हो जाता है। (12) सहदेई के रस में तुलसी के बीज का चूर्ण मिलाकर सिद्ध बनाकर रविवार के दिन जो इस तिलक को लगावे तो संसार उसके वशीभूत हो। (13) मैनसिल और कर्पूर को कदली (केले) के रस में पीस कर तिलक बना लें, फिर यह तिलक जो लगावेगा उस पर संसार मोहित हो जायेगा अर्थात सभी लोग मोहित होगें । इसमें संशय नहीं है। (14) हरताल (हरिताल) और अष्टगंध (असगंध)को केले के रस में पीसकर गोरोचन मिलाकर तिलक लगाने से संसार मोहित हो जाता है। ( 15 ) काकरा सिंगी, चन्दन, बच, कूट इन सबको मिलाकर पीस लें, फिर उसकी - अपने शरीर के वस्त्र, मुख पर धूप लगावें तो पशु-पक्षी, राजा-प्रजा सब दर्शन मात्र से मोहित होवें। (16) पान की जड़ का तिलक बनाकर मस्तक पर लगाने से संसार मोहित हो जाता है। (17) चिरचिरी (अपामार्ग) मरैया (,) लाजवन्ती तथा सहदेई पीसकर तिलक ___ लगाने से संसार मोहित हो जाता है। (18) सफेद आक (मदन) की जड़, मोथा, कुटकी, जीरा इन सब चीजों को खून में पीसकर रख लें। फिर विधिवत् तिलक लगायें तो जो स्त्री उसे देखे वह मोहित हो जाय। (19) गोरोचन, मैनसिल, केशर और पत्रज इन सब को पीसकर तिलक लगावे तो जिसके सामने मुख करें वह वश में होय सभा में जावें तो सभा मोहित होय। 491 Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर इसमें सन्देह नहीं। (20) आंवले के रस में सिन्दूर, कुमकुम, केशर, गोरोचन पीसकर मस्तक पर तिलक करें तो जहाँ तक सुगन्ध उड़कर पहुँचेगी वहाँ तक के स्त्री-पुरुष मोहित हो जाएंगे। (21) नौमी के दिन शुद्ध होकर धूप जलाकर उसकी राख माथे पर लगा लें तो सभी मोहित हों। (22) भांग की पत्ती, सफेद सरसों और घी मिलाकर शरीर पर लेप करें तो स्त्री मोहित होय। ( 23 ) रविवार के दिन सहदेई के रस में तुलसी के बीज पीसकर भग पर लेप करने से पुरुष मोहित हो जाते हैं। (24) जीरा, कुटकी, आक की जड़ तथा मौथा इन सबको रूधिर में पीसकर मिलाकर तिलक लगावें तो जो स्त्री देखे वही मोहित होवें। ( 25 ) संसार मोहित होय-लोंग, केशर, चन्दन, नाग केशर, सफेद सरसों, इलायची, मनशिल, कूठ, तगर, सफेद कमल, गिरोचन, लालचन्दन, तुलसी, पिक्कार, पद्मास्वा, कुटज को पुष्य नक्षत्र में बराबर-बराबर लाकर, सबको धतूरे के रस में कुमारी कन्या से पिसवाकर, चन्द्रोदय होने पर उसका तिलक करें तो संसार मोहित होय। (26) सर्ववश -बेलपत्र को छाया में सुखाकर कपिला गाय के दूध में गोली बना कर रख लें फिर जब चाहे तब गोली घिसकर तिलक लगायें तो निश्चित ही सब वश हो जायें। (27) पान से वशीकरण –सदेवी लाकर छाया में सुखा लें फिर उसका चूर्ण कर जिसे भी पान में दें वह वशीभूत हो जाये यह सत्य है। (28) ब्रह्मदण्डी, वच व उपलेट का चूर्ण पूर्वोक्त मंत्र से मंत्रित कर पान में रखकर रविवार को जिसको खिलावें वह वश में हो जाता है। ( 29 ) श्वेत दुर्वा को कपीला गाय के दूध में घिसकर अपने शरीर में लेप करने से देखने वाले सब लोग वशी हो जाते हैं। ( 30 ) शृंगी, चन्दन, वच, कूट, चारों की धूप बनावें, फिर अग्नि में उस धूप को डालकर अपने शरीर में धुंआं लगावें और अपने मुख में भी धुआं लगाने से और वस्त्र में धुआं लगाने से राजा, प्रजा, पशु, पक्षी जो भी देखें सर्वमोहित होते हैं। 492 Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र (106) मोह न होय (1) मैनसिल कपूर को केले के रस में घिसकर स्नान करें तो मोह नहीं होय । (2) सिन्दूर, वच, असगन्ध पान के रस में घिसकर स्नान करें और तिलक लगाने से मोह न होय । ( 3 ) सफेद घुंघची का रस, ब्रह्मदंणी के साथ घिसकर शरीर में लेप करने से मोह नहीं होता है। तन्त्र अधिकार (4) सफेद दूब के रस में हरिताल को घिसकर तिलक लगाने से मोह नहीं होता । ( 107 ) वशीकरण सम्बन्धी तंत्र - प्रयोग — मंत्र –ऊ नमो भगवते उड्डामरेभवराय मोहय मोहय मिली मिली ठः ठः स्वाहा । विधि शुभ मूहुर्त में उत्तर की ओर मुंह करके सूर्योदय के समय मूंगे की माला से जाप आरम्भ करें। 30 हजार जाप होने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर किसी भी तंत्र का प्रयोग करने से पहले उक्त वस्तु को सात बार अभिमंत्रित कर प्रयोग करें तो निश्चय ही वशीकरण होगा। मुनि प्रार्थना सागर .( 1 ) वशीकरण तिलक - शुभ मुहूर्त में बिल्व पत्र तथा बिजौरा को बकरी के दूध में घिसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सामने वाला तुरंत वश हो । (2) ग्वारपाठा के मूल में भांग का बीज पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो उत्तम वशीकरण हो । (3) अपामार्ग की जड़ को कपिला गाय के दूध में या बकरी के दूध में पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर अपने मस्तक पर तिलक लगाने से देखने वाले लोग वशीभूत होते हैं। (5) सर्व वशीकरण लेप से अभिमंत्रित कर अपने हैं । ( 4 ) सर्व वशीकरण गोली सरसों तथा देवदाल (भार बेर) को पीसकर गोली बनाए। उसे पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर अपने मुंह में रखकर जिससे वार्तालाप किया जाय, वही वश में हो जाता है। - - श्वेत दूब को कपिला गाय के दूध में पीसकर पूर्वोक्त मंत्र शरीर पर लेप करने से देखने वाले सब लोग वश में होते ( 6 ) सर्वजन वशीकरण धूप मेंढासिंगी. बच, राल, खस, चन्दन और छोटी इलायची इन सबको समभाग लेकर कूट पीसकर छान लें तथा वशीकरण मंत्र से अभिमंत्रित 493 Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर कर पहनने का कोई वस्त्र रखकर धूनी दें तो स्त्री वश में होती है, अधिकारी देखते ही प्रसन्न होता है तथा क्रय-विक्रय में लाभ होता है। (7) सर्वजन वशीकरण बुरकी (भस्म) - शनिवार के दिन जब घनिष्ठा नक्षत्र हो, तब बबूल की जड़ लाकर चूर्ण करें, फिर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिसके मस्तक पर डाला जाय, वही वशीभूत होगा। (10) वशी होय- 1. मेनशिल सिंधव, गोरोचन, शृंगराज के रस में इन चीजों को घिसकर हाथ पर, जिसको वश करना चाहे, उसका नाम लिखें, फिर अग्नि में तपावें तो वशी होता है। (11) हस्त नक्षत्र रविवार के दिन अंधाहुली को लेकर राजा के माथे पर डालें तो राजा वश में होता है। और दुष्ट व्यक्ति भी स्नेह करने लगता है। (12) बेल के पत्ते का चूर्ण और बिजोरा को बकरी के दूध में घिसकर इस मंत्र से मंत्रित कर तिलक करने से सामने वाला तुरन्त वश में हो जाता है। (13) पुष्य नक्षत्र में आक और धतूरे का ऊपरी भाग एंव कटेली की जड़ लाकर सबको मिलाकर चूर्ण करें। इस चूर्ण को जिसके सिर पर डाल दिया जाए उससे वांछित वस्तु प्राप्त की जा सकती है। (14) सभा गोष्ठी वश में करें- गोरोचन को साथ में रखकर गोष्ठी में भाषण देने पर वक्तव्य की प्रशंसा होगी। बुधवार को केसर, मैंनसिल और गोरोचन को गंगाजल में पीस कर तिलक लगाकर जावें तो सभी श्रोता अभिभूत होंगे। (15) तीन लोक के मनुष्य वश में हों- पांच दूध वाले वृक्षों का दूध (बड़, गुल्लर, ब्रह्म, पीपल, पलाश (ढाक), तन्दुल अथवा छोटे बड़ का वृक्ष विशेष) काली मंथेली के रस में पाँच सूत्र को (आक की रूई, कमल नाल का सूत्र, शिमला की रूई,कपास का सूत्र,देव कपास का सूत्र), मिलाकर बत्ती बनाकर पांच वृक्षों के दूध, काली मंथेली के रस से बत्ती को भावना दें। फिर तिलों के तिल में बत्ती डालकर दीपक जलावें तो तीनों लोक के मनुष्य वश में होवें।। (16) वश में सदैव रहे-गोरोचन तथा केशर को महावर के साथ घिसकर उससे भोजपत्र के ऊपर जिस व्यक्ति का नाम लिखें वह सदैव वश में रहता है। (17) तीन लोक वश होय-बड़, गूलर, पीपल, पिलखन, अंजीर के दूध तथा पंडुकी रस में कपास, आक, कमलसूत्र सेमल की रूई, सन की बनी हुई बत्ती को भावना देकर काले तिलों का दीपक जलाने से तीन लोक वश में होता है। 494 Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (18) सात दिन में आये - कृष्णपक्ष की चतुर्दशी या अष्टमी को सहदेवी लाकर चूर्ण करे, फिर जिसको पान में खिलावे तो वह सात दिन में आता है । ( 19 ) वश होय-सहदेवी की जड़ को पानी में घिसकर आंख में अंजन करें तो लोग उसको देखते ही वश में हो जाते हैं। I (२०) सर्ववश - बेलपत्र को छाया में सुखाकर कपिला गाय के दूध में गोली बना कर रख लें फिर जब चाहे तब गोली घिसकर तिलक लगायें तो निश्चित ही सब वश हो जायें। (21) पान से वशीकरण - सह्देवी लाकर छाया में सुखा लें फिर उसका चूर्ण कर जिसे भी पान में दें वह वशीभूत हो जाये यह सत्य है। ( 22 ) करामाती गोली - सरसों तथा देवदारू को एकत्रित कर पीसकर गोली बना लें, फिर उस गोली को मुँह में रखकर जिससे बात करें वह निश्चित हो वशीभूत हो। ( 23 ). सर्व वशीकरण तंत्र- पीली गाय के घृत का काजल दीपावली को बनाए, अंजन करे - सर्व वश हो । 2. वशीकरण तंत्र- अपने दोनों हाथ पैर के नाखूनों को जलाकर किसी को भी उसकी भस्म खिलायें तो वह प्राणी आपके विशेष अनुकूल रहेगा। 3. सर्व वशी तंत्र - शनिवार के दिन जब धनिष्ठा नक्षत्र आवे उस दिन बबूल की जड़ ले आवें फिर उसे जिसके ऊपर डालें वह अवश्य वश में हो जाये। 4. तन्त्र अधिकार 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. बड़ की जड़ को जल के साथ पीसें फिर भस्म मिलाकर मस्तक पर तिलक लगायें तो सब लोग वश हों। ओंगा की जड़ को कपिला गाय के दूध में पीस कर तिलक लगावें तो सब लोग वश में हों। सहदेवी को छाया में सुखा कर चूर्ण बनाकर पान में दें तो सर्व लोग वश होंये । गोरोचन और सहदेवी का तिलक सब लोगों को वश में करता है । गूलर की जड़ को लेकर मस्तक पर तिलक लगावें तो दर्शन मात्र से निसंदेह सबका प्रिय होता है और पान में देवें तो सब लोग वश में हों। केशर, सोठ, कूट, हरताल, मैनसिल, अनामिका अंगुली का रूधिर मिलाकर तिलक लगावें तो सब लोग वश में हों। गोरोचन, कमल पत्र, कांगनी और लाल चन्दन इन सब का तिलक मस्तक पर लगावें तो सब लोग वश में हों। तगर, कूट, हरताल और केशर इन सबको बराबर-बराबर लेकर अनामिका 495 Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर अंगुली के रक्तांस में पीसकर तिलक लगाकर जहां भी जायें तो देखने वाले वश में हो जायें। ( 24 ) शत्रु वशीकरण 1. अपने शत्रु का नाम लोहे के पतरे पर लिखकर उसे शत्रु के घर में दबा दें और उस पर सात दिन तक पानी गिराते रहें तो शत्रु वशीभूत हो जाएगा। 2. यदि लाल चन्दन की स्याही से भोजपत्र पर शत्रु का नाम लिखकर उसे शहद में डुबो दें तो शत्रु वश में हो जाते हैं। ( 25 ) राजा वशीकरण 1.कुमकुम, चन्दन, कपूर और तुलसी दल इन सबको गाय के दूध में पीसकर तिलक लगायें तो राजा वश में होय । 2. हरिताल, असगंध, कपूर, मैनसिल सब को बकरी के दूध में पीसकर तिलक लगाये तो राजा वश होय । (26) डाकिनी वशीकरण -खैर की लकड़ी से चमड़े को जलाएं और उसकी राख में ऊँट का मूत्र मिलायें तो समस्त डाकिनी लिखने वाले के पास आ जायेंगी। (108) पुरुष-वशीकरण सम्बन्धी प्रयोग ___ मंत्र- ॐ नमो महायक्षिण्यै मम पतिं मे वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- शुभ दिन, शुभ लग्न में उत्तर की ओर मुंह करके सूर्योदय के समय मूंगे की माला से जाप शुरु करें। १०००० की संख्या में जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। मंत्रजप से पूर्व यथाविधि पूजन आदि करना चाहिए। जब मंत्र सिद्ध हो जाय, तब पति को वशीभूत करने के लिए जो भी साधन करना हो, उसमें प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं को इस मंत्र द्वारा सात बार अभिमन्त्रित करने से साधना में विशेष सफलता प्राप्त होती है। इस मंत्र का जप तथा साधना केवल स्त्रियों के लिए ही है, अतः उन्हीं को इसका प्रयोग करना चाहिए। पति वशीकरण तिलक-(1) गोरोचन, कुंकुम और केले का रस- इन तीनों वस्तुओं को पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर, अपने मस्तक पर तिलक करने वाली स्त्री पति को वशीभूत कर लेती है। २. विष्णुकान्ता, भांगरा, गोखरु और गोरोचन को पीसकर गोली बना ले। फिर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर गोली को घिसकर तिलक करें तो पति वश में हो। 496 Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (2 )पति वशीकरण सुपारी- मंगलवार के दिन या ग्रहण के दिन पूरी सुपारी निगल जावें। फिर सुबह जब वह सुपारी मल में निकल आवे तो उसे धोकर पूर्वोत मंत्र से अभिमंत्रित कर पति को खिला देने से पति वश में रहता है। (3)पुरुष वशीकरण लौंग-स्त्री जब रजस्वला हो, उस समय वह अपने गुप्तांग में चार लौंग रखकर भिगोये। तदुपरान्त उनको पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस पुरुष के मस्तक पर डाले, वह उसके वश में हो जायेगा। (4)पुरुष वशीकरण रोटी- स्त्री अपने पाँव के जूते के बराबर आटा तोलकर रविवार या मंगलवार के दिन आटे की चार रोटियाँ बनाकर, पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस पुरुष को खिला दे, वह उसके वशीभूत हो जायेगा। (5)पति वशीकरण लेप- अंधाहुली (चोर पुष्पी) जल-मोगरा, रुद्रवन्ती- इन सबको समभाग पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर हाथ पर लेप कर पति को दिखावें तो पति वश में हो। (6)पति वशीकरण भोजन- १. मयूर शिखा, मजीठ, शंख पुष्पी व धोल- ये सब समभाग लेकर अपने पंच मैल के साथ पूर्वोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर खाने में दे तो पति वश में रहे। २. सुकड़ी, तरग, प्रियंगु, काला धतूरा, स्याही जड़, उपलेट और अपना पंच मैल समभाग लेकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर भोजन में दे तो पति वश में रहे। (7)पति वशीकरण- १. गुरुवार व शुक्रवार को रात के १२ बजे पति की चोटी से कुछ बाल काटकर रखें। पति सुधर जाएगा, और यदि न सुधरे तो उन बालों को जलाकर पावों से रगड़ें। २. सफेद सरसों, तुलसी, धतूरा, औंगा (अपामार्ग, लटजीरा, चिरचिटा) और तिल का तेल, इन सबको एकत्र करके महीन पीसकर जो स्त्री अपने शरीर पर लेप करती हैं उसका पति वश में हो जाता है। (8)पति अनुकूल- स्त्री दो इलायची अपने शरीर पर ऐसे स्थान पर रखें जहां पसीना आए फिर सुखाकर पति को खिलायें। (9)पुरुष वशी-स्त्री के ऋतुधर्म में निकले हुए आर्तव में भावना बहुत दिनों तक दिये हुए गिरोचन का स्त्री के मस्तक में तिलक करने से सब पुरुष उसे देखते ही मोहित हो जाते (10)वशीकरण- १. काकजंघा, तगर, केशर और मैनसिल, इन सबको एक साथ 497 Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पीसकर स्त्री के मस्तक पर और पुरुष के पाँव के नीचे डालने से वह वशीभूत होते २. तगर, कूठ, हरताल और केसर को समभाग में मिलाकर तथा अनामिका अंगुली के रक्त में पीसकर जो पुरुष मस्तक पर तिलक लगाये तो उसे देखने वाले वशीभूत होते हैं। स्त्री जिन दिनों रजस्वला हो उन दिनों पांच अखण्डित लौंग लेकर उन्हें अपनी भग में भिगोवें, फिर उन लौंगों को पीसकर जिस पुरुष के मस्तक पर डाले वह उसके वश में रहे। शनिवार को सुनसान जगह कौए के पंख को धूप-दीप करके चूरा बनायें फिर जिसे वश में करना हो उसके नहाने के पानी में डाल दें। अपामार्ग की जड़ को उखाड़कर तीन अंगुल माप की एक कीलाकृति बनाएं फिर उसे 'ॐ मदन कामदेवाय फट् स्वाहा' मंत्र से सात बार अभिमंत्रित करके जिसके भी घर पर फेंका जाए तो वह प्रयोगकर्ता के वशीभूत हो जाता है। सर्व प्रथम १०८ बार जपकर इस मंत्र को सिद्धकर लेना चाहिए। अपामार्ग की जड़ को घिसकर या पीसकर उसका ललाट पर तिलक धारण करने से भी वशीकरण सिद्धि होती है। ७. कौए की बीट और मोर के पंखों को सुखा कर पीस लें फिर समय मिलते ही पति के सिर पर डाल देने से पति वश में होता है। ८. अनार का पंचांग पीसकर सफेद सरसों मिलाकर योनि पर लेप करें तो दुर्भागा (कुरुप) स्त्री भी अपने पति को अपना दास बना लेती है। ९. गोरोचन व योनि का रक्त केले के रस में मिलाकर तिलक लगाने से स्त्री अपने पति को वश में कर सकती है। १०. पान के पत्ते को सात दिन तक बकरी के दूध में भिगोने के बाद उसे धूप में सुखा लें और उसे ताबीज बनाकर अपने हाथ में बांध लें तो आपका पति आपके वश में होगा। (109) स्त्री-वशीकरण सम्बन्धी प्रयोग मंत्र . ॐ पूरं क्षोभय भगवती गम्भीरा ब्लू स्वाहा। विधि - शुभ मूहुर्त में 20 हजार जाप से पहले मंत्र सिद्ध कर लें। (1) स्त्री वशीकरण तिलक-1. रविवार के दिन काले धतूर का पंचांग लाकर पीस लें। फिर उसके साथ कपूर, कुंकुम तथा गोरोचन मिलाकर घोटे तथा उक्त मंत्र से 498 Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर सात बार अभिमन्त्रित कर अपने मस्तक पर तिलक करें। जिस स्त्री की पहली बार नजर पड़ेगी वह चाहे अरुन्धती ही क्यों न हो, उस पुरूष के वशीभूत हो जायेगी । 2. लाजवन्ती, मुलैठी और कमलगट्टे को पीस कर अपने वीर्य के साथ मिला कर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो स्त्री वशीभूत होगी । (2) स्त्री वशीकरण चूर्ण - 1. रविवार की रात को शमशान की राख लाएं, उसमें अपना थूक और वीर्य मिलाकर उपरोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर स्व स्त्री को खिलाया जाए तो वह वश में रहेगी। ( 3 ) स्त्री वशीकरण सुगन्ध - बिजौरे की जड़ धतूरे के बीज तथा प्याज - इन सभी वस्तुओं को एकत्र कर पीस लें फिर उसे पूर्वोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर जिस स्त्री को सुंघाया जाएगा वह सूंघते ही वश में हो जाएगी । (4) स्त्री वशीकरण का जल - जो स्त्री पहली बार रजस्वला हुई हो, उसके मासिक धर्म के रक्त युक्त वस्त्र को ले आवें । उसकी बत्ती बनाकर, दीपक में अरंडी का तेल भर, उस बत्ती को डालकर जलाएं तथा काजल पारें । उस काजल को पूवोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर जिस स्त्री को उसकी राख लगा दी जाय, वह भ्रमित चित्त होकर स्वयं ही साधन कर्त्ता के पास चली आती है। ( 5 ) स्त्री वशीकरण धूप मेंढासिंगी. बच, राल, खस, चन्दन और छोटी इलायचीइन सबको समभाग लेकर कूट पीसकर छान लें तथा वशीकरण मंत्र से अभिमंत्रित कर पहनने का कोई वस्त्र रखकर धूनी दें तो स्त्री वश में होती है। ( 6 ) स्त्री वशीकरण - 1. मयूर शिखा, सफेद गुंजा ( रत्ती ) गोरखमुंडी, अर्क (आक) के पत्ते पर कीडे का मल, अपने शरीर के पांच मल (आंख, कान, दंत, जीभ का मल और वीर्य) इन सबका चूर्ण पान के अंदर देने से अपनी स्त्री वश में रहती है फिर वह क्लेश कभी नहीं करती। 2. तन्त्र अधिकार 3. 4. मंगलवार के दिन अपने शिश्न के छिद्र में एक लौंग रखकर बुधवार के दिन निकाल ले, फिर उसे पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर पान में रखकर अभिलषित स्त्री को खिला दिया जाय तो वह वश में हो जाएगी। जौ का चूर्ण, हल्दी, गौमूत्र, घृत, सरसों - इन सबको एकसाथ पीसकर लेप तैयार करें, फिर उस लेप को पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर अपने शरीर पर लगाकर अभिलषित स्त्री के पास जायें तो वह देखते ही वशीभूत हो जाती है। रखकर जिस स्त्री को अपने पंच मैल को पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर पान खिला दिया जाए, वह वश में हो जाती है । 499 Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर थूहर के कांटों का चूर्ण, स्वरक्त, बानर की विष्ठा और कलिहारी की जड़ का चूर्ण कर उपरोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस स्त्री के सिर पर डाली जाये वह वश में हो जायेगी। 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. तन्त्र अधिकार 16. अपना व स्त्री का नाम लेकर 'ॐ हूँ स्वाहा' मंत्र से सात बार अभिमंत्रित कोई भी पुष्प स्त्री के हाथ में दे तो वह निश्चित रुप से वशीभूत होती है। पलाश की जड़ को अश्विनी नक्षत्र में लाकर हाथ में धारण कर जिस स्त्री को छुआ जाए तो वह स्त्री वशीभूत होय । चमेली के फूलों का रस निकाल कर उसमें चन्दन का रस मिला दें और उससे अपनी हथेली पर स्त्री का नाम लिखें तो वह स्त्री आपके वश में होगी। रविवार को काले धतूरे के फूल, डाल तथा बेल पत्र और जड़ लेकर पीसकर मस्तक पर लगाने से स्त्री वश में होती है। केशर तथा गोरोचन मिलाकर तिलक लगावें तो साक्षात् अंधी भी हो तो भी वह स्त्री वश में होती है । चिता की भस्म और ब्रह्मदण्डी का चूर्ण एकत्र कर उक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस स्त्री के शरीर पर मनुष्य छिड़क दें तो वह स्त्री उसके वश में हो जाये यह सत्य है। पुष्य नक्षत्र में भोजपत्र पर नारी के दूध के अन्दर रोली मिलाएँ उसे अपने हाथ में बांधे तो नारी आपकी दासी बन जाएगी। चिता की भस्म लेकर कूट, तगर, बच और कुमकुम यह सब पीसकर जिस स्त्री के सिर और मनुष्य के पांव तले डालें तो वह जब तक जीवे तब तक दास बना रहे। रति के पश्चात् जो पुरुष अपने बाँये हाथ से अपने वीर्य को लेकर स्त्री के दायें चरण के तलुवें में मलता है वह स्त्री सदा के लिए उसकी दासी हो जाती है। इसमें कोई सन्देह नहीं । जलती चिता की राख को केशर में और गौ मूत्र में मिला कर उसे धूप सुखाकर चूर्ण की तरह बना कर रखें, बस जब जिस नारी को अपने वश में करना तब उसे बिन बताए उसके सिर पर एक चुटकी डाल दें तो वह नारी आपके वश में हो जाएगी। काले भँवरे का पंख लेकर उसे लौंगी के साथ मिलाकर पीस लें जब वह सूख जाये, तो जिस नारी को वश में करना हो उसके सिर पर डाले दें तो वह वश में हो जाएगी। 500 Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पान के रस में तालमखाना और मैनसिल पीसकर मंगलवार के दिन तिलक लगा लें तो स्त्री वश होय । 17. 18. 19. तन्त्र अधिकार 20. चिता की भस्म, बच, कूट, केशर और गोरोचन इन सबको बराबर-बराबर लेकर चूर्ण बनाकर जिस स्त्री के सिर में छोडेंगे वह वश में हो जायेगी। सेंधा नमक, शहद व कबूतर की विष्ठा को पीसकर जो पुरुष अपने लिंग पर लेप करके स्त्री के साथ विषय (काम) करता है वह पत्नी उसे अत्यन्त प्रिय व हृदय का देवता समझने लगती है। गौरोचन व कुमकुम से भोजपत्र पर किसी स्त्री का नाम लिखकर उसे घी व शहद में रखने से वह वशीभूत हो जाती है । नोट : आकर्षण, मोहन, वशीकरण इत्यादि के प्रयोग केवल परमार्थ हेतु किया जाना चाहिए। द्वेष भावनावश या दुर्मति पूर्वक किया गया कार्य पापवर्धक होता है, अतः पापवर्धक कार्य न करें । (110) स्तंभन संबंधी प्रयोग (१) ऊँट के रोमों को किसी पशु पर डाल देने से वह जहां का तहां ही स्तंभित हो जाता है। ( २ ) ऋतुमती स्त्री की योनि के वस्त्र पर जिस मनुष्य का नाम गोरोचन से लिखकर घड़े में बंद कर दिया जाए, उसका स्तंभन हो जाता है फिर वह चल फिर नहीं सकता । एक स्थान पर पड़ा रहता है । ( ३ ) ऊँट की हड्डी को जिस मनुष्य का नाम लेकर पृथ्वी में गाड़ दिया जाए तो उस मनुष्य की गति स्तंभित हो जाती है । ( ४ ) स्तंभन - रविवार को घोड़े व खच्चर की पूँछ का बाल तोड़कर कौड़ी में छेद करके कौड़ी में पिरोकर भुजा में पहनने से स्तंभन होकर स्त्री का सुख पूर्ण मिलता है। ( 5 ) स्तंभन पर तंत्र- ऊँट की हड्डी में छेद करके पलंग के सिरहाने की ओर बांधकर उसी शय्या पर संभोग करने से तब तक स्खलन नहीं होता, जब तक कि हड्डी को खोल नहीं दिया जाता । (6) ऊँट के बालों की रस्सी बनाकर अपनी जांघ में बांध कर संभोग करने से जब तक रस्सी को खोला नहीं जायेगा, तब तक वीर्य स्खलन नहीं होगा । (7) लंगड़े आम की जड़ को कमर में बांधकर संभोग करने से देर तक स्तंभन होता है। (8) फिटकरी के टुकड़े को कमर में बाँधकर संभोग करने से अधिक समय तक स्तंभन 501 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र होता है। ( 9 ) सैन्य स्तम्भन - श्मशान की राख को एक मिट्टी के बर्तन में भरकर शत्रु का नाम लेकर नील के रंग में रंगे हुए डोरे से उस बर्तन को बांधकर गाड़ देवें तो शत्रु की सैन्य का स्तम्भन हो जाता है । मुनि प्रार्थना सागर ( 10 ) मुख स्तंभन - चौलाइ की जड़ को चांदी के ताबीज में डालकर अपने मुंह में रखने से इच्छित व्यक्ति का मुख स्तंभित रहता है। ( 11 ) अग्नि स्तंभन - जलते हुए भट्ठे में घोड़े का खुर और बैंत की जड़ को डाल दिया जाय तो अग्नि का स्तंभन हो जाता है, फिर खाली धुआं उठता रहता है I ( 12 ) नौका स्तंभन तंत्र - शतावरी वृक्ष की पांच अंगुल प्रमाण की कील को नाव में डाल देने से नाव का स्तंभन हो जाता है अर्थात् बहती हुई नाव जहां की तहां रुक जाती है। ( 111 ) मारण संबंधी प्रयोग ( १ ) मरण टोटके- चार अंगुल परिमाण घोड़े की हड्डी को हूँ हूँ फट् स्वाहा मंत्र से सात बार अभिमंत्रित कर अश्विनी नक्षत्र में शत्रु के घर में दबा देने से शत्रु की परिजनों सहित मृत्यु हो जाती है। कृपया इस प्रकार के टोटकों को नहीं करें। (२) मानवहड्डी शत्रु के घर में या शत्रु का नाम लेकर श्मशान में दबा देने से शत्रु का निश्चित रूप से सर्वनाश होता है । निवेदन है कि इन टोटकों को नहीं करें। (112) उच्चाटन संबंधी प्रयोग (१) श्वेत लांगुलिका (एक प्रकार की औषधि) की जड़ जिसके भी घर में रखी जायेगी उसका उच्चाटन होगा, इसमें तनिक भी संशय नहीं हैं। (२) सरसों, हिंगुल, नीम के पत्ते, वच, सांप की कांचली की धूप बनाकर खेने से शाकिनी का उच्चाटन होता है और सभी प्रकार की ऊपर की बाधाएं दूर होती हैं। ( ३ ) उच्चाटन- सरसों व शिव पर चढ़ाए गए पुष्पादि जिस किसी के घर में दबाएं, वहां उच्चाटन होगा व पुनः निकालने से शांति होगी । (४) शत्रुता करवाने हेतु - भैंस और घोड़े का गोबर लेकर गौमूत्र से लेप बनाकर जिनमें, शत्रुता करवानी हो, उनका नाम लिख दें तो शीघ्र ही शत्रुता हो जाएगी। (लेकिन ऐसे पापवर्धक कार्य न करें ) । (५) उच्चाटन किराएदार को भगाना - किराएदार या अन्य व्यक्ति ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा हो तो रविवार को उसके घर में कौए का पंख दबायें व उल्टा णमोकार मंत्र 502 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र __ मुनि प्रार्थना सागर पढ़े वह वहां से चला जाएगा। (६) सरसों और शिव निर्माल्य को मिलाकर जिसके घर में खोद कर गाड़ देवें तो उसके घर में उच्चाटन हो जाता है और जब उसको निकाल लेवें तो उसके घर के मनुष्य पुनः सुखी हो जाते हैं। (७) उल्लू पक्षी के पंख को मंगलवार के दिन जिसके घर में खोदकर गाड़ दें, उसका उच्चाटन हो जाता है। (८) जिसके घर में रविवार के दिन कौवीं का पंख गाड़ दें, उसके घर में उच्चाटन हो जाता है। (९) तांबे के पात्र पर रेशमी रूमाल चिपकाएँ और उस पर लोहे की कलम से शत्रु का नाम लिखें तो शत्रु का उच्चाटन अवश्य होगा। (113) कल्प विभाग कतिपय तांत्रिक ग्रन्थों, पुस्तकों व गुटकों आदि में अनेक वनस्पति के कल्प भी मिलतेहैं। मारण, उच्चाटन, स्तंभन के प्रयोग भी इन कल्पों में उपलब्ध होते हैं। यहां 16 प्रकार के कल्प दिये गए हैं। इनके अतिरिक्त इद्रायण कल्प, पंवाड कल्प, सफेद कंटाई कल्प, लाजवन्ती कल्प, शंखपुष्पी कल्प, अपामार्ग कल्प, ऊँट कटारा कल्प, आदि तथा एक प्रकार का नक्षत्र– कल्प भी मुझे और मिला था, जिसमें केवल मारण, उच्चाटन आदि के ही प्रयोग थे। उपरोक्त कल्पों में कई एक के मुझे मंत्र नहीं मिले, किसी का पूरा विधि-विधान नहीं मिला। कुछ में मारण, उच्चाटन, स्तंभन के बड़े उग्र प्रयोग लिखे थे। एतदर्थ उनको मैंने छोड़ दिया। इन सबको सर्वसाधारण में प्रचलित करना मुझे उचित नहीं लगा। इसीलिए वे यहां नहीं दिये गए हैं। परन्तु जो कल्प दिये गए हैं, उनके लिए भी साधकों से मेरा नम्र निवेदन है कि किसी अनिष्ट व दुष्ट भावना से ये प्रयोग कभी काम में न लायें। क्योंकि अपने किये हुए दुष्कर्मों के पाप से अनेक जन्मों में दुख, पीड़ा, कष्ट भोगना पड़ता है। लेकिन हाँ तंत्रों का प्रयोग परोपकार हेतु किया जाता है जिसके लिए शनिवार को संध्या में वृक्ष के पास जावें "मम कार्य सिद्धि कुरू कुरू स्वाहा" इस मंत्र का उच्चारण करके चन्दन, चावल, पुष्प, नैवेद्य, धूप दीप द्वारा उसका पूजन करें व मोली बांधकर आ जावें। दूसरे दिन रविवार को- पुष्य नक्षत्र के दिन सूर्योदय से पूर्व जावें और मंत्र पढ़कर मूल व पत्ते ले आवें। मंत्र - ॐ नमः सर्व भूताधिपतये ग्रस शोषय भैरवीज्याज्ञापति स्वाहा। घर आकर पुनः मंत्र पढ़कर प्रयोग में लायें। 503 Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (114) रूद्राक्ष कलप __ भोग और मोक्ष की इच्छा रखने वाले चारों वर्गों के लोगों को रूद्राक्ष धारण करना चाहिए। उत्तम रूद्राक्ष असंख्य पाप समूहों का भेदन करने वाला है। जो रूद्राक्ष गुंजाफल के समान बहुत छोटा होता है, वह सम्पूर्ण मनोरथों और फलों को सिद्धि करने वाला होता है। रूद्राक्ष जैसे-जैसे छोटा होता है, वैसे-वैसे अधिक फल देने वाला होता है। एक-एक बड़े रूद्राक्ष से एक-एक छोटे रूद्राक्ष को विद्वानों ने दस गुना अधिक फल देने वाला बताया है। जिस रूद्राक्ष में अपने आप ही डोरा पिरोने योग्य छिद्र हो गया हो वही उत्तम माना जाता है। जिसमें मनुष्य के प्रयत्न से छेद किया गया हो वह मध्य श्रेणी का होता है। ___ छह मुखी रूद्राक्ष की माला कान में बारह की हाथ में पन्द्रह की भुजा में, बाईस की मस्तक में, सत्ताईस की गले मे, बत्तीस की कंठ में (जिससे झूल कर वह हृदय को स्पर्श करती रहे) धारण करनी चाहिए। छह मुखी रूदाक्ष दाहिने हाथ में, सात मुखी कंठ में, आठ मुखी मस्तक में, नौ मुखी बायें हाथ में, चौदह मुखी शिखा में, बारह मुख वाले रूद्राक्ष को केश प्रदेश में धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से आरोग्य लाभ, सात्विक प्रवृत्ति का उदय, शक्ति का आविर्भाव, और विघ्न नाश होता है। (115) मयूर शिखा कल्प। ___ जहां मयूर शिखा हो, अष्टमी, चतुर्दशी, पुष्य नक्षत्र या हस्त नक्षत्र, दीपावली के दिन वहां जाकर चावल व तिल को निम्न लिखित मंत्र से 21 बार अभिमंत्रित कर उस पर डालें। मंत्र - ॐ ही मयूर शिखा महासुख सर्वकार्यं साधय साधय स्वाहा। 1. मयूर शिखा की जड़ को हाथ में बांध कर जिसके पास जाएं और कुछ मांगे तो उसके पास जो होगा, वह देगा। 2. मयूरशिखा की जड़ को हाथ में बांधकर जाएं तो विवाद में जय हो। 3. मयूरशिखा की जड़ को धूप देकर हाथ में बांधे तो हर तरह का ज्वर–नाश हो। 4. मयूर शिखा की जड़ को तिजोरी में रखें तो अखंड भंडार रहे। (116) सहदेवी कल्प विधि- जब वृक्ष को न्यौता देने जाए तो सर्वप्रथम “मम कार्य सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा' मंत्र से पूजा करके जल चढ़ाएं एवं मौली बाँधकर निमंत्रण दे आएं। दूसरे दिन 504 Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर प्रातः रविपुष्य योग में " ॐ हीं क्षौं फट् स्वाहा” इस मंत्र का उच्चारण कर मूल व पंचाग आदि ले आएं, फिर मंत्र से मंत्रित कर प्रयोग में लें। ॐ नमो भगवती सहदेवी सतत ध्यनीय सद्वेवद्व कुरू कुरू स्वाहा। मंत्र ॐ नमो रूपावती सर्व प्रीतेति श्री सर्व जनरंजी सर्व लोक वशीकरणी सर्व सुख रंजनी महामाईल घोल थी कुरू कुरू स्वाहा। १. कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी या अष्टमी को लाकर चूर्ण कर किसी को पान में दें तो वह सात रोज में आवें। २. चूर्ण कर सिर पर डालकर जिसके पास जाए, वह इजत और प्रतिष्ठा से पेश आवें। ३. जड़ को गाय के घृत में मासिक होने के ५ दिन बाद ५ रोज तक खिलावे तो सन्तान हो। ४. जड़ को तिजोरी में रक्खे तो अटूट भंडार रहे। (117) बहेड़ा कल्प विधि-विधि-विधान से लाकर निम्न मंत्र से मंत्रित करें- “ॐ नमः सर्वभूताधिपतये ग्रस-ग्रस शोषय शोषय भैरवीज्याज्ञापयति स्वाहा। १. दाहिनी जांघ के नीचे रखकर भोजन करें तो अपनी खुराक से बीस गुना ज्यादा भोजन कर सकता है। २. तिजोरी में रखें तो अटूट भंडार रहे। (118) निर्गुण्डी कल्प विधि-विधि पूर्वक पंचांग लाकर निम्न मंत्र से मंत्रित करें- “ॐ नमो गणपतये कुबेरये कद्रिके फट् स्वाहा। सातवें रोज वृक्ष का पंचाग ले आवें। १. पुष्य नक्षत्र में निर्गुण्डी और सफेद सरसों दूकान के द्वार पर रखी जाय तो अच्छा क्रय-विक्रय होता है। (119) हाथा जोड़ी कल्प विधि-शुभ दिन, शुभ योग में लें और निम्नलिखित मंत्र १२५००० जाप करके इसको सिद्ध कर ले। मंत्र- ॐ किलि-किलि स्वाहा। प्रयोग-किसी से भी वार्ता करने में साथ रखे तो बात मानें। (120 ) श्वेतार्क कल्प 505 Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 5 विधि-रवि पुष्य नक्षत्र को निम्नलिखित मंत्र बोलकर वृक्ष की जड़ को घर ले आवें। मंत्र- ॐ नमो भगवते श्री सूर्याय ह्रां ह्रीं हूं ह्र: ॐ संजु स्वाहा। ___ पुष्य नक्षत्र रहते- रहते उस जड़ से भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्ति बनावें व निम्नलिखित मंत्र से पूजा करें। ॐ नमो भगवति शिव चक्रे मालिनि स्वाहा। यदि दक्षिणावर्ती सूंडवाली आकृति के श्री गणेश मिल जायें तो बहुत चमत्कारी होती है। १. मूल को ठंडे पानी में घिसकर लगाने से बिच्छू आदि हर प्रकार का जहर उतरता है। २. यह मूल, बच, हल्दी- तीनों बराबर मिलाकर तिलक करें तो अधिकारी वश में हो। ३. मूल, गोरोचन, मैनसिल, भृगराज चारों मिलाकर तिलक करें तो सर्वजन वश हों। ४. मूल का वच के साथ घिसकर हाथ में लेप करें तो हाथ नहीं जले। मूल को चूर्णकर घृत के साथ आधा रत्ती की मात्रा में खाने से भूत, प्रेत, दूर होते हैं, स्मरण-शक्ति बढ़ती है,देह की कान्ति कामदेव के समान हो जाती है। ४० दिन थोड़ी मात्रा में सेवन करें। उष्णता का अनुभव हो तो छोड़ दें। 6. मूल, वीर्य, शृंगराज मिलाकर अंजन करें तो आदृश्य हो। 7. मूल को मघा नक्षत्र में कस्तूरी में अंजन करें तो आदृश्य हो। 8. मूल को वच के साथ घिसकर हाथ पर लेप करें तो हाथ नहीं जले। 9. मूल, बंध्या स्त्री की कमर में बांधने से संतान प्राप्ति होती है। १०. पुरुष के दाहिने व स्त्री के बांये हाथ में बांधने से सौभाग्य वृद्धि होय। (121) बांदा नक्षत्र कल्प कभी-कभी वृक्षों के साथ दूसरी प्रजाति के वृक्ष स्वतः ही उग आते हैं। उन्हीं को बांदा या बादल कहते हैं। परजीवी वनस्पति या बांदा नक्षत्र विशेष में लाने पर श्रेष्ठ फल प्रदान करता है लेकिन विधि पूर्वक लाना चाहिए और गुप्त स्थान पर रखना चाहिए। नित्य णमोकार मंत्र या लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। 1. पुष्य नक्षत्र में इमली का बांदा लाकर लाल वस्त्र में बांधकर भुजा पर धारण करने __ या मुद्रा भंडार में रखने से लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। 2. स्वाति नक्षत्र में बैर का बांदा लाकर पूजा के बाद घर के गुप्त स्थान पर रखने से सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। 3. रोहिणी नक्षत्र में गूलर का बांदा लाकर विधिवत पूजा के बाद पूजागृह में रखने से दिन दूनी धन वृद्धि होती है। इस नक्षत्र में वट वृक्ष का बांधा हाथ में बांधते तो सर्ववश हो। 4. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में सेमल का बांदा लाकर पूजनोपरान्त घर के गुप्त स्थान में 506 Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र रखने से धन की वृद्धि होती है। 5. अश्लेषा नक्षत्र में सोमवार के दिन बहेड़ा का बांदा लाकर पूजने से भी धन की वृद्धि होती है। बहेड़ा का बांदे का चूर्ण कर खाये तो भूत जायें । ब 6. पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में दूर्वा का बांदा व्यवसाय में वृद्धि होती है । 7. पति पत्नि में प्रेम न हो तो उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में आम का बांदा लाकर दाईं बांह में धारण करें तो जीवन सुखी रहता है । 8. स्थाई लक्ष्मी की कामना हेतु हस्त नक्षत्र में निर्गुड़ी का बांदा लाकर लक्ष्मी पूजा के बाद घर में रखने से लक्ष्मी उस घर में स्थायी रूप से वास करती है। नोट इसी प्रकार ग्रहणकाल में लक्ष्मी मंत्र का जापकर उसी मंत्र से 108 बार आहूतियां देने से बांदा चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। लक्ष्मी मंत्र - ॐ नमो धनदाय स्वाहा 9. अश्विनी इस नक्षत्र में बेल वृक्ष का बान्दा हाथ में धारण करें तो अदृश्य हो । 10. कृत्तिका - इस नक्षत्र को थूहर का बान्दा हाथ में धारण करें तो वाक्-सिद्धि हो । 11. रोहिणी- इस नक्षत्र को वट वृक्ष का बान्दा हाथ में धारण करें तो सर्व वश हो । 12. स्वाति - अ. इस नक्षत्र को हरड़ वृक्ष का बान्दा लाकर पास में रखे तो राज-सम्मान मिले । — स तन्त्र अधिकार - मुनि प्रार्थना सागर - लाकर पूजा करें, फिर व्यवसाय स्थल पर रखें तो इस नक्षत्र में नीम वृक्ष का बान्दा हाथ में धारण करें तो अदृश्य हो । 13. अनुराधा इस नक्षत्र में कनेर वृक्ष का बान्दा दाहिने हाथ पर बांधे तो शत्रु शत्रुता छोड़े। इस नक्षत्र में रोहितक का बान्दा ग्रहण कर मुख में रखे तो अदृश्य हो । 14. भरणी- कपास का बांदा हाथ में धारण करने से अदृश्य होने की शक्ति प्राप्त होती है । 15. कृतिका - थूवर का बांदा हाथ में बांधे तो वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है । 16. चित्र नक्षत्र - धावणी का बांदा पान में खिलाने से प्रेम पोषण के लिए अनुकूल प्रभाव पड़ता है। 17. विशाखा - महुआ का बांदा सिर पर धारण करने से बल की वृद्धि होती है। 18. पू.फा.- बहेड़े के बांदा का चूर्ण खिलाने से भूत-प्रेत बाधा दूर होती है। 19. मू. नक्षत्र - खजूर का बांदा हाथ में बांधने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। 20. शतमिषा- इस नक्षत्र में सुपारी वृक्ष का बान्दा एक वर्णी गाय के दूध में पीने से वृद्धावस्था नहीं आती। इस नक्षत्र में बेर वृक्ष का बान्दा हाथ में धारण करके जिससे जो मांगे, वह इन्कार न हो । 507 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 21. आश्लेषा - इस नक्षत्र में अर्जुन वृक्ष का बान्दा लाकर बकरी के मूत्र में घिस कर जिस किसी भी व्यक्ति के सिर पर डाला जायेगा, वह आकर्षित होगा। सोमवार को जब यह नक्षत्र आये, बहेड़ा लाकर तिजोरी में रखे तो अटूट भंडार रहे। 22. उत्तरा फाल्गुनी- इस नक्षत्र में आम का बन्दा दाहिने हाथ पर बांधे तो सर्व वश हों, पति पत्नी में प्रेम हो । 23. पूर्वा फाल्गुनी - इस नक्षत्र में बहेड़ा के बान्दा का चूर्ण कर खायें तो भूत जायें । विधि-शुभ मुहुर्त में निम्नलिखित मंत्र का पूर्व की ओर मुंह करके सफेद माला से १० हजार जाप कर मंत्र सिद्ध कर लें । फिर उपरोक्त नक्षत्रों में किसी भी नक्षत्र के बान्दा का इस मंत्र को ९ बार जाप करके प्रयोग करें तो कार्य सिद्ध हो । मंत्र - ॐ नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा । (122) लक्ष्मणा कल्प लक्ष्मणा लाने का मंत्र - ॐ नमो भगवते रूद्राय सर्ववंदनी त्रैलोक्य कास्तरणी हूं फट् स्वाहा । लक्ष्मण का पंचांग जल में पीसकर गोली बनायें । यह गोली मंत्र पढ़ कर जिसे भी खिलायी जाये वह वशी हो जायेगा और यदि मन्त्राभिषिक्त गोली प्रतिदिन गाय के दूध के साथ २१ दिन तक लगातार दोनों समय सेवन करें तो स्त्रीं के गर्भ रहे। (123) एकाक्षी नारियल कल्प १. मंत्र - ॐ ह्रीँ श्रीँ क्लीँ ऐं एकाक्षाय श्रीफलाय भगवते विश्वरूपाय सर्वयोगेश्वराय त्रैलोक्यनाथाय सर्वकार्य प्रदाय नमः । पूजन विधि- हाथ में पानी लेकर प्रथम संकल्प करें- अत्राद्य संवत् मिलाब्दे महामांगलाय फलप्रद - अमुक मासे अमुक पक्षे अमुकतिथी वासरे इष्ट - सिद्धये बहुधनप्राप्तये एकाक्षिश्रीफलपूजनमहं करिश्यामि । इस प्रकार कहकर पानी छींटे। फिर उपर्यक्त मंत्र बोलते हुए पंचामृत से श्रीफल का अभिषेक करें । चन्दन, पुष्प, धूप, दीप, चावल, फल, नैवेद्य रखे, रेशमी वस्त्र ओढ़ाए, पूजन करें। तत्पश्चात् स्वर्ण, प्रवाल या रुद्राक्ष की माला पर जाप शुरू करें । १२५०० जाप करें, फिर नित्य एक माला फेरें । दीपावली, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण के समय पूजन करें । २. मंत्र - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मी स्वरूपाय एकाक्षिनालिकेराय नमः सर्वसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा । विधि - यह मंत्र रेशमी वस्त्र के ऊपर अष्टगंध या केशर से अनार की कलम द्वारा लिखें । उस 508 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर वस्त्र के ऊपर एकाक्षी नारियल रखे। मंत्र बोलते हुए चन्दन, कुमकुम, चावल, पुष्प, धूप, दीप, फल, नैवेद्य से प्रातः, सायं पूजन करें। मूल मंत्र की एक माला फेरें। ३. मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं ऐं ह्रीं श्रीं एकाक्षिनालिकेराय नमः । विधि- इस मंत्र की एक माला फेरें। गुलाब के १०८ फूल चढ़ाएं। ४. मंत्र- ॐ ह्रीं ऐं एकाक्षिनालिकेराय नमः । विधि- इस मंत्र की १० माला पाँच दिन तक प्रतिदिन फेरें तथा कनेर के २१ फूल चढ़ावें। जिज्ञासित का स्वप्न में उत्तर हो। फल निष्पत्ति१. एकाक्षी नारियल गर्भवती स्त्रियों को सुंघाने मात्र से बिना किसी कष्ट के बच्चा हो जाता है। २. बन्ध्या स्त्री को, ऋतु-स्नान के बाद घोलकर पानी पिलावे तो सन्तान हो। ३. भूत-प्रेत का घर में उपद्रव हो तो सात बार पानी में नारियल डुबोकर सात बार ही मंत्र पढ़े, सारे घर में छींटा दे तो उपद्रव मिटे। ४. कोई भी बैरी या शत्रु हो तो लाल कनेर का फूल लेकर, दक्षिण दिशा में बैठकर उस (शत्रु) का नाम लेकर एक माला फेरे, फूल शत्रु के सामने फेंके तो शत्रु-नाश हो। (124) गोरखमुंडी- कल्प अमावस्या के दिन गोरखमुंडी वृक्ष के पास जावे। उसके सामने पूर्व की ओर मुंह करके खड़ा होकर हाथ जोड़कर बोले- 'मम कार्यसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा'यह मंत्र बोलकर जड़ सहित उखाड़कर ले आवें। फिर पंचामृत से धोकर साफ करें तथा छाया में सुखाएं। तदनन्तर चूर्ण बनालें और निम्नांकित रुप में प्रयोग में लाएं: एक तोला चूर्ण गाय के दूध के साथ ४० दिन सेवन करें तो शरीर स्वस्थ हो। २. एक तोला चूर्ण गाय के दूध के साथ एक साल तक खाएं तो महाबली हो। एक तोला चूर्ण पानी में भिगोए और प्रात:काल बालों में मले तो बाल काले हों। ४. एक तोला चूर्ण गाय के दूध के साथ खाएं, ब्रह्मचर्य से रहें तो अग्नि में मुंह न जले, पानी में न डूबें। बिना फल, फूल लगी मुंडी उखाड़ कर लावें, छाया में सुखावें, चूर्ण बनावे। उसे दूध के साथ पीए तो ब्रह्मज्ञानी हो, आगम जाने, महा बुद्धिमान् हो। ६. चूर्ण को पानी में भिगोकर आंख में डाले तो आंख के रोग जाएं। ७. मुंडी के बीज एक तोला नित्य एक वर्ष तक खाए तो बूढ़ा न होए। or & in se 509 Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र ८. १. २. ३. ४. ५. ६. ७. तन्त्र अधिकार मुनि प्रार्थना सागर मुंडी का रस निकालकर शरीर में मले तो शरीर की पीड़ा दूर हो । ( 125 ) विजया कल्प चैत्र मास में पान के साथ खाने से पण्डित बने । श्रावण मास में शिवलिंगी से खाने से बलवान बने । आश्विन मास में मालकांगनी से खाने से अमरी उतरे, स्वस्थ हो । कार्तिक मास में बकरी के दूध के साथ खाने से सम्भोग शक्ति बढ़े। मार्गशीर्ष मास में गाय के घृत के साथ खाने से दृष्टि-दोष मिटे | पोष माह में तिलों के साथ खाने से जल के भीतर की वस्तु भी दृष्टि गोचर हो । फाल्गुन मास में आंवला के साथ खाने से पैदल यात्रा की शक्ति बढ़े। (126) सरपंखा कल्प पुष्य नक्षत्र में सूर्य उदय के समय नग्न होकर विधिपूर्वक सरपंखा को ले आयें, फिर उसको छाया में सुखा लें, फिर जड़सहित उखाड़ी सरपंखा का चूर्ण कर दूध के साथ अपने शरीर में लेप करें तो सर्व शत्रुओं का स्तंभन होता है। सरपंखा के तिल का गोरोचन के साथ तिलक करें तो राजा प्रजा सर्व वश में होते हैं। दुकान पर बैठें तो व्यापार अधिक चले । सरपंखा के पंचांग की गोली को गाय के दूध के साथ २१ दिन तक पिलायें तो स्त्री गर्भ धारण करें । ( 127 ) श्वेतगुंजा कल्प शुक्ल पक्ष में श्वेतगुंजा को दशमी के दिन पूरी जड़ सहित ले, पंचांग ले फिर उसकी जड़ को पान के साथ जिसको खाने को देवें वह वश होय, स्त्री वश होय । १. पान के साथ घिसकर गोरोचन से टीका करें, फिर जिसका नाम ले वह वश में होय अथवा गुंजा चंदन मैनसिल से तिलक करें जिसका नाम लेवें वह वश में होय । २. गुंजा, प्रियंगु, सरसों - इन चीजों को जिसके माथे पर डालें तो वह वश में होता है। ३. गुंजा की जड़ को पीसकर लगावे अथवा पीवें तो वातरोग का नाश होता है। ४. गुंजा की जड़ को पानी के साथ पीने से मूत्र कुच्छ नहीं होता है । ५. गुंजा की जड़ को घिसकर पानी के साथ पिलाने से व लगाने से सांप, बिच्छु व अन्य विषैले जन्तुओं का विष दूर होय । ६. गुंजा की जड़ को स्त्री की कमर में बांधने से सुख से प्रसव होता है । 510 Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ७.गुंजा की जड़ रखकर राजा के पास जाये तो राज्यसभा वश होती है, गोरोचन के साथ घिसकर तिलक करें तो जो-जो देखें वह वश में होय। (128) दक्षिणावर्त शंख कल्प शंख तीन तोले का उत्तम २५ तोले का अत्युत्तम होता है। शंख शुक्ल वर्ण का ही उत्तम माना गया है। शंख परीक्षा–यदि शंख को, पानी में नमक डालकर उसे पानी में डाल दें, फिर सात दिन तक पानी में ही रहने दें। अगर शंख फटे नही तो असली समझो अन्यथा नकली। १. शंख में पानी भरकर मस्तक पर नित्य ही छीटें दें तो उपसर्गों का क्षय हो। २. शंख में पानी लेकर पूजन करें तो लक्ष्मी प्रसन्न होय। ३. पूजन के पश्चात् शंख में दूध भरकर वंध्या स्त्री पीये तो संतान होय। ४. जिस घर में शंख होय वहां सर्व मंगल होय, रोग, शोकादि नष्ट होय, प्रतिष्ठा, सम्मान, राज्य बढ़े। जप मंत्र-ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं दक्षिण मुखाय शंख निधये समुद्रप्रभवाय शंखाय नमः। प्रतिदिन १० माला जपें (129) गौरोचन कल्प मंत्र-ऊँ ह्रीं हन हन ऊँ ह्रीं हन ऊँ ह्रीं ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां ह्रां ठः ठः ठः स्वाहा। विधि-गोरोचन की टिकड़ी बनाये, उपरोक्त मंत्र से २१ बार अभिमंत्रित करके रख लें, फिर जरूरत पर २१ बार उपरोक्त मंत्र पढ़कर प्रयोग में लावे, गूगुल की धूप दें। प्रयोग-१. ललाट पर तिलक कर किसी भी कार्य के लिये किसी के पास जाये तो मनोकामना सफल हो, वह बात माने। २. हृदय पर तिलक करके जहां भी जावे तो मनोकामना पूर्ण होय। ३. मस्तक पर तिलक करके जावें तो सब वश होय, सर्वभय नष्ट होय। (130) रक्तगुन्जा कल्प १. पुष्य हो आदित्य को तब लीजिये यह मूल। शुक्रवार की रोहिणी ग्रहण होय अनुकूल॥ २. कृष्ण पक्ष की अष्टमी, हस्त नक्षत्र जो होय। चौदस स्वाती शतभिषा, पूनो को ले सोय॥ ३. अर्द्ध निशा कारज सरे, मन की संज्ञा खोय। धूप दीप कर लीजिये, धरे दूध ले धोय॥ ४. जो काहू नर नारी कू, विषकोई को होय। विष उतरे तब तुरंत ही, जड़ी पिलावे धोय॥ 511 Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ५. जो तिलक लगावे भाल पर, सभा मध्य नर जाय। मान मिले स्तुति करे, सब ही पूजें पाय॥ ६. हां जी हां जी सब करे, जो वह कहे सो सांच। एक जड़ी की जुगत से, सबै नचावे नाच॥ ७. तांबे मूल मढ़ाय के, बांधे कमर के सोय। नवमासे वह नारी के, निश्चय बेटा होय॥ ८. ऋतुवंती के रक्त से, अंजन आंजे कोय। देखत भागे सेन सब, महाभयानक होय ॥ ९. काजर हूं घिस आंजिये, मोहे सब संसार, गाली दे दे ताड़िये, तोय लग रहे लार॥ १०. फेर अंकोल के तेल में, घिस ही आंजे कोय, धन दीखे पाताल को, दिव्य दृष्टि जो होय ॥ ११. जो बाधिन के दूध में, घिस चोपड़े सब अंग। सर्वशस्त्र लागे नहीं, बढ़कर जीते जंग॥ १२. घिस के तिल के तेल में, मर्दन करे शरीर। दीखे सब संसार कू, महावीर रणधीर॥ १३. कस्तूरी सूं आंजिये, प्रातसमय ले लाय। मौत जू लेलिये सबन की, काल पुरुष दरसाय॥ १४. जो आंजे निजरक्त से, खुले रागनी राग। जो घिस पीवै दूध सू, होय सिद्ध सू भाग॥ १५. गंगा जल सू आंजिये, दोनों नेत्र जु मांही। वरसा वरसे धूल की, यामें संशय नाही॥ १६. मधु सुं अंजन आंजिये, देखे वीर वैताल। जो मंगावे वस्तु कू, ले आवे सो हाल ॥ १७. जो घिस कर लेपन करे, दूध संग सब अंग। भूत प्रेत सब यक्षगण, लगे फिरत सब संग॥ १८. घिसके रूई लगाइये, बत्ती घरे बनाये। फिर भिगोवे तेल में, दीपक देय जलाय॥ १९. करे अचभों सब नमें, घर श्मशान दरसाय। सात महल के बीच सूं, लावे पलंग उठाय॥ २०. जो घृत में घिस के करे, लेप मूत्र नर ताय। सर्व शक्ति बाढ़े अमित, मन अतिमोद उठाय॥ २१. अजा मूत्र में रगड़कर, बेंदा दे जो हाथ। करे दूर की बात वो, रहे यक्षणी साथ ॥ २२. गोरोचन के साथ घिस, लिखिये जाको नाम। होय बाकी तुरन्त, नहीं देर को काम॥ २३. लिग पत्र के अर्क सु, घिसिये केवल नाम। भूत प्रेत व डाकिनी, देखत नसे तमाम ॥ २४. स्याउ संग वा रगड़ के, तलुवे तेल लगाय। आंख मीच के पलना में, सहस कोस उड़ जाय॥ २५. जो घिस आंजे पीस के, बंदी छोड़ कहाय। बन्दी पड़े छुटे सभी, बिन किये उपाय ॥ २६. जो गुलाब संग याहिं घिस, नाड़ी लेप कराय। घड़ी चार कू जी पड़े, मुरदासहज सुभाय॥ २७. जो अलसी के तेल में, घिसिये हतश मिलाय। कोडि के लेपन करे, कंचन तन हो जाय॥ २८. जो कोई संसार में, अंधा आवे जे कोय। सात दिवस तक आंजिये, दृष्टि चौगुनी होय॥ २९. श्याम नगद सग रगड़ के,बीसों नख लिपटाय। जो नर होय कुमार जी, देख वश हो जाय॥ ३०. रक्त गुंजा यह कल्प है, सूक्ष्म कहियो बनाय। जो साधे सो सिद्ध हो, या में संशय नाय॥ (131 ) रक्तगुंजा कल्प ___ इसे रवि पुष्य नक्षत्र में, शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र में, कृष्ण पक्ष की अष्टमी को 512 Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर हस्त नक्षत्र में, चौदस को स्वाती या शतभिषा नक्षत्र में अथवा पूनम को ला सकते हैं। मूल (जड़) पत्ता पंचांग आदि को पुस्तक में आगे देखें पेज न. (432 ) लिखी विधि-विधान से ही लायें। 'ऊं ह्रीं क्षौं फट् स्वाहा' मंत्र के उच्चारण से मूल आदि निकालें, फिर उपयोग में लेते वक्त उक्त मंत्र को २१ बार पढ़कर प्रयोग में लें तो विशेष लाभ होय। १. जड़ी को धोकर पिलाने से सभी प्रकार के विष उतर जाते हैं। २. मस्तक पर तिलक लगाकर सभा में जाने पर सब उसकी स्तुति प्रशंसा करते हैं और पैर पूजते हैं तथा सभी उसकी बात को सत्य मानते हैं और उसके अनुसार कार्य करने लगते हैं। ३. यदि रक्त गुंजा की मूल को तांबे में मढ़ाकर कोई स्त्री कमर में बांधे तो निश्चित ही पुत्र होय। ४. यदि साधक मूल को घिसकर आंख आंजे तो सब मोहित होते हैं, फिर वह गाली दे-देकर मारे तो भी लोग उसका पीछा नहीं छोड़ते। ५. यदि अंकोल के तेल में घिसकर आंजे तो पाताल तक धन दिखे, ऐसी दिव्य दृष्टि होय। ६. यदि बाघिन के दूध में घिस सभी शरीर में लगा लें तो शस्त्र न लगे और युद्ध में विजय होय। ७. यदि तिल के तेल में घिसकर शरीर में लगा लें तो सभी को रण में महावीर जैसा दिखे। ८. यदि कस्तूरी के साथ प्रात:काल अंजन करें तो सभी की मौत दिखे। (132) लक्ष्मणा कल्प मंत्र-ओं येन त्वां खनते ब्रह्मा येनेन्द्रो येन केशवः । ये न त्वां खनिष्यामि, तिष्ठ तिष्ठ महौषधि स्वाहा॥ शुभ मुहूर्त में सूर्यास्त से दो घड़ी पूर्व विधिपूर्वक पूजन करके बिना टूटे लाल धागे से खैर की आठ कीलों को आठों दिशाओं में गाड़कर, वस्त्र रहित, केश खुले हुए, दक्षिण को मुख किए हुए उपरोक्त मंत्र पढ़कर उस बूटी को खैर की कीलों से खोदें। ध्यान रखें-वह लक्ष्मणा दो प्रकार की होती हैं-स्त्री और पुरुष। बहुत पत्तों वाली स्त्री और बड़े पत्तों वाली पुरुष होती है। गर्भार्थ प्रयोगों में स्त्री लक्ष्मणा को लावें पुरुष वास्ते पुरुष लक्ष्मणा को लावें। यह तलवार का स्तम्भन करती है। लक्ष्मणा प्रयोग की विधि-मंत्र- ऊँ नमो वलवतिशुक्र वर्द्धनि पुत्र जननि ठः ठः।" एक रंग की गाय के दूध में कल्क बनाकर उक्त मंत्र पढ़कर गर्भार्थ स्त्री सूंघे । यदि 513 Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर दाहिने स्वर से सूंघे तो पुत्र हो, बांये पुट से सूंघे तो पुत्री हो और दोनों पुटों से सूंघने से नपुंसक पुत्र की प्राप्ति होती है। गर्भरक्षा मंत्र-“ऊं खिलि खिलि हूँ फट् ठः ठः । ॐ वज्रस्फोटं ह्रीं खः फट् स्वाहा । " ॐ किंखिणि विद्ये असिता सिते उग्र चंडे, महाचंडे भैरव - रूपे महंबंधय-महं बंधय कटिं बंधय कटिं बंधय, हनु बंधय हनु बंधय आनयेति शीघ्रं किंखिणी स्वाहा । विधि - उपरोक्त तीनों मंत्रों को धागे पर जपकर गर्भिणी स्त्री के गले में बांध देवें तो इससे गर्भ की रक्षा होती है। तन्त्र अधिकार (133) लजालु (छुइमुइ ) कल्प शनिवार संध्या को जहां छुइमुइ (लजालु) का वृक्ष हो वहां जाकर एक मुट्ठी चावल सुपारी रखें, फिर उस पेड़ को मोली धागा बांधे, अपनी छाया पेड़ पर नहीं पड़ने दें, सुबह आपको अपने घर ले जायेंगे, ऐसा कहकर निमंत्रण दें। फिर प्रभात ही पिछली रात को जाकर छाया रखकर उस वृक्ष को उखाड़ लावें, उखाड़ते समय इस मंत्र को २१ बार पढ़ें–“ऊँ भ्रं भुं (श्रूं भुं) व मम कार्य प्रत्यक्षौ भवतु स्वाहा ॥" फिर जिसको वश करना हो उसके घर में रखवा दें, तो वह वश में हो जाता है । लजालु पंचांग १ छटांक, घी २ छटांक, गिरकरणी ३ छटांक, संखा होली ३ छटांक– सब चीज एकत्र कर गोली बनावें, फिर जिसको वश करना हो, उसके खाने-पीने की चीजों में मिलाकर खिला देवें तो वह वश में होता है । वाद-विवाद, झगड़े आदि में पास रखकर जावें तो सब लोग उसकी बात मानते हैं । गोरोचन के साथ घिसकर तिलक करें तो राजा - प्रजा सर्वलोक वश होते हैं । (134) हीरा बनाने की विधि मऐ के बीज का तेल तैयार रखें, जब बिनौला आकाश से पड़े, तब तुरन्त मऐ की लकड़ी की अग्नि जलाकर, उस तेल को अग्नि पर चढ़ावे, फिर गर्म करें, उस गर्म तेल में बिनौला ले-लेकर डालते जाना, सब पत्थर हो जायेगा जम करके वही फोरा हीरा है। कड़ाई को जब तक वे नीला पत्थर हो जाय तब नीचे उतारना । भाग्य अच्छा हो तो यह कार्य सफल होय । इति । I 1. 2. (135) सोना-चाँदी बनाने का तंत्र गंधक को प्याज के रस में १०८ बार तपाकर भुजावें, फिर उस गंधक को चांदी के साथ गलावें तो सोना होता है । हिंगुल शुद्ध १८ तोला, अभ्रक ३२ तोला को एकत्र करके रूद्रवन्ति के रस में घोटकर, चांदी के पत्ते पर लेप करके पुट देवें तो सोना हो । 514 Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर सांग बीज एक जात की बूटी होती है । उसके पत्ते की लुगदी में तांबा रखकर अग्नि में फूंके तो स्वर्ण बने । 3. 4. 5. 6. 7. 8. तन्त्र अधिकार 9. नागफड़ी की जड़ लेना, हथिनी का मूत्र लेना, उसमें सिन्दूर मिलाकर घोटना, फिर द्रव्य को अग्नि में धोकना तो सोना बनता है, यदि पुण्य योग हुआ तो । ( समयसार की टीकानुसार) शुद्ध हिंगुल का एक तोले का डला लेकर उस हिंगुल के डले को गोल बेंगन काला वाला को चीरकर उसमें रखकर ऊपर से कपड़ा लपेटकर, फिर मिट्टी का उस बेंगन पर खूब गाढ़ा लेप करें, फिर उस बेंगन को जंगली कंड़ों के अन्दर रखकर जलावें, जब कंड़ों की अग्नि जलकर शान्त हो जावे तब उस बेंगन को निकालें। बेंगन के अन्दर रखे उस हिंगुल के डले को भी निकालें । इसी तरह क्रमशः १०८ बैंगन में उस हिंगुल के डले को फूंके । यह रसायन तैयार हो गई । इसी रसायन में से एक रत्ती लेकर एक तोला तांबे के साथ मिलाकर कुप्पी में गलावें तो एक तोला सोना तैयार हो जाएगा, लेकिन णमोकार मंत्र का सतत् जप करना चाहिए। मंत्र जाप – “ ॐ नमो अरिहंताणं रसायनं सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा । " इस मंत्र का ४५०० बार जाप करें। पारद १ पल, हरताल १ पल और गंधक १ पल । इन द्रव्यों को लेकर विशेष रूप से मर्दन करें आकड़े के दूध में, फिर छाया में सुखाकर उसको सोना गलाने की कुप्पी में डालकर मुख को रूध करे, फिर अग्नि में फूकें, तब एक रसायन तैयार हो जायेगा। फिर उस रसायन को १ रत्ती, तोला भर तांबे के ऊपर प्रयोग करें तो शुद्ध सोना होता है । ( पूज्यपाद स्वामीकृत) गंधक से तांबा को मारकर हिंगुलक दोई समान, मनशिल लेप नींबूरस में मर्दन करें, सीसा के पतरा पर लेप करें, फिर रानगोबिरो के ६ पुट देवें अग्नि में, तो कुंकुमसार भस्म हो जायेगा । सोलह भाग चांदी पर वह एक भाग रसायन भस्म, लेकर कुप्पी में गलावें तो सोना होता है। गंधक, मद, पारा एकत्र कर खरल करें, दिवस २ शीशी में भरे, उकरडा में गाड़े मासा १ निकालकर एक तोला चांदी के साथ गलावे तो सोना होता है । शीशा को पहर चार अग्नि में देना, जब ठंडा होया तब तोला एक का पत्र बनाय कर, उसके ऊपर हिंगुल के रस में खरल कर पत्ते पर चुपड़कर दो दीए के बीच में रखकर बन्द करें, ऊपर कपरौटी करें, सुखावें, सेर एक जंगली कंड़े में उसको फूंके, जहां किसी की छाया न पड़े, जब ठंडा हो तब निकालना, इस भांति सात बार करें तब शीशे की भस्म बनेंगी, वेधक होय सो तोला एक चांदी भरें तो एक की मात्रा डालने से शुद्ध सोना बनेगा 5 Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 10 . चांदी बने तंत्र-तरबूज सेर पांच से ज्यादा कुछ तोल में होय, ऐसा एक तरबूज लाकर तले की तरफ तेचकरी काट के उसमें संमलखार पैसा दोभर चिथरा में लपेटकर डारि के तब पेदा तरबूजा की लगाय के कंपरौट सात दफे सुखाय २ के करना तब गज पुट का आंच देना, जब तरबूज जलने नहीं पावे, तब निकाल लेना, तब तांबा तोला एक पर मासा एक उपरोक्त रसायन देना तो शुद्ध चांदी बने। 11. स्वर्ण माक्षिक ८ मासा, पारा ४ मासा, तांबा ४ मासा, सुहाग ४ माशा-इन सबको मिलाकर 'कुप्पी' में डालें, फिर अग्नि में गलावें तो शुद्ध चांदी हो। (136) काल सर्प दोष / मंगल दोष निवारण हेतु (1) मंगल दोष निवारण हेतु :- मंगल के कुप्रभाव शमन हेतु संबंधित व्यक्ति को अपने स्नान के जल में बिल्व छाल, बेलफल, लाल चंदन, कुमकुम, कुट, लौंग, नेत्रबाला, देवदारू, जावत्री, गायत्री, गूगल, अगर, तगर, गोरोचन, लाल मिर्च, धमनी, रक्त पुष्प, सिंगरफ, मालकांगनी, जटामांसी, हिंगुल, सौंफ, खैर, कनवीर के लाल पुष्प, नागकेशर, सफेद सरसों तथा मोलश्री के पुष्प व पत्ते मिलाकर मंगलवार को स्नान कराके उतारा करना चाहिए। (2) काल सर्प दोष निवारण हेतु- दूध, कस्तूरी, तारपीन तेल, लोबान, गंधक, तगर, मुत्थरा, गजदंत, तिलपत्र, लाल चन्दन आदि से स्नान कराके, उड़द, चांदी के नाग-नागिन, काली सरसों, कमल ककड़ी, कपूर, मजीठ, काले तिल, दूध, बकरी का मूत्र, चंदन, कुमकुम, कुट, लौंग, नेत्रबाला, देवदारू, चासनी, जावत्री, गायत्री, गूगल, अगर, तगर, गोरोचन, काली मिर्च, काली सरसों, उड़द, काले तिल, नींबू ,नमक, कपूर, फिटकरी, लोहान, केशर, काले जीरे, काली हल्दी आदि से काले कपड़े के ऊपर ९ बार मंत्र पढ़कर उतारा करना चाहिए तथा कुछ शेष सामग्री की धूप बनाकर १०८ मंत्र जपते हुए अग्नि में होम करें तो निश्चय ही लाभ होगा। (137.) ग्रह दोष निवरण वनस्पति मूल (जड़) तन्त्र विभिन्न ग्रहों से संबंधित पीड़ा शान्ति हेतु प्रयुक्त जड़ों को विधि-विधान से लाकर दाहिने हाथ में धारण करें। सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए बेल अथवा बेंत की मूल को धारण करें। चन्द्र-ग्रह की शान्ति के लिए खिरनी की मूल को धारण करें। मंगल ग्रह की शान्ति के लिए सर्प जिव्हा अथवा अनन्त की मूल को धारण करें। बुध ग्रह की शान्ति के लिए बरधरा की मूल को धारण करें। 516 Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र गुरू- ग्रह की शान्ति के लिए भारंगी अथवा केले की मूल को धारण करें । शक्र ग्रह की शान्ति के लिए सरपोंख या अरंडे की मूल को धारण करें। शनि - ग्रह की शान्ति के लिए बिछुआ या बिच्छू की मूल को धारण करें । राहु ग्रह की शान्ति के लिए श्वेत चन्दन की मूल को धारण करें । केतु ग्रह की शान्ति के लिए अश्वगंध की मूल को धारण करें । मुनि प्रार्थना सागर इसके अलावा सर्व ग्रह की पीड़ा शान्ति के लिए काले धतुरे की मूल को धारण करें। (138) ग्रह दोष निवरण तन्त्र स्नान (मतान्तर से) विभिन्न ग्रहों की शान्ति के लिए निम्नलिखित वनस्पति द्वारा स्नान कराने से सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है । सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए कनेर, दुपहरिया, नागरमोथ, देवदारू, मैनसिल, केसर, इलायची, पद्माख, महुआ के फूल और सुगन्ध बाला का चूर्ण आदि पानी में डालकर स्नान करें । चन्द्र - ग्रह की शान्ति के लिए पंचद्रव्य, चाँदी, मोती, शंख, सीप, और कुमुद पानी में डालकर स्नान करें । मंगल - ग्रह की शान्ति के लिए सोंठ, सौंफ, लाल चन्दन, सिंगरफ, मालकांगनी और मौलसरी के फूल पानी में डालकर स्नान करें । बुध ग्रह की शान्ति के लिए हरड़, बहेड, गोमय, चावल, गोरोचन, स्वर्ण, ऑवला और चासनी पानी में डालकर स्नान करें। गुरू ग्रह की शान्ति के लिए मदयन्ति के पत्र, मुलेठी, सफेद सरसों, मालती के फूल आदि को पानी में डालकर स्नान करें । शक्र—ग्रह की शान्ति के लिए हरड़मूल, बहेडा आँवला, इलायची, केसर, और मैनसिल, आदि को पानी में डालकर स्नान करें । शनि ग्रह की शान्ति के लिए कालेतिल, सौंफ, नागरमोथ और लोध आदि को पानी में डालकर स्नान करें । राहु ग्रह की शान्ति के लिए नागरबेल, लोहान, तिल के पत्र, बच, गडूची और तगरआदि को पानी में डालकर स्नान करें । केतु ग्रह की शान्ति के लिए सहदेई, लज्जालु ( लोबान ), बला, मोथा, प्रियंगु और - हिंगोठ, आदि को पानी में डालकर स्नान करें । सर्व ग्रह की पीड़ा शान्ति के लिए कूट, खिल्ली, मालकांनी, सरसों, देवदारू, हल्दी, सर्वोषधी, तथा लोध आदि को पानी में डालकर स्नान करें । 517 Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (139) सर्व ग्रह पीड़ दूर करने हेतु औषधीय स्नान ग्रह के नाम स्नान हेतु उपयोयी पदार्थ स्नान का दिन इलायची, ससाठी, चावल, खस, चासनी (मधु),कमल, रविवार अमलतास, कुमकुम, देवदार, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती, चांदी की भस्म, मोती, शंख चूर्ण, सीपका चूर्ण, पंचणव्य सोमवार बेलफल, जटामासी, मूसली, बला की जड़,मौलश्री के मंगलवार पुष्प, सौठ, हल्दी, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती चावल, चासनी (शहद), गाय का गोबर, गोरोचन, बुधवार वनेवारी मल्वल, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती, सफेद सरसों, दमयंती के पत्र, मुलेठी, और मालती गुरूवार के पुष्प, या कोई भी तीन जाती के पुष्प, हल्दी, झिंझरीठा, मैनसिल, कुमकुम, कठहल,या हरड़, बहेड़, शुक्रवार आंवल, इलायची, केसर,गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती बला की जड़, शत पुष्पी, लोध, काले तिल, सौफ,सुरमर, शनिवार नगर मोथ, लोध, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती राहु-केतु आदि सर्वग्रह- बला, कूठ, लाजवंती, मूसली, नागर मोथ, सरसों, देवदार के पुष्प, हल्दी, सरपौरवा की जड़, गंधक,नीम वा तुलसी की पत्ती इत्यादि से नियमित स्नान करें। नोट-स्नान हेतु जिन पदार्थों का उपयोग किया गया है उन्हें रात्रि में शुद्ध जल में भिगो कर रखें। दूसरे दिन स्वच्छ कपड़े से छान कर उसे स्नान के जल में मिलाकर स्नान करें। Anal COM C5નમસદ) (5)નાસક્ટ્રિ) श्री वीतरागाय नमः श्री वीतरागाय नमः [ना नमः रा ॐ ह्रीं नमः - 518