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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
हस्त नक्षत्र में, चौदस को स्वाती या शतभिषा नक्षत्र में अथवा पूनम को ला सकते हैं। मूल (जड़) पत्ता पंचांग आदि को पुस्तक में आगे देखें पेज न. (432 ) लिखी विधि-विधान से ही लायें। 'ऊं ह्रीं क्षौं फट् स्वाहा' मंत्र के उच्चारण से मूल आदि निकालें, फिर उपयोग में लेते वक्त उक्त मंत्र को २१ बार पढ़कर प्रयोग में लें तो विशेष लाभ होय। १. जड़ी को धोकर पिलाने से सभी प्रकार के विष उतर जाते हैं। २. मस्तक पर तिलक लगाकर सभा में जाने पर सब उसकी स्तुति प्रशंसा करते हैं और
पैर पूजते हैं तथा सभी उसकी बात को सत्य मानते हैं और उसके अनुसार कार्य करने
लगते हैं। ३. यदि रक्त गुंजा की मूल को तांबे में मढ़ाकर कोई स्त्री कमर में बांधे तो निश्चित ही
पुत्र होय। ४. यदि साधक मूल को घिसकर आंख आंजे तो सब मोहित होते हैं, फिर वह गाली
दे-देकर मारे तो भी लोग उसका पीछा नहीं छोड़ते। ५. यदि अंकोल के तेल में घिसकर आंजे तो पाताल तक धन दिखे, ऐसी दिव्य दृष्टि
होय। ६. यदि बाघिन के दूध में घिस सभी शरीर में लगा लें तो शस्त्र न लगे और युद्ध में
विजय होय। ७. यदि तिल के तेल में घिसकर शरीर में लगा लें तो सभी को रण में महावीर जैसा
दिखे। ८. यदि कस्तूरी के साथ प्रात:काल अंजन करें तो सभी की मौत दिखे।
(132) लक्ष्मणा कल्प मंत्र-ओं येन त्वां खनते ब्रह्मा येनेन्द्रो येन केशवः । ये न त्वां खनिष्यामि, तिष्ठ तिष्ठ महौषधि स्वाहा॥
शुभ मुहूर्त में सूर्यास्त से दो घड़ी पूर्व विधिपूर्वक पूजन करके बिना टूटे लाल धागे से खैर की आठ कीलों को आठों दिशाओं में गाड़कर, वस्त्र रहित, केश खुले हुए, दक्षिण को मुख किए हुए उपरोक्त मंत्र पढ़कर उस बूटी को खैर की कीलों से खोदें।
ध्यान रखें-वह लक्ष्मणा दो प्रकार की होती हैं-स्त्री और पुरुष। बहुत पत्तों वाली स्त्री और बड़े पत्तों वाली पुरुष होती है। गर्भार्थ प्रयोगों में स्त्री लक्ष्मणा को लावें पुरुष वास्ते पुरुष लक्ष्मणा को लावें। यह तलवार का स्तम्भन करती है।
लक्ष्मणा प्रयोग की विधि-मंत्र- ऊँ नमो वलवतिशुक्र वर्द्धनि पुत्र जननि ठः ठः।" एक रंग की गाय के दूध में कल्क बनाकर उक्त मंत्र पढ़कर गर्भार्थ स्त्री सूंघे । यदि
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