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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
(1) मृगी रोग शान्त - अकरकरा को सूत में लपेटकर गले में बांधे तो मृगी रोग शांत होय ।
(2) मिरगी पर तंत्र - २१ जायफल की माला हरदम गले में रखने से मिरगी नहीं आती । (3) मिरगी - काली हल्दी को धारण करने से मिरगी समाप्त होती है।
(4) रेशम के धागे मे ं जायफल को लपेटकर रोगी को पहनाने से भी मिरगी रोग दूर हो
जाता है।
( 34 ) बहता रक्त बन्द हो
(5) बहता रक्त बन्द हो- जंवासा की जड़ को पीसकर सिर पर लेप करने से शरीर में कहीं से भी खून बहता हो तो बन्द हो ।
( 35 ) सुन्न अंग
(1) सुन्न अंग - जब शरीर का कोई भाग कारण वश सुन्न हो जाए तो उस भाग पर अंगुली से २७ का अंक लिख दें तो तुरन्त ठीक हो जाएगा।
( 36 ) कुष्ठ रोग
(1 ) बिछुआ की जड पुष्य नक्षत्र युक्त शनिवार को लोहे के ताबीज में डालकर काले धागे में धारण करने से कुष्ठ रोग ठीक रहता है ।
(37) हड्डी टूटने या मोच आने पर - दर्द निवारण
(1) हड्डी टूटने या मोच आने पर - दर्द निवारण - हड़ जोड़ लकड़ी के टुकड़े में सफेद कच्चे धागे के डोरे से पीड़ा युक्त अंग में बांध दें तो हड्डियों का दर्द, सूजन, मोच आदि ठीक हो जाते हैं और शनैः-शनै: टूटी हुई हड्डी भी जुड़ जाती है ।
( 38 ) बच्चों के रोग दूर करने का तंत्र (1) सफेद घुंमची को पीसकर गुड़ में खाने से खांसी का प्रकोप समाप्त होता है। (2) बच्चों की खाँसी दूर करने का तंत्र- एक कपड़े की थैली में कौए की बठ बांधकर बालक के कंठ में लटका देने से खांसी में लाभ होता है । यदि बींठ की थैली रविवार के दिन लटकाई जायेगी तो बालक का कव्वा उठ आवेगा ।
(3) खाँसी पर तंत्र - लजालू (छुइमुई) की जड़ गले में बांधने से खांसी मिटती है। (4) बालक को खाँसी हो तो अनार का छिलका मुँह में दबा कर चूसें ।
(5) बालक की नाभि पक जाए तो दिए का तेल लगावें या हल्दी लौंध और नीम के फूल बारीक पीसकर लेप करें।
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