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मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
थूहर के कांटों का चूर्ण, स्वरक्त, बानर की विष्ठा और कलिहारी की जड़ का चूर्ण कर उपरोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस स्त्री के सिर पर डाली जाये वह वश में हो जायेगी।
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तन्त्र अधिकार
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अपना व स्त्री का नाम लेकर 'ॐ हूँ स्वाहा' मंत्र से सात बार अभिमंत्रित कोई भी पुष्प स्त्री के हाथ में दे तो वह निश्चित रुप से वशीभूत होती है।
पलाश की जड़ को अश्विनी नक्षत्र में लाकर हाथ में धारण कर जिस स्त्री को छुआ जाए तो वह स्त्री वशीभूत होय ।
चमेली के फूलों का रस निकाल कर उसमें चन्दन का रस मिला दें और उससे अपनी हथेली पर स्त्री का नाम लिखें तो वह स्त्री आपके वश में होगी।
रविवार को काले धतूरे के फूल, डाल तथा बेल पत्र और जड़ लेकर पीसकर मस्तक पर लगाने से स्त्री वश में होती है।
केशर तथा गोरोचन मिलाकर तिलक लगावें तो साक्षात् अंधी भी हो तो भी वह स्त्री वश में होती है ।
चिता की भस्म और ब्रह्मदण्डी का चूर्ण एकत्र कर उक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस स्त्री के शरीर पर मनुष्य छिड़क दें तो वह स्त्री उसके वश में हो जाये यह सत्य है।
पुष्य नक्षत्र में भोजपत्र पर नारी के दूध के अन्दर रोली मिलाएँ उसे अपने हाथ में बांधे तो नारी आपकी दासी बन जाएगी।
चिता की भस्म लेकर कूट, तगर, बच और कुमकुम यह सब पीसकर जिस स्त्री के सिर और मनुष्य के पांव तले डालें तो वह जब तक जीवे तब तक दास बना रहे।
रति के पश्चात् जो पुरुष अपने बाँये हाथ से अपने वीर्य को लेकर स्त्री के दायें चरण के तलुवें में मलता है वह स्त्री सदा के लिए उसकी दासी हो जाती है। इसमें कोई सन्देह नहीं ।
जलती चिता की राख को केशर में और गौ मूत्र में मिला कर उसे धूप सुखाकर चूर्ण की तरह बना कर रखें, बस जब जिस नारी को अपने वश में करना तब उसे बिन बताए उसके सिर पर एक चुटकी डाल दें तो वह नारी आपके वश में हो जाएगी।
काले भँवरे का पंख लेकर उसे लौंगी के साथ मिलाकर पीस लें जब वह सूख जाये, तो जिस नारी को वश में करना हो उसके सिर पर डाले दें तो वह वश में हो जाएगी।
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