________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (139) सर्व ग्रह पीड़ दूर करने हेतु औषधीय स्नान ग्रह के नाम स्नान हेतु उपयोयी पदार्थ स्नान का दिन इलायची, ससाठी, चावल, खस, चासनी (मधु),कमल, रविवार अमलतास, कुमकुम, देवदार, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती, चांदी की भस्म, मोती, शंख चूर्ण, सीपका चूर्ण, पंचणव्य सोमवार बेलफल, जटामासी, मूसली, बला की जड़,मौलश्री के मंगलवार पुष्प, सौठ, हल्दी, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती चावल, चासनी (शहद), गाय का गोबर, गोरोचन, बुधवार वनेवारी मल्वल, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती, सफेद सरसों, दमयंती के पत्र, मुलेठी, और मालती गुरूवार के पुष्प, या कोई भी तीन जाती के पुष्प, हल्दी, झिंझरीठा, मैनसिल, कुमकुम, कठहल,या हरड़, बहेड़, शुक्रवार आंवल, इलायची, केसर,गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती बला की जड़, शत पुष्पी, लोध, काले तिल, सौफ,सुरमर, शनिवार नगर मोथ, लोध, गंधक, नीम व तुलसी की पत्ती राहु-केतु आदि सर्वग्रह- बला, कूठ, लाजवंती, मूसली, नागर मोथ, सरसों, देवदार के पुष्प, हल्दी, सरपौरवा की जड़, गंधक,नीम वा तुलसी की पत्ती इत्यादि से नियमित स्नान करें। नोट-स्नान हेतु जिन पदार्थों का उपयोग किया गया है उन्हें रात्रि में शुद्ध जल में भिगो कर रखें। दूसरे दिन स्वच्छ कपड़े से छान कर उसे स्नान के जल में मिलाकर स्नान करें। Anal COM C5નમસદ) (5)નાસક્ટ્રિ) श्री वीतरागाय नमः श्री वीतरागाय नमः [ना नमः रा ॐ ह्रीं नमः - 518