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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
गुरू- ग्रह की शान्ति के लिए भारंगी अथवा केले की मूल को धारण करें । शक्र ग्रह की शान्ति के लिए सरपोंख या अरंडे की मूल को धारण करें। शनि - ग्रह की शान्ति के लिए बिछुआ या बिच्छू की मूल को धारण करें । राहु ग्रह की शान्ति के लिए श्वेत चन्दन की मूल को धारण करें ।
केतु ग्रह की शान्ति के लिए अश्वगंध की मूल को धारण करें ।
मुनि प्रार्थना सागर
इसके अलावा सर्व ग्रह की पीड़ा शान्ति के लिए काले धतुरे की मूल को धारण करें। (138) ग्रह दोष निवरण तन्त्र स्नान (मतान्तर से)
विभिन्न ग्रहों की शान्ति के लिए निम्नलिखित वनस्पति द्वारा स्नान कराने से सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है ।
सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए कनेर, दुपहरिया, नागरमोथ, देवदारू, मैनसिल, केसर, इलायची, पद्माख, महुआ के फूल और सुगन्ध बाला का चूर्ण आदि पानी में डालकर स्नान करें ।
चन्द्र - ग्रह की शान्ति के लिए पंचद्रव्य, चाँदी, मोती, शंख, सीप, और कुमुद पानी में डालकर स्नान करें ।
मंगल - ग्रह की शान्ति के लिए सोंठ, सौंफ, लाल चन्दन, सिंगरफ, मालकांगनी और मौलसरी के फूल पानी में डालकर स्नान करें ।
बुध ग्रह की शान्ति के लिए हरड़, बहेड, गोमय, चावल, गोरोचन, स्वर्ण, ऑवला और चासनी पानी में डालकर स्नान करें।
गुरू ग्रह की शान्ति के लिए मदयन्ति के पत्र, मुलेठी, सफेद सरसों, मालती के फूल आदि को पानी में डालकर स्नान करें ।
शक्र—ग्रह की शान्ति के लिए हरड़मूल, बहेडा आँवला, इलायची, केसर, और मैनसिल, आदि को पानी में डालकर स्नान करें ।
शनि ग्रह की शान्ति के लिए कालेतिल, सौंफ, नागरमोथ और लोध आदि को पानी में डालकर स्नान करें ।
राहु ग्रह की शान्ति के लिए नागरबेल, लोहान, तिल के पत्र, बच, गडूची और तगरआदि को पानी में डालकर स्नान करें ।
केतु ग्रह की शान्ति के लिए सहदेई, लज्जालु ( लोबान ), बला, मोथा, प्रियंगु और
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हिंगोठ, आदि को पानी में डालकर स्नान करें ।
सर्व ग्रह की पीड़ा शान्ति के लिए कूट, खिल्ली, मालकांनी, सरसों, देवदारू, हल्दी, सर्वोषधी, तथा लोध आदि को पानी में डालकर स्नान करें ।
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