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________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 10 . चांदी बने तंत्र-तरबूज सेर पांच से ज्यादा कुछ तोल में होय, ऐसा एक तरबूज लाकर तले की तरफ तेचकरी काट के उसमें संमलखार पैसा दोभर चिथरा में लपेटकर डारि के तब पेदा तरबूजा की लगाय के कंपरौट सात दफे सुखाय २ के करना तब गज पुट का आंच देना, जब तरबूज जलने नहीं पावे, तब निकाल लेना, तब तांबा तोला एक पर मासा एक उपरोक्त रसायन देना तो शुद्ध चांदी बने। 11. स्वर्ण माक्षिक ८ मासा, पारा ४ मासा, तांबा ४ मासा, सुहाग ४ माशा-इन सबको मिलाकर 'कुप्पी' में डालें, फिर अग्नि में गलावें तो शुद्ध चांदी हो। (136) काल सर्प दोष / मंगल दोष निवारण हेतु (1) मंगल दोष निवारण हेतु :- मंगल के कुप्रभाव शमन हेतु संबंधित व्यक्ति को अपने स्नान के जल में बिल्व छाल, बेलफल, लाल चंदन, कुमकुम, कुट, लौंग, नेत्रबाला, देवदारू, जावत्री, गायत्री, गूगल, अगर, तगर, गोरोचन, लाल मिर्च, धमनी, रक्त पुष्प, सिंगरफ, मालकांगनी, जटामांसी, हिंगुल, सौंफ, खैर, कनवीर के लाल पुष्प, नागकेशर, सफेद सरसों तथा मोलश्री के पुष्प व पत्ते मिलाकर मंगलवार को स्नान कराके उतारा करना चाहिए। (2) काल सर्प दोष निवारण हेतु- दूध, कस्तूरी, तारपीन तेल, लोबान, गंधक, तगर, मुत्थरा, गजदंत, तिलपत्र, लाल चन्दन आदि से स्नान कराके, उड़द, चांदी के नाग-नागिन, काली सरसों, कमल ककड़ी, कपूर, मजीठ, काले तिल, दूध, बकरी का मूत्र, चंदन, कुमकुम, कुट, लौंग, नेत्रबाला, देवदारू, चासनी, जावत्री, गायत्री, गूगल, अगर, तगर, गोरोचन, काली मिर्च, काली सरसों, उड़द, काले तिल, नींबू ,नमक, कपूर, फिटकरी, लोहान, केशर, काले जीरे, काली हल्दी आदि से काले कपड़े के ऊपर ९ बार मंत्र पढ़कर उतारा करना चाहिए तथा कुछ शेष सामग्री की धूप बनाकर १०८ मंत्र जपते हुए अग्नि में होम करें तो निश्चय ही लाभ होगा। (137.) ग्रह दोष निवरण वनस्पति मूल (जड़) तन्त्र विभिन्न ग्रहों से संबंधित पीड़ा शान्ति हेतु प्रयुक्त जड़ों को विधि-विधान से लाकर दाहिने हाथ में धारण करें। सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए बेल अथवा बेंत की मूल को धारण करें। चन्द्र-ग्रह की शान्ति के लिए खिरनी की मूल को धारण करें। मंगल ग्रह की शान्ति के लिए सर्प जिव्हा अथवा अनन्त की मूल को धारण करें। बुध ग्रह की शान्ति के लिए बरधरा की मूल को धारण करें। 516
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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