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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
2. गर्भ स्थापन- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में वट वृक्ष की जड़ को अपनी भुजा में
धारण करने से अवश्य गर्भ स्थापन होता है। गर्भ रहे- गेरू, (ही-डमीस) विद्रंग, पीपल समभाग लेकर पीसें, फिर संभोग
के समय पान करने से स्त्री गर्भवान होती है। 4. गर्भधारण-श्रवण नक्षत्र में काले एरण्ड की जड़ लाकर, उसे धूप, दीप
देकर,बन्धास्त्री के गले में बांधने से बन्ध्यात्व दोष दूर होकर गर्भ धारण होय। 5. जिस स्त्री के एक बार बच्चा होकर फिर न होवे, उसके लिए पुष्य नक्षत्र के दिन
रविवार को उस दिन असगंध की जड़ को उखाड़ लावें, फिर भैंस के दूध में २५ ग्राम पीसकर पीवें, इस प्रकार ७ दिन तक करने से काक बन्ध्या स्त्री को भी
फिर गर्भ रहे । 6. पुत्रवती स्त्री का पहना हुआ वस्त्र, माला आदि को धारण करने से तथा उस स्त्री के
स्नान का पानी पीने से व उससे स्नान करने से भी बँध्या स्त्री के गर्भ की स्थिति हो
जाती है। 7. पुत्र ही पैदा होय -किसी को अगर कन्या होती हो तो बिलाव और सिंह का
नाखून ताबीज में मढ़वा कर दाहिनी भुजा में बाँधे तो अवश्य ही पुत्र हो। 8. किसी बच्चे का पहला दांत टूटने पर अन्य स्त्री उसे कमर में काले धागे से बांध ले
तो कुछ ही दिनों में संतानवती बन सकती है। ___ जिस स्त्री के लड़कियां होवे और लड़का न होवे तो वह स्त्री पुरूष इतवार के दिन भगवान के मंदिर में भगवान के पीछे जावें और किसी से न बोलकर उल्टा स्वास्तिक बनावें दोनों स्त्री पुरुष नियमपूर्वक खड़े होवें, पुरूष अच्छी केसर से स्वास्तिक बनावे किसी से बोले नहीं, फिर भगवान के सम्मुख आ जावें पुत्र रत्न होगा (सत्य है।)
(48) असमय गर्भपात न होय 1. असमय गर्भपात न होय-पुष्यार्क योग में सहदेवी(सहदेई )का पंचांग तीन धातुओं
के ताबीज में डालकर धारण करने से असमय में गर्भपात कभी नहीं होता है। 2. अकाल में गर्भ न गिरे- काले धतूरे की जड़ कमर में बांधे तो गर्भ अधूरा न गिरे। 3. गर्भस्त्राव व गर्भपात हो तो- खरेंटी की जड़ को कन्या के काते हुए सूत में बाँधकर कमर में लपेंटें।
(49) फिर रजस्वला हो
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