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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
1. अश्वत्थ वदांक (बाँदा) (पीपल के पेड़ पर उगा हुआ दूसरा वृक्ष को) पुष्य नक्षत्र
में लेकर ऋतुकाल में स्त्री के हाथ में बांधने से गर्भ का रज उत्पन्न होता है। 2. ज्येष्ठा में अडुसे की जड़ लाकर उसे धूप देकर स्त्री की कमर में बांधने से नष्ट पुष्पा स्त्री ३० दिन में फिर रजस्वला होने लगती है।
(50) गर्भ स्त्राव नहीं हो 1. गर्भ स्राव-धतूरे की जड़ को कमर में बांधने से गर्भ स्राव नहीं होता। 2. ऋतुकाल के समय धतुरे की जड़ को कमर में बांधने से स्त्री को गर्भ नहीं रहता है। 3. काली मूसली की जड़ को हाथ व पांव में बांधने से रूका हुआ गर्भ गिर जाता है।
(51) मासिक धर्म की परेशानी 1. मासिक धर्म (माहवारी) में परेशानी हो तो एक मिट्टी की छोटी हंडिया में गंगाजल
भर लें तथा उसमें लाल रोली डाल दे, फिर उसे रोगी महिला पर २१ बार उतारकर
चौराहे पर रख दें ध्यान रखें कोई टोके न, परेशानी दूर हो जाएगी। 2. श्रवण युक्त सोमवार को प्रातःकाल खिन्न वृक्ष की जड़ सफेद धागे में दाहिने भुजा में धारण करें जिससे सभी प्रकार के मासिक धर्म सम्बन्धी रोग दूर होते हैं।
__ (52) प्रसव के लिए 1. प्रसव वेदना- से छटपटाती हुई स्त्री की कमर में नीम की जड़ को काले धागे से
बांधने से प्रसव पीड़ा दूर हो जाती है। प्रसूति- अडूसा की मूल (जड़) को कच्चे सूत में सात धागों से कमर में बांधे तो सुखपूर्वक संतान होगी अथवा लाल कपड़े में नमक रखकर उसे स्त्री के बांये हाथ में बांधे तो सुखपूर्वक प्रसूति हो।
दुधी को नौसाद करले आवें फिर गर्भवती स्त्री के सिर पर रखने से बालक होवे शीघ्र ही निमंत्रित को प्रसूति होवे। 3. सुख प्रसव पर तंत्र- नीम की जड़ कमर में बांधे तो तुरन्त प्रसव हो।
केले की जड़ अथवा हुलहुल की जड़ को गर्भिणी स्त्री के हाथ में बांध देने से
सुखपूर्वक प्रसव होता है। 5. प्रसव के समय कलिहारी की जड़ को रेशम के धागे में लपेटकर गर्भिणी स्त्री के
बायें हाथ में बांध देने से प्रसव के समय कष्ट नहीं होगा। नोट- सन्तान होने के बाद जड़ को अपने शरीर से तत्काल हटा देनी चाहिए। 6. बच्चे जन्मते ही मरते हों- यदि बच्चे जीवित न रहते हों तो बच्चे को पुराने कपड़े
या मांगे हुए कपड़े पहनाएं।
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