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________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर द्वारा 15 का यंत्र लिखकर अपने पास रखें। (3) कार्य सफलता हेतुः- काम न मिले तो एक बड़ा पीला नीबू लेकर मूलमंत्र पढ़कर अपने उपर से सात बार उतार कर, फिर उसके 4 बराबर टुकड़े करके शाम को चौराहे पर चारों दिभाओं में फेंके, 7 दिन नियमित करें एवं सर्व कार्य सिद्धि मंत्र की जाप करें सफलता मिलेगी। (4) सफल यात्रा के लिए- एक पानी वाला नारियल लेकर उस पर यात्रा में सफलता की प्रार्थना कर व मूलमंत्र की जाप कर उस नारियल को तोड़ दें, तथा उसके पानी को अपने ऊपर व चारों तरफ छिड़क दें, इससे यात्रा कुशल व सफलता देने वाली होगी। ॥ (65) व्यापार वृद्धि के विशेष चमत्कारी टोटके (1) दुकान खोलते समय बोलने का मंत्र ॐ णमो भगवते विश्वचिन्तामणि लाभ दे, रूप दे, जश दे, जय दे, आनय आनय महेश्वरी मन वांछितार्थ पूरय पूरय सर्व सिद्धिं ऋद्धिं वृद्धिं सर्वजन वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- दुकान खोलते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र को २७ बार उच्चारण करके दुकान का ताला खोलें एवं परमात्मा का नाम स्मरण कर दुकान में प्रवेश करें और व्यापार वृद्धि मंगल कलश या श्रीमहायंत्र के सामने दीपक जलायें अथवा अगरवत्ती लगायें तो दुकान अच्छी चलेगी। (2)व्यापार उन्नति- मंगलवार को लाल चंदन, लाल गुलाब के फूल व रोली को लाल __ कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। तथा कलिकुंड पारसनाथ की नित्य प्रातःकाल पूजा करें। (3) व्यापार वृद्धि -कपूर और रोली मिलाकर उसमें आग लगाएं और दिवाली के दिन उस राख को अपने गल्ले में रखें तो आपका व्यापार दिन दूना रात चौगुना बढ़ जाएगा। (4) डूबा हुआ धन पुनः प्राप्ति- कपूर को जलाकर काजल बना लें और शुक्रवार के दिन भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसको धन दिया है, तथा सात बार हाथ की थपकी देकर कहे मेरा पैसा शीघ्र वापस दें। फिर उस भोजपत्र को भारी पत्थर के नीचे दबादें। पैसा वापस मिलना शुरु हो जाएगा। (5) डूबे धन को प्राप्त करने का तन्त्र –जिनका धन व्यापार, मित्र, रिश्तेदार आदि किसी भी के डूब गया हो मिलने की आशा नहीं हो तो रविपुष्य, गुरुपुष्य, होली, दिवाली आदि शुभ मुहूर्त में रूई की चार बत्तियां बनाकर उन्हें घी में डूबोकर उन पर नागकेसर, जावित्री, काले तिल कूट कर बिखेर देवें। रात के 12 बजे बाद शान्त वातावरण में इन बत्तियों को चौमुखे दीपक में तिल का तेल डालकर किसी वीरान चौराहे पर जलाकर रख देवें। जलाते समय देनदार व्यक्ति की छवि मन में रखें। ईश्वर से प्रार्थना करें कि 460
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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