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________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (1) ससुराल में प्रीति - 7 साबुत हल्दी गांठ, पीतल का एक टुकड़ा, थोड़ा सा गुड़ यदि कन्या अपने हाथ से ससुराल की तरफ फेंक दे तो ससुराल में सदैव सुरक्षापूर्वक सुखी रहती है। (2) सुखी वैवाहिक जीवन– कन्या विवाह के बाद जब विदा हो रही हो तब एक लोटे में जल लेकर उसमें हल्दी एक पीला सिक्का डालकर लड़की के ऊपर से उतारकर उसके आगे फेंक दें सुखी जीवन रहेगा। ___(63) रोजगार की समस्या हल (1) स्थाई रोजगार:- नारियल के छिलके जलाकर राख में उसी नारियल का पानी मिलाकर लुगदी बनाकर ७ पुड़ियाँ बना लें। फिर ४ पुड़ियाँ घर के चारों कोनों में रखे, १ पुड़िया पीपल की जड़ में रखें व १ पुडिया जेब में रखें। किसी की छाया न पड़ने दें।७ दिन बाद सभी पुड़ियों को एकत्र करके, जहां आजीविका कमानी है, उसके द्वार पर किसी कोने में छुपायें तथा मूलमंत्र का जाप करें सफलता अवश्य मिलेगी। (2) सरकारी नौकरी :- यदि नौकरी प्राप्ति में बाधा हो या पदोन्नति में रूकावट हो या अधिकारियों से अनबन हो तो जब चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तब उसके पहले दिन सूर्यास्त के समय जामुन के वृक्ष को जल चढ़ाकर धूप बत्ती देकर निमंत्रण दें आए व दूसरे दिन प्रातः काल थोड़ी जड़ ज्येष्ठा नक्षत्र में लाकर अपने पास रखे तो सरकारी तंत्रों से लाभ मिलेगा “ॐ ह्रीं नमः' मंत्र की जाप करें। (3) शनिवार के दिन साधु को आहार में काले अंगूर दें अथवा शुक्रवार को गरीबों या भिखारियों को गुड़-चने बांटने से आजीविका का साधन बढ़ता है। (4) बुधवार को शाम को बेसन के लडू लाकर मूलमंत्र पढ़कर स्वयं पर से सात बार उतारें और बृहस्पतिवार को प्रातः जल्दी उठकर पीली या श्वेत गाय को खिला दें। इससे आजीविका का साधन बढ़ता है। (5) बिना दाग का एक बड़ा नींबू लेकर स्वयं पर से सात बार उतारें फिर चौराहे पर बारह बजे से पहले चार टुकड़े करके चारों दिशाओं में दूर-दूर तक फेंक दें। इससे रोजगार की समस्या हल होती है। (64) कार्य सफलता हेतु (1) समस्या निवारण – गुरूपुष्य नक्षत्र से पूर्व अर्थात बुधवार की शाम को चंदन वृक्ष की, पीले चावल व जल से पूजा करें तथा दो अगरबत्ती जलाकर हाथ जोड़कर उसे आमंत्रित करें। दूसरे दिन प्रातः काल बिना किसी औजार की सहायता से उसकी थोड़ी-सी जड़ ले आवें, फिर उस जड़ को घर के मुख्य द्वार पर लटका दें इससे अनावश्यक समस्याएं उत्पन्न नहीं होंगी। (2) सफलता प्राप्ति- अखंडित भोज पत्र पर लाल चंदन से मोर के पंख की कलम 459
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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