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मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
तन्त्र अधिकार
मुनि प्रार्थना सागर
(98) अदृश्य प्रयोग
(1) दो मुंह वाले मरे हुए सांप को 7 दिन तक नमक में गाड़ देना फिर आठवें दिन उस सांप को नमक के अन्दर से उठा लेना। उसको लेकर पानी से धौ लेना फिर नदी या तालाब में जाकर कमर तक पानी में जाकर सांप के हड्डी के गुरीआ एक - एक पानी में छोड़ते जाना । जो हड्डी की गुरीआ पानी में सर्पाकार चले उसे ले लेना । लेकर उस गुरीआ को चांदी या तांबे के ताबीज में डालकर पास रखें तो मनुष्य अदृश्य होता है ।
(2)
काली बिल्ली को तीन दिन उपवास करवा के धाप का घी उस भूखी बिल्ली को पिलावें फिर जब वह बिल्ली उल्टी कर दे तब घी को उठा लेना फिर, उस घी का दीपक जलाकर मनुष्य की खोपड़ी पर काजल पाड़ना । उस काजल को अंजन करने से मनुष्य अदृश्य होता है । परन्तु यह अदृश्य वाले कार्य करें न क्योंकि इससे पाप की वृद्धि होती है ।
(3)
आदृश्य अंजन - धौली (सफेद) चिणोठी (गुंजा), सफेद रोगणी (सफेद भट कटैआ) की जड़ लेकर पूर्ण, फिर मनुश्य की खोपड़ी पर काजल उपाड़कर नेत्र अंजन करने से अदृश्य होता है ।
( 4 ) बिल्ली की जरा को त्रिलोह के ताबिज में रखें तो अदृश्य होता है।
(99) कुछ अन्य तांत्रिक प्रयोग (टोटका )
(1) नजर बन्द - अकोहर का फल और बिलाई कन्द मुख में रख लेने से दूसरे की निगाह बन्द हो जाती हैं और वह नजर बन्द जो चाहे खेल दिखा सकता है।
( 2 ) मुँह में आग रखना - कुलन्जन, अकरकरा और नौसादर मुँह में डालकर खूब चबाने और गर्म पानी से कुल्ला करके मुँह में आग रखने से कभी असर नहीं होता है।
(3) हाथ में सरसों जमाना - स्त्री के दूध में सरसों भिगोकर उसे छाया में सुखा लें फिर जब खेल करना हो तब हाथ में नदी की रेत और सरसों रखकर पानी का छींटा मारें तो सरसों तुरन्त जमेगी ।
( 4 ) रात में दिन जैसा उजाला - घुर, घूसिख, हरताल में मेनसिल नेत्रों में आंजने से रात को भी दिन जैसा उजाला दिखाई देता है।
(5) आग से अंगुली न जले - अरोनिक 2 भाग, जरा सा पारा, आधा भाग
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