________________
तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
__ (73) दुष्ट (शत्रु) व्यक्ति से पीछा छुड़ाना (1) दुष्ट व्यक्ति से पीछा छुड़ाना- यदि किसी से पीछा छुड़ाना हो तो सफेद सूती कपड़े
को गंगाजल से धोकर, कपूर जलाकर उससे बने हुए काजल से दुष्ट व्यक्ति का नाम तर्जनी अंगुली से लिखकर फिर उसके नाम के जितने अक्षर हों उतनी बार थूकें व पैर से रगड़े, तथा उसे शौचालय में फेंक दें, इससे दुष्ट व्यक्ति शीघ्र ही पीछा छोड़
देगा। (2) चमेली की जड़ को रवि पुष्य योग में लाकर विधिवत धारण करने से शत्रु सहज
पराजित हो जाते हैं। (3) शत्रु परेशान करे :- यदि अनावश्यक शत्रु परेशान करे तो उसकी फोटो लेकर गड्डे
में दवाये तथा उस पर मल-मूत्र करे व धुंके परेशानी दूर होगी। (4) आप किसी अज्ञात शत्रु द्वारा परेशान हैं तो आपके लिए रात को अपने तकिए के
नीचे तेज धार वाला एक छोटा चाकू रखकर सोना चाहिए। (5) यदि किसी शत्रु से कष्ट हो तो चांदी की मछली बनवाकर अपने तकीए के नीचे रखकर सोएं।
(74) वाद विवाद में विजय (1) वाद विवाद में विजय- माघ मास की पूर्णमासी में गाजर की जड़ लाकर भुजा
मस्तक आदि में कहीं पर भी बांधे तो वाद-विवाद में विजय हो। विपत्ति नाशक- अगहन मास की पूर्णिमा को अपामार्ग की जड़ लाकर उसे भुजा में धारण करें विपत्ति नष्ट हों ।
__(75) सर्व भय निवारण तंत्र (1) आर्द्रा नक्षत्र में बांस की जड़ कान में धारण करें तो शत्रु भय निवारण हो। (2) काले रंग के घोड़े व काले रंग के बकरे के पांव के बाल मंगलवार या रविवार को
काले मुर्गे व कौए के चार पंख लें, सबको जलाकर राख कर लें, राख को शीशी में भर लें। प्रयोग के समय पानी मिला कर तिलक करे तो शत्रु भय के मारे सामने
न आए। (3) भय मुक्ति- शनिवार को सवा पाव काले तिल काले कपड़े में बांधकर ७ बार उतार
कर नदी में फेंक दें, दिल से भय दूर हो जाएगा। (4) कारावास भय- यदि ऐसा महसूस हो कि किसी आरोप में आपको कारावास हो
सकता है तो आप ७ नारियल व ४५ पुराने सिक्के जो प्रचलन में न हों, उन्हें बहते
- 470