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________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर से स्त्रियों का रक्त स्त्राव बंद हो जाता है। (21) मूल नक्षत्र में ताड़ की जड़ लाकर धारण करने से पित्त रोग शान्त होता है। (22) आश्लेशा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखने से अन्न की कमी नहीं रहती है। (23) पुष्य नक्षत्र में भांखपुश्पी जी जड़ लाकर चांदी की डिब्बी में डालकर तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं रहती तिजोरी बराबर भरी रहती (24) रवि पुष्य नक्षत्र में निर्गुडी का पंचांग (फल, फूल, जड़, पत्ते व छाल) लाकर विधिवत् दुकान व गल्ले में रखा जाये तो लाभ दायक सिद्ध होती है। (25) पुष्य नक्षत्र के दिन निर्गुडी का पौधा और पीली सरसों को पोटली बनाकर दुकान में रख लें, तो दिन दूना रात चौगुना व्यापार बढ़ता जाएगा लेकिन कार्य पूर्ण विधि से करें। (26) इमली के बीज दो, बहेड़ा के बीज दो, हरेड के बीज दो इनकी गुटिका बनाकर पानी के साथ आंख में अंजन करें तो ज्योति ज्यादा बढ़ती है। (30) पुष्यार्क योग में सफेद अकोआ की जड़ को जो गणेशाकार होती है, उसको लाकर द्रव्य के साथ में रखने पर अष्टसिद्धि व नवनिधि की प्राप्ति होती है। (101) नक्षत्र कल्प (1) अश्विनी- इस नक्षत्र के दिन बिल्व का पत्ता एकवर्णी गाय के दूध के साथ पिये तो बांझ के भी पुत्र होय। (2) भरणी- जिसके घर चोरी हुई हो, इस नक्षत्र के दिन उसके घर पान लगाकर डालें तो वस्तु मिले। (3) कृतिका- इस नक्षत्र को प्याज का पत्ता एकवर्णी गाय के दूध में पियें तो सर्व रोग शांत हों। (4) रोहिणी- इस नक्षत्र को केले का पत्ता हाथ में बांधे तो सभी आकर्षित हों। (5) मृगशिर- इस नक्षत्र के दिन केले का पत्ता हाथ पर बांधे तो सभी प्रसन्न हों। (6) आर्द्रा- इस नक्षत्र में मन्तुडा (मन्तुका) के आखिरी पत्ते को खेत में रखे, तो सौ गुनी खेती हो। 486
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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