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________________ तन्त्र अधिकार ___ मुनि प्रार्थना सागर मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र __नियम से आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। मंत्र ॐ श्रीं ही कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं महालक्ष्म्यै नमः । ( 24 ) दूसरा उपाय – यदि कदम कदम पर संघर्ष हो, मेहनत का उचित फल न मिले, तरक्की में रिश्तेदारों-मित्रों द्वारा विरोध व बाधा हो, अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप लगते हों तो सवा किलो जौ, एक नारियल जटा वाला तथा सवा किलो लकड़ी का कोयला रात्रि को सोते समय शुक्रवार को अपने सिराहने रख लें। शनिवार को प्रातःकाल अपने ऊपर से 7 बार उतार कर काले कपड़े में रखकर गांठ बांध लें एवं दोपहर के समय सुनसान जगह में गड्ढा खोदकर दबा आयें। ध्यान रखें कि कोई टोके नहीं। ऐसा सात शनिवार करें तो तरक्की एवं समृद्धि के रास्ते आपके लिए खुल जायेंग। (25) अच्छा क्रय विक्रय होता है- निर्गुण्डी और सफेद सरसों घर के द्वार पर अथवा दुकान के द्वार पर रखें तो क्रय-विक्रय अच्छा होता है। (66) कर्ज मुक्ति हेतु ) (1)कर्ज मुक्ति हेतु- यदि कर्ज बढ़ता जा रहा हो तो भूमि का ढ़लान ईशान की ओर बढ़ा दें, दीवारों, फर्श आदि का झुकाव उस ओर कर दें तो कर्ज उतर जाएगा, ईशान कोण में व्यापार वृद्धि मंगलकलश विराजमान करें। (2) ऋण मुक्ति श्रावण मास में- श्रावण मास की पूर्णिमा की रात्रि को स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्रधारण करके घी का दीपक जलाकर कल्पवृक्ष की केसर से पूजा करके कमलगट्टे की माला से निम्न मंत्र की ५१ माला जपें तथा माला को तिजोरी में रखें। ॐ ह्रीं कामाय ह्रीं सिद्धाय ह्रीं ऋणमोचने महारुद्राय कुबेर लक्ष्मी प्रदाय ह्रीं ह्रीं फट। (3) कर्ज मुक्ति हेतु- शनिवार के दिन शाम के समय काली राई दोनों मुट्ठी में भरकर पर्वाभिमख होकर दाहिने हाथ से बाँई तथा बाँई हाथ से दाहिने तरफ फेंके तथा रात को सोते समय पलंग के नीचे सिराहने की तरफ जौ रखकर सुबह उठकर पक्षियों या गरीबों को दें। व मंगलवार को कुछ राई के दाने मूलमंत्र पढ़कर अपने ऊपर से उतार कर चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में फेंक दें। ऐसा 7 मंगलवार को करें। ईशान कोण में मंगल कलश या श्री महयंत्र विराजमान कर लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। निश्चित ही लाभ होगा। मंत्र - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं मम वांछित देहि मे स्वाहा। (4) ऋण मुक्ति हेतु- शुक्ल पक्ष के बुधवार को सूर्य अस्त होने से पूर्व अपने मकान में छोटा सा चांदी का हाथी रखें। जो कर्ज में डूबे हुए हैं या कोई कचहरी के चक्कर में फंसे हुए हैं, वह ताम्बे की सर्पवाली अंगूठी बुधवार को मध्यमा या कनिष्ठा में धारण करें तथा राहु मंत्र का जाप करें तो लाभ होगा। 464
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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