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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
वस्त्र के ऊपर एकाक्षी नारियल रखे। मंत्र बोलते हुए चन्दन, कुमकुम, चावल, पुष्प,
धूप, दीप, फल, नैवेद्य से प्रातः, सायं पूजन करें। मूल मंत्र की एक माला फेरें। ३. मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं ऐं ह्रीं श्रीं एकाक्षिनालिकेराय नमः । विधि- इस मंत्र की एक माला फेरें। गुलाब के १०८ फूल चढ़ाएं। ४. मंत्र- ॐ ह्रीं ऐं एकाक्षिनालिकेराय नमः । विधि- इस मंत्र की १० माला पाँच दिन तक प्रतिदिन फेरें तथा कनेर के २१ फूल चढ़ावें।
जिज्ञासित का स्वप्न में उत्तर हो। फल निष्पत्ति१. एकाक्षी नारियल गर्भवती स्त्रियों को सुंघाने मात्र से बिना किसी कष्ट के बच्चा हो
जाता है। २. बन्ध्या स्त्री को, ऋतु-स्नान के बाद घोलकर पानी पिलावे तो सन्तान हो। ३. भूत-प्रेत का घर में उपद्रव हो तो सात बार पानी में नारियल डुबोकर सात बार ही
मंत्र पढ़े, सारे घर में छींटा दे तो उपद्रव मिटे। ४. कोई भी बैरी या शत्रु हो तो लाल कनेर का फूल लेकर, दक्षिण दिशा में बैठकर उस (शत्रु) का नाम लेकर एक माला फेरे, फूल शत्रु के सामने फेंके तो शत्रु-नाश हो।
(124) गोरखमुंडी- कल्प अमावस्या के दिन गोरखमुंडी वृक्ष के पास जावे। उसके सामने पूर्व की ओर मुंह करके खड़ा होकर हाथ जोड़कर बोले- 'मम कार्यसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा'यह मंत्र बोलकर जड़ सहित उखाड़कर ले आवें। फिर पंचामृत से धोकर साफ करें तथा छाया में सुखाएं। तदनन्तर चूर्ण बनालें और निम्नांकित रुप में प्रयोग में लाएं:
एक तोला चूर्ण गाय के दूध के साथ ४० दिन सेवन करें तो शरीर स्वस्थ हो। २. एक तोला चूर्ण गाय के दूध के साथ एक साल तक खाएं तो महाबली हो।
एक तोला चूर्ण पानी में भिगोए और प्रात:काल बालों में मले तो बाल काले हों। ४. एक तोला चूर्ण गाय के दूध के साथ खाएं, ब्रह्मचर्य से रहें तो अग्नि में मुंह न जले,
पानी में न डूबें। बिना फल, फूल लगी मुंडी उखाड़ कर लावें, छाया में सुखावें, चूर्ण बनावे। उसे
दूध के साथ पीए तो ब्रह्मज्ञानी हो, आगम जाने, महा बुद्धिमान् हो। ६. चूर्ण को पानी में भिगोकर आंख में डाले तो आंख के रोग जाएं। ७. मुंडी के बीज एक तोला नित्य एक वर्ष तक खाए तो बूढ़ा न होए।
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