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________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (5) गंगा पार की ताम्बा लाकर चने में मिलावें और कूटकर गुदा में धूनी दे तो बवासीर का रोग शान्त होता है अथवा सर्प की केंचुली को मस्से के नीचे बांधे तो बवासीर ठीक होता है। ( 6 ) मस्से - प्रातः काल बासी थूक लगाएं, चूना लगाएं व पान के डाँड़ से उसे साफ करें। अथवा, बैंगन को काटकर रगड़ें, उसकी झाग लगाएं। (7) बवासीर- काले धतूरे की जड़ कमर में बांधे तो प्रत्येक प्रकार की बवासीर नष्ट होती है। (8) विशाखा नक्षत्र युक्त बृहस्पतिवार को या होरा में काले धतूरे की जड़ को कमर में बाँधने से बवासीर से आराम मिलता है। ( 23 ) मधूमेह (1) शुक्रवार या शुक्र की होरा में सरपंखा की जड़ दाहिनी भुजा में डालने से मधुमेह रोग में आराम रहता है । ( 24 ) मर्कटिका रोग नष्ट (1) रोग नष्ट-सफेद कनेर की जड़ को रविवार के दिन लाकर कुमकुम रंग के डोरे में वामहस्त में बांधने से (मर्कटिका) रोग नष्ट होता है I ( 25 ) सेऊआ होने पर ( 2 ) सेऊआ होने पर - शरीर में सफेद-सफेद चिट्टे या कभी-कभी गले-पेट आदि में चिट्टे हो जाते हैं उन्हें सेऊआ कहते हैं । तो यदि सेऊआ हों तो शोंच ( टट्टी ) करते समय जो पेशाब निकले उसें एक बर्तन में रख लें फिर गुदा साफ करने के बाद उन्हीं हाथों से उस पेशाब को सेऊओं पर लगायें, फिर 25 मिनट बाद स्नान कर लें और ऐसा प्रयोग तीन दिन करें अथवा तीन रविवार बुधवार करें तो निश्चित ही सेऊओं से मुक्ति मिलती है। (26) चेचक रोग निवारण (1 ) चेचक रोग निवारण- बहेड़े की गुठली को सफेद डोरे में पिरोकर रोगी के गले में धारण कराने से चेचक रोग शान्त हो जाता है । (2) तुलसी के पत्ते बच्चे को खिलावें तो चेचक जाती रहती है। आवश्यकतानुसा (४०/५०) । ( 27 ) मोटापा (1 ) मोटापा व पथरी : रांगे का छल्ला मध्यमा उंगली में धारण करने से मोटापा दूर होता है। इसी तरह लोहे का छल्ला बाएं व दाएं हाथ की एक-एक उंगली में पहनने से 442
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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