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________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ७.गुंजा की जड़ रखकर राजा के पास जाये तो राज्यसभा वश होती है, गोरोचन के साथ घिसकर तिलक करें तो जो-जो देखें वह वश में होय। (128) दक्षिणावर्त शंख कल्प शंख तीन तोले का उत्तम २५ तोले का अत्युत्तम होता है। शंख शुक्ल वर्ण का ही उत्तम माना गया है। शंख परीक्षा–यदि शंख को, पानी में नमक डालकर उसे पानी में डाल दें, फिर सात दिन तक पानी में ही रहने दें। अगर शंख फटे नही तो असली समझो अन्यथा नकली। १. शंख में पानी भरकर मस्तक पर नित्य ही छीटें दें तो उपसर्गों का क्षय हो। २. शंख में पानी लेकर पूजन करें तो लक्ष्मी प्रसन्न होय। ३. पूजन के पश्चात् शंख में दूध भरकर वंध्या स्त्री पीये तो संतान होय। ४. जिस घर में शंख होय वहां सर्व मंगल होय, रोग, शोकादि नष्ट होय, प्रतिष्ठा, सम्मान, राज्य बढ़े। जप मंत्र-ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं दक्षिण मुखाय शंख निधये समुद्रप्रभवाय शंखाय नमः। प्रतिदिन १० माला जपें (129) गौरोचन कल्प मंत्र-ऊँ ह्रीं हन हन ऊँ ह्रीं हन ऊँ ह्रीं ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां ह्रां ठः ठः ठः स्वाहा। विधि-गोरोचन की टिकड़ी बनाये, उपरोक्त मंत्र से २१ बार अभिमंत्रित करके रख लें, फिर जरूरत पर २१ बार उपरोक्त मंत्र पढ़कर प्रयोग में लावे, गूगुल की धूप दें। प्रयोग-१. ललाट पर तिलक कर किसी भी कार्य के लिये किसी के पास जाये तो मनोकामना सफल हो, वह बात माने। २. हृदय पर तिलक करके जहां भी जावे तो मनोकामना पूर्ण होय। ३. मस्तक पर तिलक करके जावें तो सब वश होय, सर्वभय नष्ट होय। (130) रक्तगुन्जा कल्प १. पुष्य हो आदित्य को तब लीजिये यह मूल। शुक्रवार की रोहिणी ग्रहण होय अनुकूल॥ २. कृष्ण पक्ष की अष्टमी, हस्त नक्षत्र जो होय। चौदस स्वाती शतभिषा, पूनो को ले सोय॥ ३. अर्द्ध निशा कारज सरे, मन की संज्ञा खोय। धूप दीप कर लीजिये, धरे दूध ले धोय॥ ४. जो काहू नर नारी कू, विषकोई को होय। विष उतरे तब तुरंत ही, जड़ी पिलावे धोय॥ 511
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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