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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
(7) धतूरा, शहद(चासनी) व कपूर मिलाकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करे
तो सब मोहित हों। (8) तगर, कुट, हरिताल, केसर समभाग मिलाकर पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित
कर तिलक करे तो सब मोहित हों। (9) मींदा सिंगी, जल भांगरा व कुमारिका को समभग पीस कर पूर्वोक्त मंत्र से
अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों।। (10) सफेद अकुआ की जड़ और सफेद चंदन को घिसकर लगाने से मोहन होता है। (11) मोहित करने हेतु १- काकड़ा सिंगी, वच, कूठ, और चन्दन को कूटकर अपने
शरीर और वस्त्रों पर धूप देने से देखने वाला व्यक्ति मोहित हो जाता है। (12) सहदेई के रस में तुलसी के बीज का चूर्ण मिलाकर सिद्ध बनाकर रविवार
के दिन जो इस तिलक को लगावे तो संसार उसके वशीभूत हो। (13) मैनसिल और कर्पूर को कदली (केले) के रस में पीस कर तिलक बना
लें, फिर यह तिलक जो लगावेगा उस पर संसार मोहित हो जायेगा अर्थात सभी
लोग मोहित होगें । इसमें संशय नहीं है। (14) हरताल (हरिताल) और अष्टगंध (असगंध)को केले के रस में पीसकर
गोरोचन मिलाकर तिलक लगाने से संसार मोहित हो जाता है। ( 15 ) काकरा सिंगी, चन्दन, बच, कूट इन सबको मिलाकर पीस लें, फिर उसकी - अपने शरीर के वस्त्र, मुख पर धूप लगावें तो पशु-पक्षी, राजा-प्रजा सब दर्शन
मात्र से मोहित होवें। (16) पान की जड़ का तिलक बनाकर मस्तक पर लगाने से संसार मोहित हो
जाता है। (17) चिरचिरी (अपामार्ग) मरैया (,) लाजवन्ती तथा सहदेई पीसकर तिलक
___ लगाने से संसार मोहित हो जाता है। (18) सफेद आक (मदन) की जड़, मोथा, कुटकी, जीरा इन सब चीजों को खून
में पीसकर रख लें। फिर विधिवत् तिलक लगायें तो जो स्त्री उसे देखे वह
मोहित हो जाय। (19) गोरोचन, मैनसिल, केशर और पत्रज इन सब को पीसकर तिलक लगावे तो
जिसके सामने मुख करें वह वश में होय सभा में जावें तो सभा मोहित होय।
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