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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
को डाल दें अभिलाषा पूर्ण होगी। (9) आकर्षण-काले कमल, मरे भौरे के दोनों पंख, पुषकर मूल, तगर, श्वेत काकजंघा
इन सबको चूर्ण करके जिसके सिर पर डाले वह आकर्षित होता है। (10) आकर्षित-पंचमी के दिन सूर्यावर्त (हुलहुल) वृक्ष की जड़ लाकर पीसकर चूर्ण
बना लें, फिर उस चूर्ण को पान के साथ जिसको खिलावें वह आकर्षित होकर
पास में आता है। (11) सर्वत्र पूज्यता- भृगराज की जड़ मुख में रखकर कहीं जाने से वह व्यक्ति सर्वत्र
पूजित होता है। (12) पुष्य नक्षत्र में पुनर्नवा की जड़ को सम्मान पूर्वक लाकर उसे ऊँ नमः सर्वलोक
वंश कराय कुरू कुरू स्वाहा। मंत्र द्वारा सात बार अभिमंत्रित कर हाथ में बांधने में मनुष्य सभी लोगों में पूजनीय होता है और उसमें सभी लोगों को वशीभूत करने की भाक्ति आ जाती है।
(105) सम्मोहन सम्बन्धी तंत्र-प्रयोग मंत्र- ऊँ उड्डामरेश्वराय सर्व जगन्मोहनाय अं आं इं ई उ ऊ ऋ ॠ फट् स्वाहा। विधि-शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर मुँह करके, मूंगे की माला से १२५०० जाप करके सिद्ध
कर लें। सर्वजन मोहन तिलक (1) श्वेतार्क की जड़ और सिन्दूर को केले के रस में पीसकर
पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों। (2) सिन्दूर,कुंकुम, गोरोचन तीनों को मिलाकर आंवले के रस में पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से
अभिमंत्रित कर तिलक करें तो सब मोहित हों।। (3) रविवार को सहदेवी के रस में तुलसी के बीज पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित
कर तिलक करें तो सब मोहित हों, सर्व वश हों। (4) हरताल व अश्वगन्धा को केले के रस में पीसकर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर
तिलक करें तो सब मोहित हों। (5) सिन्दूर तथा श्वेतबच ( सफेद वच) को नागर बेल के (पान के) रस में पीस कर
पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करे तो सब मोहित हों अर्थात संसार मोहित
होता है। (6) सफेद दूब (श्वेत दूर्वा)व हरताल पीस कर पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक
करे तो सब मोहित हों।
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