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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
घी को दोनों आंखों में अंजन करें, तो पृथ्वी में गड़ा हुआ द्रव्य दिखेगा । (9) पूर्व जन्म देखें- अंकोल वृक्ष के बीजों का तेल निकलवा कर उसका दीपक जलाएँ और काँसे के पात्र में काजल उतारें फिर इस काजल को गाय के शुद्ध घी में मथ करके नेत्रों में लगा करके शीशे में देखें तो शीशे में अपना पूर्व जन्म दिखाई पड़ेगा ।
(85) खेत वृद्धि का तंत्र
(1 ) खेत वृद्धि का तंत्र - चन्द्रमा के अनुराधा, पुष्य, उत्तराभाद्र पद या मिथुन राशि में उदय होने पर खेत के बीच में दो कील गाड़ें। इस प्रयोग से खेत में फल और अनाज दानों की प्राप्ति होती है तथा इससे खेत बिना शत्रुता के फल फूल कर खूब धान देता है।
(2) सफेद सरसों और बालू एक साथ मिलाकर खेत में चारों ओर डालदेने से टिड्डी, मच्छर और चूहों आदि से फसल प्रभावित नहीं होती
(3 ) खेतों में रात भर भेड़ों को बैठाने से उपज बढती है।
( 86 ) पशुओं पर तंत्र
(1) गाय का दूध बढ़े – ऊँट की लीद के अन्दर गधे का मूत्र डाल दें और उसे गूगल की धूप देकर किसी कपड़े में रख कर उस कपड़े को गाय के गले में बाँध दें तो गाय का दूध दुगुना हो जाएगा ।।
(2) पशुओं के कीड़ों पर तंत्र - लसोड़ा की लकड़ी चार अंगुल बराबर ले (दो सूत मोटी होनी चाहिए), फिर उसे दूना कर ( दोहरा कर) रस्सी से पशुओं के गले में बांध दे। ऐसा करने से पशु के, चाहे किसी भी अंग में कीड़े पड़े हों, सूख जायेंगे और आराम हो जायगा ।
( 3 ) पशुओं के कीडे झाड़ना - नीम की डाली का रस निकाल कर उसमें रोली व कपूर मिलाकर उसे गुगल की धूप दें फिर उस रस को पशुओं के ऊपर डालें तो एक भी कीड़ा नहीं रहेगा।
( 87 ) सर्प जहर निवारण
(1) सर्पभय दूर तंत्र - मेष राशि के सूर्य में एक मसूर का दाना, दो नीम के पत्तों के साथ खाने से एक साल तक सर्प का भय नहीं रहता ।
(2) सर्प काटने के कारण - भय, भूख, पुत्र का दुःख, उन्माद, आक्रमण, अभिमान, अपने स्थान की रक्षा और शत्रुता ये आठ ही कारण हैं सर्प काटने के ।
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