Book Title: Visheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Author(s): Pavankumar Jain
Publisher: Jaynarayan Vyas Vishvavidyalay
View full book text
________________
संयत
अप्रमत्तसंयत ऋद्धिप्राप्त संयत
स्त्री को मनः पर्यवज्ञान
मनः पर्यायज्ञान के भेद
श्वेताम्बर मान्यता में ऋजुमति - विपुलमति मनः पर्यवज्ञान का स्वरूप दिगम्बर मान्यता में ऋजुमति- विपुलमति मनः पर्ववज्ञान का स्वरूप ऋजुमति- विपुलमति ज्ञान के प्रभेद
ऋजुमति मनः पर्यवज्ञान के प्रभेद
विपुलमति मनः पर्यवज्ञान के प्रभेद
श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा में मान्यता भेद
ऋजुमति- विपुलमति की तुलना
मनः पर्यवज्ञान के ज्ञेय संबन्धी विचार
प्रथम मत
दूसरा मत
विशेष्याश्यकभाष्य में मनः पर्यवज्ञान का ज्ञेय
•
मनः पर्यवज्ञान से जानने की प्रक्रिया
किसका मन मनः पर्यवज्ञान का विषय होता है ?
मनः पर्यवज्ञान का द्रव्यादि की अपेक्षा वर्णन
मनः पर्यवत्तान का द्रव्य
मनः पर्यवज्ञान का क्षेत्र
+
मनः पर्यवज्ञान का काल
मनः पर्यवज्ञान का भाव
जाणइ पासड़ की उत्पत्ति के संबंध में विविध मत
क्षुल्लक (शुद्ध) प्रतर का स्वरूप
मनः पर्यवज्ञानी अचक्षुदर्शन से देखता है मनः पर्यवज्ञानी अवधिदर्शन से देखता है
विभंग दर्शन की तरह मनः पर्यव दर्शन भी अवधि दर्शन है
अवधिसहित मनः पर्यवज्ञान वाला जानता और देखता है, जबकि अवधिरहित
मनः पर्यवज्ञान वाला सिर्फ जानता है।
मनः पर्यवज्ञान साकार उपयोग होने से उसमें दर्शन नहीं होता है
आगमानुसार मत
मनः पर्यवज्ञान के संस्थान
समीक्षण
(ex)
410
410
411
412
413
413
414
415
415
417
417
419
421
421
422
423
425
425
426
426
427
428
432
433
435
436
437
438
438
439
439
440
440