Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ०१९ रा० २०॥ जी० २१ प्रज्ञा०२२
उवहीइ व नियडीइ २७-१३५० एअस्स पभावेणं २७-४४१ | एएसि० जी० पोग्गलाणं २२-८१सू० सूर्य०१२३ उवही सरीरगं चेव २७-२४२ एआई सोहइत्ता २४-(२२२टी०)
, भवसिद्धि २२-७८सला चं०-४
__" २७--१४२ एआरिसे शरीरे
२७-४७७ , ,, भासगाणं २२-७३साजं० २५ उवागच्छित्ता तते णं २५-४९सू० एए उ अहासूरा
२७-१७४० जीवाणं आभि० २२-६८सू०
नि० २६ उब्वत्तण परिवत्तण २७-१५६५ एए ,, अहोरत्ता
२७-४५२
,, चक्खुदंसणीर्ण-२२-६९सू० उब्बेयणयं जम्मण २७-१७८ एए ,, समासेणं
२७-९९६
, सम्मदिट्ठीण २२-६७सू० २७-१८१ एए चेव उ भावे
२२-१२३
,, सयोगीणं २२-६३सू० २७-१७९ एए ते निजवया
२७-१५६८
,, सलेसाणं-२२-६६० २७-१८० एए णव णिहिरयणा
,, सवेयगाणं २२-६४सू० जाइ २७-११० एए बारस इंदा
२७-१०९४
,, सन्नीणं २२-७७सू० उब्वेवणयं २७-१४७९ एए विकसियनयणे
,, सागारोवउत्ताणं उसमे णं अरहा कोसलिए २५-३२सू० एएसि पं० कण्हलेसाणं २२-२२१सू०
२२-७२० २५-३४स० जी० आउयस्स २२-९०सू०
" , सुहुमाणं २२-७६सू० , ,, पंचउत्तरा० २५-३३स०
, आहारगाणं २२-७२सू०
, संयताणं २२-७०सू० उसिणे तगरउरह २७-२७२४
,, चरिमाणं २२-८०सू० देवाणं कण्ह०२२-२२०सू० उस्सप्पिणि२ अट्ठाइ० २१-९०
, पजत्ताणं २२-७५सू .. धम्मत्थिकाय० २२ ७९सू० उस्सासा निस्सासा २७-४५५ । , ,, परित्ता] २२-७४सू० । नेरइयाणं २२-२१७सू० ॥१२॥
RIKEKAXI

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