Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 13
________________ औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥११॥ उक्कोसेण गिहत्थो उगुण पोट्टया उग्गम० मियविरस उप्पायणएसणा उच्चारे पासवगे खेले उच्छूढ सरीरघरा उज्जमं सव्वथामेसु उज्जुअमालोइत्ता उज्जेणि हत्थिमित्तो उज्जेणीनयरीए उज्झ सुनिआणलं उज्झाया मंगलं मज्झ उज्झअजरमरणाणं उज्झअआिण सल्लो उज्झयवइरविरोहो उम तिरियम्मि "" 33 २७-४४५ उड्डमहे तिरियम्मि २४ - (२२२टी०) २७-१४१२ २७-१३९६ उत्तत्तकणगवन्ना २७-४६७ उत्तमकुलसंपात २७-६९९ २७-७१८ २७-१३५२ २७-१७२० २७-६५१ २७-३३१ २७ २५१ २७-२२ २७-४१५ २७--३५ 93 ,, वि उन्हं म सिलावट्टे २७-१४७५ २७-१७४ उत्तमाय सुणक्खत्ता 35 "3 उदगस्स नालिआए उद्गं खलु नायव्वं उदयम् अभणिया उद्धियनयणं खगमुह० उप्पन्नभत्तपाणो उपपन्नाणुप्पन्ना " उप्पन्ना उप्पन्ने उवसग्गे उम्मग्गठिए सम्मग्ग० ठिओ इक्कोsa 35 २७-१००१ | उम्मग्गदेखणा नाण० २७-१०९ २७-१७१३ २२- १४७ " मग्गसंप० संपयायं 55 उल्लीणोल्लीणेहिय उवपसहेडकारण० कुसल उवकरणभंडमाईणं उवलद्धपरमबंभा २७-३५० २४-२१ २५-९५ २७-५१३ २७-५१४ उवलद्ध सिद्धि पहो - २४- ११ उवलंबयरज्जूओ २७-५६० उववारण व सायं २७-८६० उववाओ पुरिसाणं संकल्पो 55 २७-१५४ २७-१४५८ उववायपरीमाणं २७-१७६५ उवसग्गे तिविहेवि २७-७३८ उवसमइ किण्हसप्पो २७-७३९ | उवहीनियडिपइडो २७-१३०० २७७४० २७-१७३९ २७-१४१३ २७-१५६२ २७-१२४२ २७-८८३ २७–२९ २७-१६०६ २७-११४१ २१-१९ २१-१३ २५-४२ २१-११ २७-१७७२ २७-३५८ २७-१३५३ सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥११॥

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