Book Title: Tulnatmak Dharma Vichar
Author(s): Rajyaratna Atmaram
Publisher: Jaydev Brothers

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Page 9
________________ भूमिका. वेद में रूढ़ि शब्द नहीं। इस दूसरे नियम के आधार से हम यज्ञ शब्द की पड़ताल करना चाहते हैं क्योंकि यज्ञ शब्द वेदों में आया है और एक वेद जिसका नाम यजुर्वेद है, सच पूछो तो इसी विषय को लिए हुए है। यज्ञ शब्द के अर्थ महर्षि यास्काचार्य निरुक्तकारने जो उस के यौगिक भाव को दर्शाने के लिए किए हैं वह संगतिकरण देवपूजा और दान त्रिविध हैं। इसका मतलब यह है कि संगतिकरण यज्ञ का प्रथम धात्विक अर्थ है जो सर्व कोषकार भाव शब्द से आज तक प्रगट कर रहे हैं। देवपूजा और दान यह अर्थ उस के प्राचीन समय में लिए जाते थे परन्तु इन तीनों शब्दों में कहीं भी हिंसा वा पशु बलिदान की गन्ध तक नहीं। वेदों के शब्द जहां यौगिक हैं वहां एक दर्शनकार महर्षि के वचनानुसार इसके अर्थ बुद्धिपूर्वक * हैं। यही नहीं कि एक दर्शनकार ऋषि का ही मत हो किन्तु महर्षि मनु ने भी धर्म अनुसन्धान के लिए तर्क की अवश्यकता बतलाई है और इस बात को एहमदाबाद के प्रोफेसर ध्रुव ने भी अपने उक्त ग्रन्थों में यह कहते हुए स्वीकार किया है कि धर्म में भी तर्क का दखल है / बनारस हिंदु विश्वविद्यालय के स्तंभ और संस्कृत के * देखो-सृष्टिविज्ञान A Scientific Exposition of the Purushisukta प्रकाशक जयदेव ब्रदर्स बड़ौदा

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