Book Title: Tulnatmak Dharma Vichar
Author(s): Rajyaratna Atmaram
Publisher: Jaydev Brothers

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Page 7
________________ भूमिका. भी संसार में अन्य मत पन्थ संप्रदाय विद्यमान् हैं वह विशेष कर उपासना अथवा भक्ति एक ही काण्ड के प्रचारक तथा बोधक हैं / कई मत भाक्त के अतिरिक्त कुछ अंशतक कर्म काण्ड अर्थात् सांसारिक व्यवहारों का भी उपदेश करते हैं परन्तु ब्रह्मज्ञान के विषय को छोड़कर वह पदार्थ विज्ञान को बहुत कम छूते हैं। प्रायः संसार के अन्य मतों में यह भी देखा जाता है कि उन के मध्य में उक्त तीन विषयों का परस्पर विरोध होता है। वेदों की विशेषता प्रथम तो यह है कि इनमें तीन काण्ड सम्पूर्ण रीति से वर्णित हैं यथा वेद के ज्ञान काण्ड में भौतिक पदार्थों के गुण वर्णन होने से पदार्थ विज्ञान का भी वर्णन है साथ ही जीवात्मा और परमात्मा का। इसी बात को उपनिषद् के जीवन्मुक्त तपोधन ऋषियों के वचन में हम कह सकते हैं कि वेद की विद्या दो प्रकार की है एक अपरा दूसरी परा। * अपरा में पदार्थ विज्ञान के शास्त्र हैं और परा में ब्रह्मविज्ञान संबंधी शास्त्र / उस ऋष्योक्त विभाग से निर्विवाद सिद्ध हो गया कि वेदों का ज्ञान काण्ड अपरा और परा विद्याओं में विभक्त तथा पूर्ण है। उसका भावार्थ यह हुआ कि वेदों का ज्ञान काण्ड अन्य मतों के धर्म ग्रन्थों से विशेष महत्वपूर्ण है। __* देखो ब्रह्मयज्ञ अर्थात् स्तुति प्रार्थना उपासना की मीमांसा प्रकाशक जयदेव ब्रदर्स बड़ौदा /

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