Book Title: Traivarnikachar
Author(s): Pannalal Soni
Publisher: Jain Sahitya Prakashak Samiti

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Page 14
________________ (७) विषय-सूची। विषय. २५ س ه ام पहला अंध्याय। विषय. पृष्ठ. पृष्ठ. शान्तिकरण आदि मंत्र २४ आप्तमंगल १ मंत्र जपने योग्य स्थान सरस्वतीमंगल २ वशीकरणादि मंत्रोंका फल गुरुमंगल ३ जिनदर्शन और स्तुति . ग्रन्थ-नाम ३ सामायिक व जप करनेवाले की प्रशंसा २६ तीनों वर्गों के लक्षणसहित नाम सज्जनदुर्जनवर्णन दूसरा अध्याय । वक्ताका लक्षण ६ शौचाचाराक्रिया-कथन-प्रतिज्ञा ग्रन्थका लक्षण ६ शौचाचारमें हेतु तथा शरीरश्रोताका लक्षण ६ संस्कारकी आवश्यकता. श्रोताओंके भेद ७ बाह्यशुद्धियां श्रोताओंके नाम ७ दैनिककार्यों का चितवन ग्रन्थके मूलविषय ८ बहिर्दिशा गमन विधान ध्यानके भेद ८ मलमूत्रोत्सर्गके योग्य स्थान आतध्यानके भेद और स्वरूप ९ मलमूत्रोत्सर्ग न करने योग्य स्थान रौद्रध्यानके भेद और स्वरूप ९ मलमूत्रोत्सर्ग करने और न करने योग्य धर्मध्यानके भेद और स्वरूप ९ अवस्था शुक्लष्यानके भेद और स्वरूप १० मलमूत्रोत्सर्ग करते समय यज्ञोपवीतकी पिंडस्थ, पदस्थ, रूपस्थ और .. ' व्यवस्था रूपातीत ध्यानोंके लक्षण १२ मलमूत्रोत्सर्ग करनेको बैठने की विधि शय्यासे उठते समय चिंतवन १२ सात प्रकारके मौन सामायिक कर्म · १५ गद परिमार्जन षडावश्यक और जपकरनेका उपदेश १६ क्षेत्रपालक्षमामंत्र मंत्राराधनोपदेश १६ मलोत्सर्ग करते समय मुख करनेकी दिशाएं ३३ मंत्रों के नाम और मंत्र - १६ जलाशयको गमन मंत्राराधनफल १९ गुदप्रक्षालनको बैठनेकी विधि, हिंसादि पंच पापोंके भेद २० जलाशयमें गुदप्रक्षालन निषेध वशीकरण आदि मत्रोंकी जपविधि . .२१ शौच विधि उनके जपने योग्य उंगलियां और मालाएं २३ दो प्रकारका शौच आराधन और होममंत्र . २४ वर्गों के योग्य मिट्टी

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