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आधार पर स्पर्धा करने में असमर्थ होने पर ये 'मुक्त बाजार' के वकील अब निराश होकर अपना एकाधिकार जमाने की फिराक में हैं।
भारतीय पेटेन्ट कानून--1970 के लागू होने के बाद देशी दवा उद्योग में अच्छी प्रगति हुई और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर निर्भरता कम होने लगी । 1974 में दवा उत्पादन 500 करोड़ रूपये से बढकर 1991 में 4000 करोड़ और 1994 में 6000 करोड़ रूपये का हो गया था। इसी प्रकार 1985-86 से 1991-92 के बीज 6 वर्षों की अवधि में हमारा दवा निर्यात 140 करोड़ रूपये से बढकर 1281 करोड़ रूपये का हो गया था। 1991-92 मे 76 करोड़ रूपये की दवाइयाँ अमेरिका को निर्यात की गयीं । भारतीय दवा कम्पनियों को जो भी सफलता मिली उसके पीछे पेटेन्ट कानून - 70 का बहुत हाथ रहा।
गैट समझौते का सहारा लेकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इस पेटेन्ट कानून को बदलवाना चाहती हैं, उनका कहना है कि भारतीय दवा कम्पनियाँ उनके फार्मूलेशन्स चुरा कर दवाइयों का उत्पादन कर रही हैं। हालाँकि यह सही नहीं है। 1970 के पेटेन्ट कानून के मुताबिक केवल 'प्रक्रिया पेटेन्ट' का फायदा देशी. कम्पनियों को मिला। परन्तु अब गैट के मुताबिक 'उत्पाद पेटेन्ट' लागू हो जायेगा तो बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का अधिकतर दवाइयों पर अधिकार हो जायेगा । पेटेन्टीकृत दवाइयों का प्रतिशत नीचे सूची में दिया गया है, जिससे हम अन्दाजा लगा सकते हैं कि नया पेटेन्ट कानून लागू हो जाने के बाद बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की स्थिति कितनी मजबूत हो जायेगी । भविष्य में बनने वाली सभी दवाइयों पर पेटेन्ट अधिकार . लागू होंगे जो बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कब्जे में रहेंगे। नये पेटेन्ट कानूनों का प्रभाव होगा (1) दवाइयों के दाम 5 से 20 गुना और अधिक हो जायेंगे ।
कितने प्रतिशत पेटेंट के दायरे में हैं
दवाएं - कीटाणुनाशक (एण्टीबायोटिक) जीवाणुनाशक (एण्टीबैक्टीरियल) फफूंदीनाशक (एण्टीफंगल) कुष्ठ रोग नाशक (एण्टीलेप्रॉटिक्स) हृदय रोग नाशक (कार्डियोवेसकुलर)
दर्द नाशक (ट्रान्क्यूलाइजर) मधुमेह नाशक (एण्टीडायबिटिक) अस्थमा नाशक (एण्टी एस्थमैटिक) गर्भनिरोधक (कन्ट्रासेप्टिव)
अल्सर रोधी (एण्टी पेप्टिक अल्सर)
ल्यूकेमिया रोधी (एण्टील्यूकैमिक)
12
40.23
98.80
25.66
69.96.
40.18
74.42
55.30
47.53
88.79
65.92
32.41
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