Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 67
________________ .. और कर निर्माण एवं परीक्षण अथवा उपचार आदि के लिए अन्य जीवों के साथ क्रूरता अथवा उनका वधं करना या उन्हें परेशान और पीड़ित करना स्वयं के लिए दुःखों, कष्टों, रोगों को आमंत्रण देना है। उन मूक, बेजुबान, असहाय जीवों की बद्दुआएं, हृदय से निकली चीत्कारें, उनको पीडित करने में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने । वालों को कभी शान्त, सुखी एवं स्वस्थ नहीं रहने देगी। भले ही पूर्व पुण्य के प्रभाव से स्वार्थी मानव को उसका तत्काल दुष्फल न भी मिले। इसीलिए सभी धर्मों ने .. "अहिंसा को परम धर्म माना तथा सभी प्रकार के दानों में “जीवों को अभय दान' और सेवा में “प्राणि मात्र की रक्षा को सर्वश्रेष्ठ सेवा माना है। - क्या चिकित्सा हेतु क्रूरता उचित है? आज अज्ञान एवं स्वार्थी मनोवृत्ति के कारण सम्यक् चिन्तन के अभाव में, चिकित्सा के क्षेत्र में हिंसा को खुलेआम प्रोत्साहन मिल रहा है। पाठशालाओं में जीव . विज्ञान की शिक्षा के नाम पर, टी.वी., वीडियो, कम्प्यूटर विद्यार्थियों में दया, करूणा, संवदेना के स्थान पर क्रूरता, हिंसा, निर्दयता के संस्कार दिए जा रहे हैं। दवाओं के निर्माण और परीक्षण हेतु मूक, बेबस, असहाय जानवरों पर बर्बरतापूर्वक यातनाएँ देने एवं अत्याचार करते तनिक भी संकोच नहीं हो रहा है? क्या हिंसा द्वारा निर्मित और क्रूरता द्वारा परीक्षण की गई दवाओं द्वारा उपचार करवाने वालों को अशुभ कर्मों का बन्ध नहीं होगा? प्रकृति का दण्ड देने का विधान पूर्ण न्याय पर आधारित है। वहाँ देर भले ही हो सकती है, अंधेर नहीं हो सकती। . यदि आपके बच्चे को कोई मार डाले, उसको प्रताड़ित करे, बिना अपराध आपका मालिक आपको दण्ड दे तो क्या आप ऐसा कृत्य करने वालों पर प्रसन्न होंगे? क्या उनको आशीर्वाद अथवा शुभकामनाएँ देंगे? आपके मन में दुःख अथवा. कष्ट पहुँचाने वाले के प्रति घृणा, द्वेष, बदले या प्रतिकार की भावना तो उत्पन्न नहीं होगी? ठीक उसी प्रकार प्राणिमात्र प्रकृति पर आश्रित होते हैं तथा जिन जानवरों को शिक्षा के नाम पर विच्छेदित किया जाता है, दवाइयों के निर्माण हेतु मारा जाता है, दवाओं के परीक्षण हेतु जिन्हें निर्दयता व क्रूरता से प्रताड़ित किया जाता है तो उन बेजुबान, बेकसूर मूक प्राणियों का करूण क्रन्दन, हृदय से निकली चीत्कारे और बददुआएँ ऐसे स्वार्थी मानवों को क्षमा नहीं करेगी जो प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से उन .... पर क्रूरता करते हैं, करवाते हैं तथा ऐसी दवाइयों का व्यवसाय एवं वितरण कर उन पर होने वाले अत्याचारों की अनुमोदना में भागीदार बनते हैं-इसमें तनिक भी सन्देह • नहीं होना चाहिए। जब पूज्य पुरूषों का आशीर्वाद हमें शान्ति पहुँचा सकता है तो 'दुःखी प्राणी की आहें अपना प्रभाव क्यों नहीं दिखाएँगी, चिन्तन का प्रश्न है? .. अतः शान्ति, प्रसन्नता, सुख एवं स्वस्थ रहने की कामना रखने वालों को दुःख से बचने के लिए प्राणियों को दुःखीं करने में सहयोग नहीं करना चाहिए। - ......66

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