Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 79
________________ हितकर है या अहितकर, इसका निर्णय मन नहीं कर पाता। मन रूपी घोड़े की . लगाम बुद्धि और विवेक के पास होती है। उत्तम एवं शुभ विचारों से मन शक्तिशाली बनता है। . . . . - वृत्ति तो आत्मा के शुभाशुभ भाव को कहते हैं । वृत्ति जो अभिव्यक्त होती है, उसे प्रवृत्ति कहते हैं। यह आवश्यक नहीं कि वृत्ति और प्रवृत्ति एक जेसी हो। कभी-कभी. बाह्य प्रवृतियाँ तो साफ-सुथरी दिखाई देती है, परन्तु अन्दर ही अन्दर घुटन, माया, कपट, छल होने से मानसिक विकार उत्पन्न होने लगते हैं। हिंसा, झूठ, घृणा, तिरस्कार, भय, राग, द्वेष, लोभ आदि जो गलत प्रवृत्तियाँ होती है, जिनका प्रायः जनसाधारण को बोध होता है। बहुत से व्यक्ति अपने को सदाचारी, ईमानदार और भला दिखलाने के लिए झूठ और कपट का सहारा लेते हैं।, जिनके मूल में भी लोभी और भय की वृत्तियाँ ही होती है। ऐसी वृत्तियों और कृत्तियों में कितना खर्च, कितनी शक्ति और पर का आलम्बन चाहिए, जो स्पष्ट पराधीनता है, दुःख है और दुःख का . कारण होती है। .

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