Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 84
________________ सन्देश प्रेषण हेतु ज्ञानवाही संवदेनशील और क्रियाशील नाड़ियाँ होती है। जो शरीर से संदेश मिलने पर आवश्यकतानुसार तुरन्त सहायता उपलब्ध कराने हेतु कार्यरत रहती है। इन्द्रियों और मन द्वारा उत्पन्न आवेग का प्रभाव सर्वप्रथम मस्तिष्क पर पड़ता है। किसी कामना, इच्छा अथवा अहं की पूर्ति में बाधा पड़ने पर क्रोध का जन्म होता है। अज्ञान, अविवेक, और अहंकार इसके मुख्य कारण होते है। क्रोध का प्रारम्भ मूर्खता से और अन्त पश्चाताप से होता है। जो विचारवान, विवेकशील, बुद्धिमान होते हैं, वे क्रोध नहीं करते और जो क्रोध करते हैं, वे सम्यक् चिन्तनशील व्यक्ति नहीं. होते। बुद्धिमान एवं धैर्यवान स्वभाव वाले क्रोध करने की अपेक्षा , क्रोध उत्पन्न करने वाले कारणों को ही दूर करने का प्रयास करते हैं। क्रोध में किया गया कार्य और लिया गया निर्णय प्रायः अशुभ और कष्टदायक ही होता है। क्रोध से शरीर और मस्तिष्क गरम हो जाता है। स्नायु संस्थान (Nervous System) पर तनाव आता ' है और वे दुर्बल होने लगते हैं। जब स्नायु क्रोध से उत्पन्न तनाव को सह नहीं पाते, तो हाथ-पैर काँपने लगते हैं, शरीर थरथराने लगता है, आँखे लाल हो जाती है। शरीर में पित्त का प्रकोप बढ़ने से उससे सम्बन्धित एसिडिटी, अल्सर, अपच, भूख न लगना, अनिद्रा, मानसिक तनाव, पाचन संस्थान के अंगों में जलन आदि रोग होने . की सम्भावनाएँ बढ़ जाती है। हृदय के रोगी को तो क्रोध के कारण दिल का दौरा भी पड़ सकता है तथा कभी-कभी अचानक रक्त का दबाव बढ़ने से मस्तिष्क की स्नायु फटने से पक्षाघात (लकवा) तक हो सकता है। श्वास तीव्र गति से चलने लगती है। रक्त विषाक्त हो जाता है, जो विभिन्न रोगों का मुख्य कारण बनते हैं। दिनभर में अर्जित शक्ति क्षणभर के क्रोध से नष्ट हो जाती है। क्रोध से हम किसी. को दबा सकते हैं, सुधार नहीं सकते। क्रोधी व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा एवं चेहरा विकृत हो जाता है तथा उसकी प्रतिष्ठा, यश, लोकप्रियता शीघ्र नष्ट हो जाती है। क्रोध से अविवेक से स्मरणशक्ति भ्रमित हो जाती है। स्मृति भ्रमित हो जाने से बुद्धि ,अर्थात् ज्ञान चेतना क्षीण हो जाती है। समृति भ्रमित हो मनुष्य अपने श्रेय साधन से भटक जाता है। अतः स्वस्थ रहने की कामना करने वालों को क्रोध से यथा सम्भव बचने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि क्रोधी व्यक्ति के क्रोध छोड़े बिना कोई भी उपचार स्थायी एवं प्रभावाशाली नहीं हो सकता। ___... क्रोध को कैसे जीतें ? 1. क्रोध आने के समय खड़े हो तो बैठ जाओ। बैठे हो तो खड़े हो जाओ। 2. क्रोध आने के समय पानी पी लो अथवा मुँह में पानी भर लो या मौन कर लो। . . 83. 83. .

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