Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 78
________________ अध्याय - 8 स्वास्थ्य हेतु सम्यक चिन्तन आवश्यक 'स्वस्थ रहने के लिए यह सोचना जरूरी है कि चित्त कितना निरवद्य है, निर्मल है, पवित्र है। चेतना में पाप का प्रवाह तो नहीं आ रहा है। यदि ऐसा है तो स्वास्थ्य अच्छा रहता है, परन्तु यदि व्यक्ति बुरी कल्पना, बुरे विचार, बुरी भावना करता रहे और यह सोचता रहे कि मैं स्वस्थ रहूँगा तो इससे बड़ी कोई आत्म भ्रान्ति नहीं हो सकती। . सामान्य व्यक्ति के प्रति सैकिण्ड में एक विचार का आवागमन हो सकता है। प्रत्येक विचार की क्रियान्विति असम्भव है। ये विचार मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं1. रागद्वेष युक्त भावात्मक विचार, जिसका प्रभाव शरीर के हृदय पर अधिक पड़ता है। 2. अन्य कार्यों के सांसारिक विचार, जिनका व्यक्ति के मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य हेतु सम्यक चिन्तन आवश्यक 'मन में जो कल्पना आकर चली जाती है, वह मन और मस्तिष्क को विशेष प्रभावित नहीं करती, परन्तु जो कल्पना बार-बार उठती है, वह विचार बन जाती है। विचार दृढ़ होने पर संकल्प बनता है और संकल्प के आचरण में आने पर कर्म बन जाता हैं यह कर्म जब फलित होता है तो भाग्य कहलाता है। अतः हम जो परिणाम भोगते हैं उसका मुख्य कारण हमारे मन की सोच ही होती है। मन में बनने वाले संकल्पों की शक्ति के कारण ही सारी परिस्थितियाँ बनती हैं। हमारा मन जैसा सोचता है, जैसा चिन्तन, मनन करता है वैसे ही हम बन जाते हैं। मन के सहयोग के बिना न तो बुद्धि ही ठीक कार्य करती है ओर न इन्द्रियाँ अपने विषयों से सम्बन्धित कार्य ही कर पाती हैं। मनं कहीं और हो तो कान, पास में बैठे व्यक्ति की बात भी नहीं सुन पाते, आँखें खुली होने पर भी कुछ नहीं देख पातीं। ऐस शक्तिशाली एवं चंचल मन का कार्य तो सदैव इच्छा करना है। वह इच्छा शुभ है या अशुभ, . हम जो 77

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