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प्रकार जब कोई बुद्धिमान, समझदार व्यक्ति बचकानी हरकत अथवा अनहोनी शारीरिक चेष्टाएँ करता है तो मस्तिष्क की प्रतिक्रियानुसार हमें हँसी आती है, जबकि यदि कोई बच्चा वैसा ही आचरण करता है तो हमारा ध्यान उस पर नहीं जाता है, और न हम किसी प्रकार की प्रतिक्रियाएँ ही करते हैं। अतः जो रोगी चिकित्सा के प्रति सजग होगा, समर्पित होगा, चिन्तनशील होगा, उपचार के साथ अपनी मानसिकता, विवेक, विश्वास, भागीदारी रखेगा, उतना ही उपचार प्रभावशाली होगा। असजगता और शंकाशीलता उपचार के प्रभाव को घटाते हैं। .. उपचार से पूर्व निदान की सच्चाई पर
चिन्तन आवश्यक जानवर चिन्तन और मनन नहीं कर सकता। मनुष्य ही अपनी बुद्धि, ज्ञान एवं सद्विवेक द्वारा भविष्य में आने वाली विपत्तियों से अपने आपको बचा सकता है। जो अपना भला बुरा न सोचे, दुष्प्रभावों की उपेक्षा करे, निदान और उपचार के तौर तरीके का विश्लेषण न करे, उसमें और पशु में क्या अन्तर है? उपचार से पूर्व रोगी को यथासम्भव निदान की सत्यता एवं उपचार की यथार्थता से आत्म-साधना करना चाहिए। .. . उपचार से पूर्व स्वास्थ्य के प्रति सजग व्यक्तियों को रोग का कारण एवं चिकित्सकों द्वारा निवारण हेतु दिए जा रहे उपायों हेतु अपनी शंकाओं का स्पष्टीकरण प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। जैसे किसी व्यक्ति के घुटनों में दर्द है, तो चिकित्सक से उसका कारण जानना चाहिए। दवा उस कारण को कैसे दूर केरगी? शरीर में उससे आवश्यक अवयव कौन बनाता है और उन अवयवों से कौन-कौन से तंत्र प्रभावित होते हैं? उस अवयव की कमी का उससे सम्बन्धित शरीर के अन्य स्थानों अथवा तंत्रों पर प्रभाव क्यों नहीं पड़ा? जैसे दूसरे घुटने अथवा अन्य जोड़ों में दर्द क्यों नहीं आया? जो इंजेक्शन अथवा दर्दनाशक दवाएं डाक्टर दे रहा . हे, वे रोगग्रसित स्थान पर ही क्यों नहीं दी जाती? क्या दवा में आवश्यक अवयवों की मात्रा का निर्धारण कम अथवा ज्यादा तो नहीं है? दवा से क्या-क्या दुष्प्रभाव . सम्भावित हैं? मुँह में ली गई दवा का प्रभाव दर्द वाले स्थान पर कैसे और कितना पहुंचता है? दवा का प्रभाव कितनी देर तक रहता है? स्थायी क्यों नहीं? ऐसे सम्बन्टि त प्रश्नों पर उपचार लेते समय रोगी. अथवा उसके परिजनों को चिन्तन कर सम्यक समाधान प्राप्त करना चाहिए? इतनी सजगता, जागृति और स्वविवेक जाग्रतं होने
से उपचार के प्रति रोगी की मानसिकता और आत्मविश्वास बढ़ेगा, उस पर अन्धेरे . में उपचार नहीं होगा तथा ऐसा उपचार निश्चिम रूप से प्रभावशाली होगा, भले ही किसी भी पद्धति द्वारा क्यों न किया जाए?
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