Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ चिकित्सक रोगियों का अपने मूल सिद्धान्तानुसार स्वतंत्र निदान नहीं करते और न रोगी का पूर्ण उपचार ही करते हैं। परिणामस्वरूप वैकल्पिक चिकित्साओं में असाध य समझे जाने वाले बहुत से रोगों का सहज, सरल उपचार होते हुए भी जनसाध रण को उसका शीघ्र लाभ नहीं मिलता। ऐसी परिस्थितियों में जन साधारण भारत की पौराणिक प्रभावशाली चिकित्सा प्रद्धतियों को सन्देहास्पद समझे तो आश्चर्य नहीं है । कोई भी चिकित्सा पद्धति अपने आप में सम्पूर्ण नहीं होती और न ही कोई चिकित्सा पद्धति ऐसी होती है, जिसमें कोई विशेषता ही न होती हों। अर्थात् जो अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के सिद्धान्त, मान्यताएँ, धारणाएँ हैं, वे ही सम्पूर्ण सत्य है और बाकी सभी चिकित्सा पद्धतियों को अवैज्ञानिक, अनुपयोगी, अविकसित, अनावश्यक बतला कर उपेक्षा करना कदापि उचित नहीं है। किसी तथ्य को बिना सोचे-समझे स्वीकार करना मूर्खता है, तो किसी अनुभूत सत्य. को बिना सोचे समझे नकारना भी बुद्धिमता नहीं कहा जा सकता। हम किसी बात पर. विश्वास न करें, परन्तु उस सम्बन्ध में बिना पूर्ण जानकारी, अज्ञानवश अविश्वास करना भी उचित नहीं है । जिस प्रकार यदि कोई अशिक्षित व्यक्ति अनुभवी डाक्टरों की भरी सभा में चिकित्सा विषयों पर अधिकारपूर्वक बोले तो उसकी बात का क्या महत्त्व? उसकी क्या सार्थकता ? उसी प्रकार जानकारी के अभाव में किसी विषय पर नीति सम्बन्धी अभिमत देना नासमझी है । अवैज्ञानिक चिकित्सा पद्धतियों पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं? यदि किसी अवैज्ञानिक पद्धति द्वारा राष्ट्र में सार्वजनिक रूप से उपचार किया जा रहा हो, स्वयं सेवी संस्था अथवा व्यक्तिगत स्तर पर ऐसी पद्धतियों का प्रचार-प्रसार हो रहा हो, तो उन पर प्रतिबिन्ध क्यों नहीं लगाया जाता? उन पर अंकुश लगाने का दायित्व किनका ? आज अधिकांश असाध्य एवं संक्रामक रोगों की जड़ अथवा मूल कारण गर्भावस्था अथवा रोग की प्रारम्भिक अवस्था में ही अकारण, अनावश्यक शारीरिक स्वचालित, स्व:नियंत्रित क्रियाओं से छेड़छाड़ करना, दुष्प्रभावों की उपेक्षा कर दवाओं और रोग निरोगधक टीके लगाकर शरीर की रोग प्रतिकारात्मक क्षमताओं को क्षीण करना है। सही निदान के अभाव में गलत उपचार, विकल्प होते हुए शल्य चिकित्सा को प्राथमिकता देना आदि कारण मुख्य होते हैं। आज प्रजनन में शल्य चिकित्सा . आम बात हो गई है। शरीर में कोई अंग, उपांग व्यर्थ नहीं होता । जहाँ उपचार के अन्य विकल्प उपलब्ध हों, शल्य चिकित्सा द्वारा शरीर में छेड़छाड़ करना, जीवन भर रोगों को आमंत्रण देना है। ऐसे उपचारों का आधार वैज्ञानिक कैसे हो सकता है? 50

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94