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कमजोरी अथवा निष्क्रियता के लक्षण स्पष्ट रूप से प्रकट नहीं हो जाते तब तक : अपने आपको पूर्ण स्वस्थ ही समझते हैं। आत्मा के विकार जो रोग उत्पन्न करने में प्रभावशाली भूमिका रखते हैं, उनकी पूर्ण उपेक्षा कर स्वस्थ रहने की कल्पना करते हैं, जो. कभी भी सम्भव नहीं है।
. आत्मा ही जीवन है ... . हमारे जीवन का प्रारम्भ और अन्त शरीर में आत्मा यानी जीव या. चेतना
की उपस्थिति पर निर्भर करता है। मृत्यु के पश्चात शरीर से ऐसा कौनसा तत्त्व है, जिसके निकल जाने के पश्चात इस जड़/निर्जीव/अचेतन शरीर को कोई मूल्य नहीं होता? मृत्यु के पश्चात भी शरीर में प्रत्यक्ष रूप में सभी अंगों, उपांगों, भौतिक इन्द्रियों की उपस्थिति होने के बावजूद सभी क्यों निष्क्रिय हो जाते हैं? इस नश्वर/जड़ शरीर को मृत्यु के पश्चात शीघ्रातिशीघ्र जलाकर या दफनाकर अथवा अन्य किसी विधि द्वारा नष्ट करना ही क्यों श्रेयष्कर होता है? मृत्यु के पश्चात 'डाक्टरों की विश्वासपात्र, प्राणदायिनी आक्सीजन, रक्त, जीवन रक्षक दवा और इंजेक्शन, जड़ी बूटिया, यंत्र, तंत्र, मंत्र, यौगिक क्रियाएं एवं लम्बे-चौड़े दावे करने । वाले डाक्टर और चिकित्साएं क्यों प्रभावहीन हो जाते हैं? इसक अभिप्राय यही है कि . जीवन के लिए आवश्यक दवा, पानी, भोजन, धूप आदि प्राकृतिक ऊर्जाओं तथा उपचार के अन्य साधन शरीर में जब तक आत्मा होती है, जीवन संचालन में सहयोगी मात्र होते हैं। तभी तक उनका जीवन संचालन में सहयोग होता है।
. अतः आत्मा ही जीवन का आधार होती है। फलतः हमें जानना और . समझना होगा कि आत्मा क्या है? जन्म से पूर्व और मृत्यु के पश्चात उसका क्या । अस्तित्व होता है? उसमें कितनी शक्ति होती है? जन्म और मृत्यु का चक्र क्यों चलता है? आत्मा को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्त्व कौनसे होते हैं? इसकी ऊर्जा . क्यों क्षीण अथवा निष्क्रिय हो जाती है तथा उसको कैसे बढ़ाया जा सकता है? शरीर, मन, मस्तिष्क, भाव, वाणी आदि का व्यवस्थित निर्माण कौन और कैसे करता है? सभी व्यक्तियों का रंग, रूप, आकार में एकरूपता, क्यों नहीं होती? सभी को संयोग-वियोग, प्रतिकूलताएँ-अनुकूलताएँ, सुख-दुःख का अलग-अलग वातावरण क्यों मिलता है?. उनका नियंत्रण कौन और कैसे करता है? कोई जन्म से ही . विकलांग अथवा रोगग्रस्त क्यों होता है? इन सभी प्रश्नों का समाधान आत्मा और शरीर के भेद को समझने से मिल जाता है। आत्मा और शरीर में कौनं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, शक्तिशाली है, उपयोगी है. सनातन है, अपना है अथवा पराया है, .. आसानी से समझा जा सकता है।
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