Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 59
________________ आत्मा से सम्बन्धित चन्द पारिभाषिक शब्दावली . . आत्मा पर कर्मों से पड़ने वाले प्रभाव एवं उससे अलिप्त होने के कारणों को समझने के लिए चन्द पारिभाषिक शब्दों का ज्ञान आवश्यक है, जिनका प्रयोग प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। 1. संसारी आत्मा जो आत्मा कर्मों में लिप्त होती है। - 2. मुक्तात्मा जो आत्मा कर्मों से मुक्त होती है। . 3. आत्मा .. जीव अथवा चेतना का स्रोत। . 4. पुद्गल जिसमें वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श आदि हो। 5. कर्म आत्मा को आवृत कर उसके साथ दूध में पानी की भाँति एकाकार होने वाले सूक्ष्मतल पुद्गल परमाणुओं को कर्म कहते हैं। 6. आस्रव कर्म ग्रहण करने वाली आत्मा की अवस्था को आस्रव कहते हैं। 7. संवर कर्म का निरोध करने वाली आत्मा की अवस्था को संवर कहते है। अर्थात् जिस । अवस्था में आत्मा कर्मों से आवृत नहीं होती। .. . 8. निर्जरा.. ___चैतन्य आत्मा से कर्मों को अलग करने वाली . प्रवृत्ति को निर्जरा कहते हैं। 9. बन्ध आत्मा के साथ कर्म पुद्गलों का दूध में पानी की -भाँति एकाकार हो जाना। 10. कर्म विपाक कर्मों का फल देना .या उदय में आना अथवा .. अपना प्रभाव बतलाना। 11. उदीरणा नियत समय से पहले कर्मों का फल प्राप्त करना। . . 12. पर्याप्ति ऊर्जा के मूल स्रोत जिससे शरीर, मन, वाणी आदि का निर्माण होता है। 13. योग मन, वचन और काया के द्वारा होने वाली प्रवृतियाँ।। । 14. करण - करना, कराना, अनुमोदन करना जैसे स्वयं मन से, स्वयं वचन से, स्वयं काया से करना अथवा . दूसरों से करवाना अथवा करने वाले का अनुमोदन करना। 15. औदारिक (स्थूल) शरीर सप्त धातुओं (अस्थि, मज्जा, माँस, रक्त, वीर्य आदि) से बना स्थूल शरीर। . . 58

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