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भ्रमण स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है परन्तु जिनके दोनों पैरों में संतुलन न हो, एक पैर बड़ा और दूसरा छोटा हो और यदि ऐसे व्यक्ति पैरों का संतुलन किए बिना घूमने लगे तो लाभ के स्थान पर हानि ज्यादा होने की सम्भावना रहती हैं । अतः जिस प्रवृत्ति अथवा उपचार से रोग बढ़े, उन्हें तुरन्त बन्द करना ही स्वयं की सजगता है । अधिकांश रोग प्रायः स्वयंग की गलतियों, उपेक्षावृत्ति से उत्पन्न होते हैं । हमें क्या अच्छा लगता है और क्या बुरा लगता है, और क्यों? परन्तु जो आँखों को प्रिय लगे, कानों को प्रिय लगे, रसनेन्द्रिय को अच्छा लगे, मन आदि को अच्छा लगे, वह हमारे लिए हितकर हो यह आवश्यक नहीं । अतः सभी का सामन्जस्य आवश्यक . है । हम इन्द्रियों के उन्हीं विषयों को ग्रहण करें, जो शरीर के लिए हानिकारक न हो । शरीर के साथ-साथ मन और आत्मा की शक्ति बढ़ाने वाला हो। यही तो स्वयं की सजगता होती है।
उपचार की प्रचलित विभिन्न चिकित्सा पद्धतियाँ तो मात्र भौतिक प्रक्रिया है । अच्छे चिकित्सक को उसे रोगी के अनुसार समझना होगा। जो घटना रोगी के शरीर में घटती है, उससे दोस्ती करनी पड़ेगी। रोगी के स्वभाव एवं रूचि में परिवर्तनों का रोग से सम्बन्ध मालूम करना पड़ेगा रोगी को भी रोग का आभास होते ही अपने पिछले 48 घण्टों की गतिविधियों, गलतियों, असावधानियों अथवा स्वयं द्वारा किए गए गलत आचरण का सूक्ष्मतम विवेचन करना होगा, जिसके परिणामस्वरूप रोग के लक्षणों को शरीर में प्रकट होने हेतु प्रोत्साहन मिला। यदि रोगी इतना सजग होगा तो रोग का कारण निश्चित रूप से पता चल जाएगा। सही निदान होते ही उपचार स्वयं प्रभावशाली हो जाएगा।
स्वस्थ रहना स्वयं के
हाथ
• अच्छे स्वास्थ्य की चर्चा और चिन्तन करने से पूर्व हमें यह जानना और समझना आवश्यक है कि अच्छा स्वास्थ्य किसे कहते हैं? स्वास्थ्य का सम्बन्ध प्रत्यक्ष-परोक्ष किससे होता है? स्वास्थ्य बिगाड़ने वाले विविध कारण क्या हो सकते है? उनसे यथासम्भव कैसे बचा जा सकता है? क्या स्वयं के अज्ञान, अविवेक, असजगता के कारण असंयमित, असंतुलित और अप्राकृतिक हमारी जीवन शैली से तो रोग पैदा नहीं होते हैं? उनकी उपेक्षा कर दीर्घकाल तक पूर्ण स्वस्थ रहने की हमारी कल्पना, क्या आग लगाकर ठण्डक प्राप्त करने जैसी भूर्खतापूर्ण तो नहीं है? क्या हमारी श्वास अन्य व्यक्ति ले सकता है? क्या हमारा निगला हुआ भोजन दूसरा व्यक्ति पचा सकता है? क्या हमारी प्यास किसी अन्य व्यक्ति के पानी पीने से शान्त हो सकती है ? क्या हमारा दर्द, पीड़ा, वेदना हमारे परिजन ले सकते है ? प्रायः रोग के प्रमुख कारण रोगी की स्वयं की असावधानी से पैदा होते हैं। अपनी स्थिति से जिनता हम स्वयं परिचित होते हैं, दूसरा उतना परिचिम हो नहीं सकता | यंत्र और
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