Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 33
________________ सभी रोगों का मूल कारण है। प्रकृति किसी भी ज्ञानी या अज्ञानी को नियम विरूद्ध कार्य करने के लिए क्षमा नहीं करती। . . . विज्ञान का मतलब है विशिष्ट ज्ञान | जो क्रमबद्ध एवं सूत्रबद्ध ढंग से प्राप्त किया जाए अथवा विज्ञान ज्ञान प्राप्त करने की वह विधि है, जिसमें तार्किक विधियों एवं प्रयोगों अथवा चेतना की अनुभूतियों के आधार पर सत्य के निष्कर्ष पर पहुँचा जाता है। अज्ञान का अर्थ ज्ञान का अभाव नहीं, परन्तु अल्प ज्ञान अथवा मिथ्याज्ञान है। अज्ञान से अविश्वास और भ्रान्ति पैदा होती है। रोग का प्रारम्भ आत्म विकारों से शरीर, मन और आत्मा का एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध है तथा सभी एक-दूसरे से प्रभावित होते हैं। मन, वचन और काया आत्मा की अभिव्यक्ति के तीन संशक्त माध्यम हैं। मन दूषित होने से वाणी और काया बिगड़ जाती है अर्थात् स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। यदि शरीर बिगड़ा हुआ हो तो मनोवृत्तियाँ दूषित हो जाती हैं। अतः शरीर, मन और वाणी का तालमेल सन्तुलन ही वास्तविक स्वास्थ्य होता - जैसी शारीरिक अवस्था हो, चाहे. पीड़ा, वेदना, दर्द अथवा निष्क्रियता अथवा तनाव, बेचैनी, अधीरता, भय, चिन्ता, दुःख जैसी मानसिक स्थिति या शुभाशुभ भावों का प्रभाव सारे लक्षण और अभिव्यक्ति तो शरीर के माध्यम से ही होती है। अतः प्रायः सभी चिकित्सा पद्धतियों का उपचार करते समय शरीर को ही रोग के लक्षणों से, अपने-अपने सिद्धान्तों एवं विधि. के अनुसार मुक्त करने का प्रयत्न होता है। मानसिक रोग एवं भावात्मक आवेग तथा आत्मिक विकार जो ज्यादा खतरनाक होते हैं और रोगों की उत्पत्ति के मूल कारण होते हैं, उनको दूर करने के लिए कोई भी . व्यवस्थित चिकित्सा पद्धति नहीं है। कारणों को दूर किए बिना जो भी उपचार होगा, . वह अस्थायी होगा तता उपचार करते समय आत्मिक विकारों को बढ़ाने अथवा प्रोत्साहन देने वाला उपचार दुष्प्रभावों से रहित नहीं हो सकता? मात्र शरीर के रोगों को ही रोग मानना तथा मन, वाणी, दुर्भावनाओं एवं आत्मा के विकारों को रोग में. सहयोगी न मानना हमारे अज्ञान और अदूरदर्शिता का प्रतीक है। - रोग क्यों होते हैं? '... . रोग होने के अनेक कारण हो सकते हैं। जैसे पूर्व जन्म के संचित असाता वेदनीय कर्मों का उदय, पैतृक संस्कार अथवा वंशानुगत रोग, आकस्मिक दुर्घटनाएँ, • आसपास का बाह्य प्रदूषित वातावरण मौसम का परिवर्तन एवं उसके प्रतिकूल आचरण, असंयम, दुर्व्यसनों का सेवन, अकरणीय पाशविक वृत्तियाँ, मिलावट एवं रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाइयों से उपलब्ध आहार सामग्री, भ्रामक विज्ञापनों पर आधारित जीवन पद्धति, असाध्य अथवा संक्रामक रोगों के प्रति प्रारम्भ 32 ..

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