Book Title: Suktimuktavali Author(s): Somprabhacharya, Ajitsagarsuri Publisher: Shanti Vir Digambar Jain Sansthan View full book textPage 8
________________ श्रीवीतरागाय नमः श्री सोमप्रभाचार्य विरचिता ) सूक्तिमुक्तावली $ ( वर्ष कीर्तिमूरिकृत व्याख्यासहिता ) [ मङ्गलाचरणं ] श्रीमत्पार्श्वजिनं नत्वां स्वावसायस्य कारकं । सयः संस्मृतिमात्रेण प्रत्यूहव्यूहवारकं ॥ १ ॥ श्रीचन्द्रकीर्त्तिसूरीणां सद्गुरूणप्रसादतः । सिन्दूरप्रकरव्याख्या, क्रियते हर्षकीर्तिना || २ || युग्मं अथ प्रन्थकर्ता आदी इष्टदेवताचरणरमरणरूप मंगळाचरणपूर्वकं श्रोतृन् प्रति आशीर्वादवृत्तमाह 1 ( शार्दूलविक्रीडित छन्दः ) सिन्दूरप्रकरस्तपः करिशिरःकोडे कषायाटवी दावाच्चिनिचयः प्रबोध दिवसमारंभसूर्योदयः ।Page Navigation
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