Book Title: Sramana 1996 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 24
________________ २२ ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. श्रमण/जुलाई-सितम्बर / १९९६ प्रजाग इति देशोऽसौ प्रजाभ्योऽस्मिन् गतो यतः । प्रकृष्टो वा कृतस्त्यागः प्रयागस्तेन कीर्तितः ।। : - पद्मपुराण १३/२८. श्री सम्मेदगिरि - चम्पापुरी-ऊर्जयन्तगिरि-अक्षयवट आदीश्वर दीक्षा सर्व सिद्धक्षेत्र कृत यात्राणां । विविधतीर्थकल्प, पृष्ठ ६८. प्राचीन तीर्थमाला संग्रह, भाग १, पृ०१०-११. द्रष्टव्य- उ०प्र० के दि० जै० तीर्थ, पृ० ९, १२, १३६. विविधतीर्थकल्प, पृ० ६८. तिलोयपण्णत्ति ४ / ५३१, पद्म०९८/१४५, वरांग० २७/८२, उत्तर पु०५२/ १८. १०. कौशाम्बीगढ़ का संक्षिप्त इतिहास - सुबोध कुमार जैन, पृ० ४०. ११. द्रष्टव्य - प्रा० भा० कलाएँ - एम० एम० असगर अली कादरी, पृ० २३६. १२. कौशाम्बी गढ़ का संक्षिप्त इतिहास, पृ०४२. १३. तिलोयपण्णत्ति ४ / ६४९. १४. वही, ४/६८३. १५. जैन शिलालेख संग्रह, भाग २, पृ०१३-१४. १६. उ०प्र० के दि० जै० तीर्थ, पृ०१५१. १७. कौशाम्बीगढ़ का संक्षिप्त इतिहास, पृ०५०. १८. वही, पृ० ३३-३९ एवं जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग ४६, किरण १ - २, पृ०२२. Jain Education International For Private & Personal Use Only बलीपुरटाटा, प्रयाग २१२२०३ www.jainelibrary.org

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