Book Title: Sramana 1996 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 114
________________ ११२: श्रमण/जुलाई-सितम्बर/१९९६ का महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पादित किया है। इस महत्त्वपूर्ण पद्यानुवाद का सफल संयोजन श्री ए०एल० संचेती ने किया है। श्री संचेती के इस अवदान हेतु उन्हें अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन के कलकत्ता में सम्पन्न होने वाले बारहवें राष्ट्रीय अधिवेशन में भारत-भाषा-भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। श्री संचेती को पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई। पत्राचार अपभ्रंश सर्टीफिकेट पाठ्यक्रम में प्रवेश सम्बन्धी सूचना दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी द्वारा संचालित, अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा पत्राचार अप्रभंश सर्टीफिकेट पाठ्यक्रम का पाँचवा सत्र १ जनवरी १९९७ से प्रारम्भ हो रहा है। हिन्दी एवं अन्य भाषाओं के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं संस्थाओं में कार्यरत विद्वान् इसमें सम्मिलित हो सकेंगे। नियमावली एवं आवेदनपत्र १५ सितम्बर १९९६ तक अकादमी कार्यालय-दिगम्बर जैन नसियां भट्टारक जी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर ३०२००४ से प्राप्त किये जा सकते हैं। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि १५ अक्टूबर १९९६ है। धर्मों में सही अन्तर सहज समझदारी के आधार पर हो डॉ०शिवप्रसाद सिंह भू०पू०अध्यक्ष, हिन्दी विभाग का..हि०वि०वि०, वाराणसी। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के आचरण की सहजता बहुत ही विचारणीय आवश्यक वस्तु लगती है। इस जाति-पाँति संयुक्त और धर्म-अधर्म से दृषित जो परम्परा है उसका लेश मात्र भी प्रभाव उन्हें कभी चिन्तित नहीं करता था। उस दिन लगभग छ: बजे सायंकाल जब मैं पहुँचा तो वे कुरता-धोती पहने अपने मकान के सामने टहल रहे थे। पास आया तो कहने लगे गंगा स्नान करने चलोगे? मैंने कहा कि-शाम को सात बजे? यह आपने कौन सा समय चुना नहाने का? कहने लगे चलो तो, चलते गये तो, उन्होंने कहा कि दो मिनट यहाँ आना। तो हम पार्श्वनाथ विद्याश्रम पहुँचे। वहाँ श्वेत वस्त्रावृता सरस्वती जैसे विजामान थे आचार्य कृष्णचन्द्र। बात होने लगी तो दो मिनट की जगह दो घण्टे चलती रही। लौटे वहाँ से तो कहले लगे- कैसा रहा गंगा स्नान? मैं सहज ही बोल पड़ा अद्भुत। एक ओर शास्त्र है भारतीयों का, मनुस्मृति है मनुवादियों की, उसमें लिखा है- 'न गच्छेत् जैन मन्दिरम्'। ये बताने वाले लोग यह नहीं जानते कि गोम्मटेश्वर की परी ऊँचाई कितनी है और उनका अभिषेक कैसे होता है? यही है सर्वधर्म समभाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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